पीरियड के दौरान पेट के नीचे दर्द करना, बैक पेन, ब्लोटिंग, पीरियड क्रेम्प्स की समस्या आम है। पीरियड शुरू होने से कुछ दिन पहले ये सारे लक्षण प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual Syndrome) दिखने लगते हैं। पर क्या आप कभी इस दौरान मेंटल हेल्थ की भी समस्या से जूझने लगती हैं? इनमें सिर बहुत अधिक दर्द करना, अवसाद और एंग्जाइटी बहुत लंबे समय तक महसूस करना आदि भी शामिल हो सकता है। यदि आपके साथ ऐसा हो रहा है, तो इसका मतलब है कि आप पीएमडीडी (Premenstrual Dysphoric Disorder) से जूझ रही हैं। सेलिब्रिटी गायनेको लोजिस्ट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर डॉ. रिद्धिमा शेट्टी अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) के बारे में विस्तार से बता रही हैं।
प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) का अधिक गंभीर रूप है। यह प्रसव उम्र तक की किसी भी महिला को प्रभावित कर सकता है। यह एक गंभीर और पुरानी (Chronic) चिकित्सा स्थिति है, जिस पर ध्यान देने और उपचार की आवश्यकता है। जीवनशैली में बदलाव और कभी-कभी दवा की मदद से ही लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद मिलती है।
पीएमडीडी का अभी तक सटीक कारण का पता नहीं चल पाया है। यह पीरियड के दौरान असामान्य रूप से हार्मोन परिवर्तन के कारण हो सकता है। हार्मोन परिवर्तन के कारण सेरोटोनिन की कमी हो सकती है। सेरोटोनिन मस्तिष्क और आंतों में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है, जो रक्त वाहिकाओं को संकरा कर मूड को प्रभावित कर सकता है।
पीरियड शुरू होने से पहले पीएमडीडी के लक्षण प्रकट होते हैं और पीरियड शुरू होने के कुछ दिनों के भीतर समाप्त हो जाते हैं। चिडचिडापन, किसी काम को करने में मन नहीं लगना, कंसन्ट्रेशन में कमी, डिप्रेशन, एंग्जाइटी, एक्ने, स्किन रैशेज, वोमिटिंग, ब्लोटिंग, कब्ज आदि इसके लक्षण हैं। ये रोजमर्रा के कार्यों को भी बाधित कर देते हैं। इस दौरान महिलाओं को घर, ऑफिस और रिलेशनशिप के किसी भी काम को करने में परेशानी होती है।
यदि महिला के परिवार में किसी को यह परेशानी रही है, यानी हिस्ट्री है, तो उसे यह डिसआर्डर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके लिए शारीरिक और पैल्विक परीक्षण किया जा सकता है। बहुत कम मामलों में क्लिनिकल परीक्षण हो पाता है। मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होने के कारण हेल्थकेयर एक्सपर्ट महिला को मेंटल हेल्थ संबंधी समस्या का मूल्यांकन करने कह सकते हैं।
रिद्धिमा कहती हैं, ‘यह डिसऑर्डर मुख्य रूप से खराब जीवनशैली के कारण होता है। इसलिए इसमें बदलाव लाने को कहा जा सकता है।
अधिक सॉल्टी और अधिक मीठे का सेवन कम करना चाहिए।
प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, कैफीन और शराब का सेवन बहुत कम करना चाहिए।
नियमित रूप से व्यायाम और योग बहुत जरूरी है।
जिन कारणों से तनाव हो सकता है, वह कार्य नहीं करें।
विटामिन बी6 जैसे विटामिन सप्लीमेंट, कैल्शियम और मैग्नीशियम लेने पर यह समस्या कम हो सकती है।
गर्भनिरोधक गोलियां, जलन को रोकने वाली दवाएं और कुछ सेरोटोनिन को प्रबंधित करने वाली दवाएं भी दी जाती हैं।
कुछ महिलाओं में समय के साथ पीएमडीडी के लक्षणों की गंभीरता बढ़ती जाती है। यह मेनोपॉज फेज तक रह सकती है। इस कारण इसका उपचार लंबे समय तक चल सकता है। अधिक समस्या होने पर अपने गायनेकोलॉजिस्ट से परामर्श लेना नहीं भूलना चाहिए।
यह भी पढ़ें :- World Tuberculosis Day : इनफर्टिलिटी का जोखिम बढ़ा सकते हैं ओवेरियन ट्यूबरकुलोसिस, एक्सपर्ट बता रहीं हैं इस बारे में सब कुछ