इन दिनों ग्रीन टी पीने का चलन बड़ी तेजी से बढ़ा है। यह स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले कंपाउंड से भरी होती है। नियमित रूप से ग्रीन टी पीने से वेट लॉस (Weight Loss), मधुमेह (Diabetes), हृदय रोग (Heart Disease) और कैंसर (Cancer) सहित कई बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। लेकिन यह प्रजनन स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। शोध बताते हैं कि ग्रीन टी प्रजनन स्वास्थ्य (Reproductive Health) के लिए भी लाभदायक है। यह फर्टिलिटी बढ़ा (green tea benefits for fertility) सकती है। साथ ही यह आपके यौन जीवन को भी सकारात्मक तरीके से प्रभावित करती है।
नुट्रीएंट जर्नल में प्रकाशित ग्रीन टी के प्रभावों पर शोध आलेख को पबमेड सेंट्रल में भी शामिल किया गया। चाइना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता वाई हुआंग, ली जू की टीम ने ग्रीन टी के स्पर्म पर प्रभाव पर शोध किया। इसके अनुसार शुक्राणु कोशिकाएं रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज (Reactive Oxygen Species) के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती हैं। ये सेलुलर ऑक्सीकरण के दौरान उत्पन्न होती हैं। आरओएस का स्तर घटने पर कोशिकाएं एंटीऑक्सीडेंट की प्रतिक्रिया घटा देती है। इसके परिणामस्वरूप ऑक्सीडेटिव तनाव (Oxidative Stress) होता है। इससे शुक्राणु मोर्टेलिटी (Sperm Mortality) कम हो जाती है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण कई प्रभाव उत्पन्न होते हैं। इनमें एपोप्टोसिस में वृद्धि, मोशन पैरामीटर में कमी और स्पर्म इंटीग्रिटी में कमी भी शामिल हैं। शोध बताते हैं कि ग्रीन टी में पॉलीफेनोल्स गुण होते हैं। ये मेल और फीमेल गेमेट की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं। पॉलीफेनोल्स में मौजूद कैटेचिन ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करता है।
पॉलीफेनोल्स में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो स्पर्म कंसन्ट्रेशन, गतिशीलता (motility), आकृति विज्ञान (morphology), डीएनए क्षति (DNA damage), प्रजनन दर (fertility rate) और युग्मक गुणवत्ता (gamete quality) में सुधार करते हैं। इस तरह ग्रीन टी प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार कर सकती हैं।
यह आपके यौन जीवन में सुधार कर बांझपन संबंधी समस्याओं से निपटने में भी मददगार हो सकती है।
ग्रीन टी पॉलीफेनोल्स विशेष रूप से एपिगैलोकैटेचिन गैलेट में कई लाभकारी गुण होते हैं। इनमें एंटी-कैंसर, एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-डायबिटिक, एंटी-हाइपरटेंसिव, एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-मेटाबोलिक सिंड्रोम शामिल हैं। ग्रीन टी के नियमित सेवन से महिलाओं में डिम्बग्रंथि (Ovarian Cancer) के कैंसर का खतरा कम होता है। ये सेल के फ्री रेडिकल्स को खत्म करने का कार्य करते हैं। इससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होता है और स्पर्म की क्वालिटी अच्छी हो पाती है। यह पूरी तरह साबित हो चुका है कि सेमिनल प्लाज्मा में मौजूद पॉलीफेनोल्स नेचुरल एंटीऑक्सिडेंट का काम करते हैं।
कई स्टडी बताती है कि विटामिन ई प्लाज्मा झिल्ली में प्रमुख एंटीऑक्सीडेंट है। क्योंकि यह लिपिड के पेरोक्सीडेशन का विरोध करता है और स्पर्म की की गतिशीलता बनाये रखता है। यह फ्री रेडिकल को भी निष्क्रिय करता है। सेलुलर प्लाज्मा को O2 फ्री रेडिकल्स से बचाता है। आरओएस के उत्पादन को रोकता है। क्रायोप्रिजर्वेशन के दौरान विटामिन ई प्रभावी रूप से स्पर्म को को संरक्षित कर सकता है। विटामिन ई और विटामिन सी सामूहिक रूप से स्पर्म डीएनए क्षति वाले रोगियों में इंट्रा-साइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन की सफलता दर को बढ़ाते हैं। ये डीएनए हानि को भी कम कर सकते हैं।
यदि आपको ग्रीन टी पीना अच्छा लगता है, तो रोज 3 से 4 कप ग्रीन टी पी सकती हैं। इससे रिप्रोडक्टिव सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा। ध्यान रहे कि कभी खाली पेट ग्रीन टी नहीं पियें। इससे पेट खराब होने की संभावना बनने लगती है। ग्रीन टी के मुख्य कंपाउंड पॉलीफेनोल्स में टैनिन मौजूद होता है।
यह पेट के एसिड को बढ़ाता है। इससे पेट में दर्द, उल्टी-दस्त, जलन या कब्ज भी हो सकता है। यदि आप ग्रीन टी लेना चाहती हैं, तो भोजन के बीच या भोजन के बाद ग्रीन टी पी सकती हैं।
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