उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं के स्वास्थ्य में कई उतार चढ़ाव आते हैं। इसके चलते वे किसी न किसी स्त्री रोग या प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का अनुभव करती हैं। उनमें से सबसे आम समस्या है पीसीओएस। यह एक ऐसा हार्मोनल विकार है जो की अंडाशय में कई सिस्ट, अनियमित पीरियड साइकिल और प्रजनन होर्मोन का असंतुलन दर्शाता है। पीसीओएस (PCOS) महिलाओं के स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता के लिए बेहद चुनौतीपूण है। महिलाओं की इस परेशानी का इलाज आयुर्वेद (Ayurvedic remedies for PCOS) में मौजूद है।
पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के लिए अनियमित मासिक धर्म एक गंभीर चिंता का विषय है। आयुर्वेद मासिक धर्म प्रवाह को नियमित करने के लिए उपचार प्रदान करता है। दशमूलारिष्ट, पुष्यानुगा चूर्ण और कुमार्यासव जैसे हर्बल फॉर्मूलेशन का उपयोग हार्मोन को संतुलित करने के लिए किया जाता है।
पीसीओएस भारत में महिलाओं के स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता के लिए चुनौतियां खड़ी करता है। हालांकी इस समस्या को दूर करने के लिए कई प्रकार के अलोपेथिक उपचार उपलब्ध हैं। आयुर्वेद जीवनशैली में संशोधन लाता हैं। हर्बल नुस्खों के माध्यम से मूल कारणों को संबोधित करके पीसीओएस के उपचार के लिए एक अनूठा दृष्टिकोण प्रदान करता है।
आयुर्वेदिक हर्ब न केवल बीमारी का इलाज करता है, बल्कि शरीर को सुरक्षा भी प्रदान करता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
आयुर्वेद के अनुसार, पीसीओएस मुख्य रूप से कफ और वात दोषों के असंतुलन के कारण होता है। इसका उपचार आहार और जीवनशैली में लाए जाने वाले बदलावों पर केंद्रित है। हर्बल और कायाकल्प उपचारों के माध्यम से इन दोषों को दूर किया जा सकता है।
इसमें 49 जड़ी-बूटियां ऐसी हैं, जो पीसीओएस की समस्या को दूर करने में मदद कर सकती हैं। गिलोय, कंचनार, वरुण, शिलाजीत, त्रिकटु, त्रिजटा, बिल्वपत्र, अश्वगंधा व हल्दी। इसके अलावा अमलकी, मेथिका, विजयसार, अवर्तकी, जामुन, मेषश्रृंगी, मामेजवा, सप्तरंगी, नीम, करेला।
वहीं यशदा भस्म, कुटज, पटोल, कुटकी, अशोक, लोध्र, त्रिफला, हरीतकी, गिलोय, पटरंगा, आम्र बीज व सुपारी। साथ ही मुस्तक, दारुहरिद्रा, पाठा, जम्बू, लज्जलु, मोचरासा, उत्पला, वासा, कुटज, खदिरा, जीरक, गोक्षुर, शतावरी, मुसली, कुटकी, गारिका, गोदंती भस्म, लौह भस्म।
कंचनार की तासीर ठंडी होती है। यह कफ और पित्त को ठीक करता है। कृमि, कुष्ठ, थायराइड संबंधी विकारों और व्रण को ठीक करता है। इसका फूल लघु रुक्ष है तथा रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर, क्षीणता तथा खांसी को दूर करता है।
इस मामले में अंडाशय असामान्य रूप से उच्च स्तर के एण्ड्रोजन का उत्पादन करते हैं। एण्ड्रोजन पुरुष सेक्स हार्मोन हैं। ये आमतौर पर महिलाओं में लघु मात्रा में मौजूद होते हैं। गिलोय पीसीओएस के लक्षणों को रोकने में भी मदद करता है।
हल्दी रोज़मर्रा के भोजन पकाने में इस्तेमाल किया जाने वाला मसाला है। इसमें करक्यूमिन नामक तत्व पाया जाता है, जो एक रसायन होता हैं। इसके अलावा शक्तिशाली सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव प्रदर्शित करता है। पीसीओएस में हल्दी सूजन को कम करने, मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने में मदद कर सकती है। यह वेट मैनेजमेंट में भी सहायक है।
पीसीओएस से निपटने के लिए आयुर्वेद संतुलित आहार और जीवनशैली के महत्व पर जोर दिया जाना चाहिए। इसमें संपूर्ण खाद्य पदार्थों का सेवन करने की हिदायत दी जाती है। इसके अलावा शुगर बेस्ड खाद्य पदार्थों से परहेज़ करना और चिकित्सीय गुणों वाली जड़ी.बूटियों डाइट में शामिल करना चाहिए।
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