वर्ष 2014 में बेल्जियम के लौवेन यूनिवर्सिटी के सेक्सोलॉजी और फैमिली साइंस डिपार्टमेंट में 18 से 67 वर्ष आयु की 251 महिलाओं पर ऑर्गेज्म के लिए स्टडी की गई। इस स्टडी के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि ऑर्गेज्म हासिल करने में महिलाओं का दिमाग और कॉन्सनट्रेशन अहम भूमिका निभाते हैं।
स्टडी में शामिल 176 महिलाओं ने खुद को ऑर्गेज्म हासिल करने वाले के रूप में परिभाषित किया था। इसका मतलब यह हुआ कि उन्हें नियमित रूप से सेक्स के दौरान ऑर्गेज्म होता था। इस शोध में 75 ऐसी महिलाएं भी शामिल हुईं, जिन्हें ऑर्गेज़्म हासिल नहीं हो पाता था। इसका मतलब यह हुआ कि उन्होंने अपने पार्टनर के साथ यौन संबंध के दौरान सेक्सुअल डिजायर तक पहुंचने में कठिनाई होने की सूचना दी थी।
अध्ययन में शामिल सभी महिलाएं सेक्सुअली एक्टिव थीं। उन्होंने महीने में 90 बार सेक्स किया था, जिनमें लगभग 90 प्रतिशत महिलाएं हेटेरोसेक्सुअल थीं।
स्टडी के अनुसार, जिन महिलाओं को लगातार ऑर्गेज्म का सुख मिला, वे इंटरकोर्स के दौरान इधर-उधर की बातें सोचने की बजाय शारीरिक सेंसेशन पर ध्यान दे रहीं थीं। इंटरकोर्स के दौरान उन्हें उत्तेजित होने वाले अधिक ख्याल आए थे।
जिन महिलाओं को ऑर्गेज्म का सुख नहीं मिला था, उन्होंने बॉडी सेंसेशन या सेक्स पर माइंड कॉन्सन्ट्रेट करने की बजाय घर-ऑफिस की बातों को अपने दिमाग में लाया। वहीं जब सभी महिलाओं ने पार्टनर की बजाय स्वयं को उत्तेजित करने का उपक्रम किया, तो उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आई। अध्ययन में यह बात भी सामने आई कि महिलाएं पार्टनर के रूप और वजन को लेकर भी विचलित दिखीं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि सेक्स के दौरान कामुक विचारों की कमी और महिलाओं के लिए सेक्सुअल डिजायर तक पहुंचने में कठिनाई के बीच एक कड़ी मिली। जिन महिलाओं को ऑर्गेज्म तक पहुंचने में कठिनाई होती थी, वे सेक्स के दौरान उन विचारों से अधिक विचलित हुईं, जो सेक्स से संबंधित नहीं थे।
वे जीवन की दूसरी बातों को अपने दिमाग में ला रही थीं। साथ ही यह भी देखा गया कि कम उम्र की महिलाओं की अपेक्षा बड़ी उम्र की महिलाओं को ऑर्गेज्म सुख अधिक मिल रहा था। इसका अर्थ यह लगाया गया कि अनुभव बढ़ने पर आर्गेज्म मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है।
कामसूत्र में भी महिलाओं में चरमानंद पाने में मन को महत्वपूर्ण माना गया है। इसके अनुसार, जब तक महिला सेक्स पर अपना माइंड कॉन्सन्ट्रेट नहीं कर पाती, तब तक उसे सेक्सुअल डिजायर हासिल नहीं हो सकता।
इसके लिए पार्टनर को भी प्रयास करना होगा। उसे अपनी साफ-सफाई, वजन आदि का भी ख्याल रखना होगा। संभवत: इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण परिवेश में आज भी पति-पत्नी से मिलने से पहले इत्र आदि का छिड़काव करते हैं।
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