घर-बाहर की जिम्मेदारियों के कारण हमारे पास समय कम होता है।काम (work) और फिटनेस (Fitness) दोनों हमारी प्रायोरिटी में होते हैं। हम चाहते हैं कि काम और फिटनेस के लिए जरूरी योगासन दोनों मुस्तैदी के साथ हो। साथ ही हर महीने आने वाले पीरियड के दौरान पीरियड क्रेम्प्स भी नहीं हो। कुछ ऐसे आसन हों, जो कम समय में किये जा सकें और पीरियड क्रैम्प्स और पीसीओडी (Poly Cystic Ovary Disorder) की दिक्कतों से भी राहत दिला सके। इसके बारे में यहां योग टीचर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर स्मृति इन आसनों के बारे में बता रही हैं। ये आसन कम समय में और आसानी से दीवार के सहारे (Wall yoga poses) किये जा सकते हैं। पर क्या सचमुच एक्सरसाइज पीरियड को आसान बना सकते हैं? आइये सबसे पहले इसके बारे में जानते हैं।
जब हम योगासन (Yoga Asanas) या वर्कआउट (Workout) करते हैं, तो इस दौरान फील-गुड हार्मोन एंडोर्फिन हॉर्मोन का सीक्रेशन होता है। यह दर्द को कम करता है। योगाभ्यास या वर्कआउट के दौरान शरीर हिलता-डुलता है। इससे शरीर में रक्त संचार सुचारू रूप हो पाता है। इससे पीरियड क्रेम्प्स कम होने में मदद मिलती है। इससे स्ट्रेस और एंग्जाइटी लेवल भी कम हो पाता है।
पीरियड के दौरान वाकिंग जैसे मध्यम-तीव्रता वाले एरोबिक एक्सरसाइज सही रहते हैं। वेट लिफ्टिंग, दौड़ना, स्क्वैट्स, जंपिंग जैक आदि जैसे हाई इंटेंसिटी वाले वर्कआउट नहीं करना चाहिए। ये ब्लड फ्लो को प्रभावित कर सकते हैं। ये हार्मोन को बाधित करने के साथ-साथ हेवी फ्लो का कारण बन सकते हैं। पीरियड के दौरान कुछ योगसन ब्लोटिंग और मूड स्विंग जैसे सामान्य लक्षणों को कम करने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है।
पैरों की सूजन को कम करने के लिए लेग्स-अप-द-वॉल (Legs Up The Wall Asanas) बढ़िया आसन है। जब पूरे दिन खड़े या बैठे रहना पड़ता है, तो पैर सूज (Swelling) सकते हैं। इस दौरान शरीर में ब्लड सर्कुलेशन अच्छी तरह से नहीं हो पाता है। इस स्थिति में पैरों को ऊपर उठाने से राहत मिलती है। पैरों में खून का जमाव होने से बचाव होता है।
स्मृति अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में इन आसनों के बारे में बताती हैं। स्मृति के अनुसार, सभी आसनों में सामान्यसांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया सामान्य होनी चाहिए।
योग मैट पर लेट जाएं।
पैरों को दीवार के सहारे ऊपर की ओर कर लें।
इस अवस्था में 2-5 मिनट तक रह सकती हैं।
इस दौरान आपके पैर बिल्कुल स्ट्रेट होने चाहिए। इससे ब्लड सर्कुलेशन सही तरीके से होता है।
(स्लिप डिस्क के मरीज इसे न करें)
पैरों को दीवार के सहारे ऊपर की ओर कर लें।
पैर स्ट्रेट रखें।
फिर दोनों टांगों को हाथ से सहारा देकर जितना हो सके फैलाएं।
इस अवस्था में थोड़ी देर तक रहा जा सकता है।
इससे शरीर में लचीलापन आने के साथ-साथ फर्टिलिटी में भी मदद मिलती है।
यह आसन सभी द्वारा किया जा सकता है।
पैरों को दीवार के सहारे (Wall yoga poses) ऊपर की ओर कर लें।
पैर स्ट्रेट रखें।
पैर को दीवार के सहारे लगाकर घुटने से थोड़ा मोड़ें।
कमर के नीचे हाथ रखकर धड़ को ऊपर उठाने की कोशिश करें।
इस अवस्था में थोड़ी देर रहें।
थायरायड, बाल झड़ने की समस्या से राहत मिलती है। स्किन चमकदार होती है।
सर्वाइकल की समस्या हो तो न करें ।
दीवार के सहारे घुटनों को मोड़ते हुए जिस तरह तितली आसन करती हैं, धीरे-धीरे करें।
यह सभी के लिए सुरक्षित है। पीरियड क्रैम्प से राहत मिलती है। इमोशनल ब्लॉकेज, थकान और एंग्जायटी कम हो पाती है।
स्मृति कहती हैं, ‘ये पारंपरिक योग मुद्राएं हैं, जिन्हें उपचार प्राप्त करने के लिए बेहतर तरीके से दीवार के सहारे किया जा सकता है।सिर्फ अपनी सांसों पर ध्यान देना है।’
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