क्या पीसीओएस सिर्फ मोटी लड़कियों को ही होता है? एक्सपर्ट दे रहीं हैं पीसीओए से जुड़े कुछ कॉमन मिथ्स के जवाब

जानकारी की कमी के कारण ज्यादातर महिलाओं के मन में पीसीओएस से जुड़ी कई अवधारणाएं बनी हुई हैं, जिसे लेकर वे अक्सर चिंतित रहा करती हैं। इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं, ऐसी ही कुछ मिथ की सच्चाई।
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पीसीओएस से जुड़े कुछ सामान्य मिथ और उनसे जुड़े फैक्ट्स। चित्र:शटरस्टॉक
अंजलि कुमारी Updated: 18 Oct 2023, 10:05 am IST
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पीसीओएस यानी कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की स्थिति आजकल बहुत सी महिलाओं में देखने को मिल रही है। पीसीओएस रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी एक समस्या है जो हार्मोनल संतुलन के कारण होती है। इस स्थिति में रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़े लक्षण के साथ ही कई अन्य शारिरिक समस्याएं भी नजर आती हैं। हालांकि, जानकारी की कमी के कारण ज्यादातर महिलाओं के मन में पीसीओएस से जुड़ी कई अवधारणाएं बनी हुई हैं, जिसे लेकर वे अक्सर चिंतित रहा करती हैं। इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं, ऐसी ही कुछ मिथ की सच्चाई (myths and facts about PCOS)।

मैत्री वुमन की संस्थापक, सीनियर कंसलटेंट गायनोकोलॉजिस्ट और ऑब्सटेट्रिशियन डॉक्टर अंजलि कुमार से सलाह ली। डॉक्टर ने पीसीओएस से जुड़ी कुछ सामान्य अवधारणाओं की सच्चाई बताई है, तो चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से (myths and facts about PCOS)।

यहां हैं पीसीओएस से जुड़े कुछ सामान्य मिथ और उनसे जुड़े फैक्ट्स

मिथ 1: पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं प्रेगनेंट नहीं हो सकती।

डॉक्टर अंजलि कुमार के अनुसार पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं भी प्रेग्नेंट हो सकती हैं। इस स्थिति में महिलाओं को सामान्य महिलाओं की तुलना में अधिक और कुछ विशेष परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जिसके लिए उन्हें अधिक देखभाल और मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है। परंतु पीसीओएस के बाबजूद भी महिलाएं मां बन सकती हैं। यदि आपको पीसीओएस है तो कंसीव करने से पहले अपने डॉक्टर की राय लें और उनके इंस्ट्रक्शंस को फॉलो कर आप आसानी से प्रेग्नेंट हो सकती हैं।

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पीसीओएस के कारण रोगग्रस्त महिलाएं इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध प्रदर्शित करने लगती हैं।चित्र : अडॉबीस्टॉक

मिथ 2: पीसीओएस केवल ओवरवेट महिलाओं को प्रभावित करता है।

पीसीओएस से पीड़ित ज्यादातर महिलाएं ओवर वेट और ओबेसिटी की शिकार हैं। वहीं मोटापा पीसीओएस में नजर आने वाले लक्षण को अधिक बढ़ा देता है। परंतु ऐसा नहीं है कि पीसीओएस की समस्या महिला के वजन और आकार पर निर्धारित होती है। यह किसी भी शेप और साइज की महिला को प्रभावित कर सकता है। जब शरीर इंसुलिन को पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पता है, तो इस स्थिति में वजन बढ़ाने का खतरा अधिक होता है। जो की पीसीओएस का कारण बन सकता है। इस स्थिति को अवॉइड करने के लिए स्वस्थ व संतुलित खानपान की सलाह दी जाती है।

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मिथ 3: यदि आपकी मेंस्ट्रुअल साइकिल इरेगुलर है, तो आप पीसीओएस की शिकार हैं।

अनियमित पीरियड्स के कई कारण हो सकते हैं, वहीं पीसीओएस उनमें से एक है। एक सामान्य साइकिल 21 से 35 दिन का होता है, वहीं ब्रेस्ट फीडिंग, अधिक डाइटिंग, जरूर से ज्यादा शारीरिक गतिविधियों में भाग लेना, पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज, यूटरिन फाइब्रॉयड और थायराइड डिसऑर्डर जैसी स्थितियां भी इरेगुलर पीरियड का कारण बन सकती हैं। वहीं स्ट्रेस भी मेंस्ट्रूअल साइकिल को प्रभावित करता है। आपका पीरियड इरेगुलर रहता है, तो इसे पीसीओएस समझने की जगह अपने गाइनेकोलॉजिस्ट से मिलें और जरूरी जांच करवा इस विषय पर सलाह लें।

मिथ 4: पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं ग्लूटेन नहीं ले सकती।

ग्लूटेन एक प्रकार का प्रोटीन है जो कुछ प्रकार के अनाज में पाया जाता है। डॉक्टर के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को ग्लूटेन से एलर्जी है, तो उन्हें इस अवॉइड करना चाहिए। परंतु जब तक की आपको साइंटिफिक रूप से ग्लूटेन से एलर्जी नहीं हो रही है, तो इसे अवॉइड करने की आवश्यकता नहीं होती। लगभग सभी महिलाएं रोटी और चपाती लेती हैं, इसका मतलब यह नहीं की सभी महिलाओं को पीसीओएस कि समस्या हो जाए। वहीं चाहे आपको पीसीओएस हो या नहीं यदि आपके डॉक्टर कह रहे हैं कि आप ग्लूटेन सेंसिटिव हैं, तो आपको इससे जरूर परहेज करना चाहिए।

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पीसीओएस या पीसीओडी होने के कारणों का पता अभी तक पूरी तरह नहीं लगाया जा सका है। चित्र: शटरस्टॉक

मिथ 5: पीसीओएस में इन्सुलिन रेजिस्टेंस वेट गेन का कारण बनता है।

पीसीओएस से ग्रसित अधिकतर महिलाएं ओवरवेट होती हैं। परंतु इसका असल कारण क्या है इसे लेकर अभी तक स्पष्ट पुष्टि नहीं की गई है। शरीर में अधिक मात्रा में इंसुलिन का होना वेट गेन का कारण बनता है, परंतु पीसीओएस कई अन्य कारणों से भी हो सकता है, जिसका इंसुलिन के साथ किसी प्रकार का संबंध नहीं होता। इसीलिए जरूरी नहीं की पीसीओएस आपके बढ़ते वजन का कारण हो।

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इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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