हार्मोन बॉडी में मौजूद केमिकल्स हैं, जो ब्लड के माध्यम से आपके ऑर्गन, स्किन, मांसपेशियों और अन्य बॉडी टिश्यू को मैसेज पहुंचाते हैं, साथ ही यह बॉडी के अन्य फंक्शन को रेगुलेट करते हैं। हॉर्मोन्स आपके शरीर को बताते हैं कि क्या करना है और कब करना है। एक स्वस्थ और संतुलित जीवन के लिए हॉर्मोनल बैलेंस आवश्यक है।
कई बार शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और वातावरण से जुड़े कारकों की वजह से हॉर्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं, जिसकी वजह से स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इन परेशानियों से बचने के लिए सबसे जरूरी है हार्मोनल असंतुलन में होने वाले शारीरिक संकेतों की सही जानकारी होना। जब आप किसी समस्या को पहचानेंगी तब ही इसका समाधान कर सकती हैं।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर सीके बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम की ऑब्सटेट्रिक्स और गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर आस्था दयाल से बात की। डॉक्टर ने हार्मोनल असंतुलन के कुछ संकेत बताये हैं, साथ ही उन्होंने इन सकेतों (Hormonal imbalancing signs) को भूलकर भी नजरअंदाज नहीं करने की सलाह दी है।
डायबिटीज में, आपका पैंक्रियाज इंसुलिन हार्मोन का बिल्कुल या पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं करता है या आपका शरीर इसका ठीक से उपयोग नहीं कर पाता। मधुमेह कई प्रकार के होते हैं, सबसे आम हैं टाइप 2 डायबिटीज, टाइप 1 मधुमेह और गेस्टेशनल डायबिटीज। डायबिटीज की स्थिति में उपचार की आवश्यकता होती है।
आपके शरीर में मौजूद हॉर्मोन्स आपके भूख और खाने की लालसा को संतुलित रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में जब हॉर्मोन्स असंतुलित हो जाए तो बॉडी को असामान्य रूप से खाने की क्रेविंग्स हो सकती है जिसकी वजह से हम अधिक मात्रा में कैलोरी इंटेक करते हैं। बॉडी और आपके शरीर को ऊर्जा का उपयोग करने के लिए हॉर्मोन्स की आवद्यकता होती है ऐसे में कुछ हार्मोन के असंतुलित होने के कारण ऊर्जा का निर्माण नहीं होपता परिणामस्वरूप शरीर में एक्स्ट्रा फैट जमा होम लगता है। उदाहरण के लिए, अतिरिक्त कोर्टिसोल (एक हार्मोन) और कम थायराइड हार्मोन (हाइपोथायरायडिज्म) मोटापे में योगदान कर सकते हैं।
एक्ने मुख्य रूप से बंद पोर्स के कारण होते हैं, जबकि कई कारक एक्ने के विकास में योगदान करते हैं। हार्मोन में उतार-चढ़ाव, विशेष रूप से प्यूबर्टी के दौरान, एक्ने होने का एक महत्वपूर्ण कारण है। प्यूबर्टी के दौरान हार्मोन के एक्टिव होने पर आपके चेहरे की त्वचा सहित ऑयल ग्लैंड्स भी उत्तेजित हो जाते हैं।
वहीं हार्मोनल एक्ने तब विकसित होते हैं जब हार्मोनल परिवर्तन से आपकी त्वचा द्वारा उत्पादित तेल की मात्रा बढ़ जाती है। यह विशेष रूप से गर्भावस्था और मेनोपॉज के दौरान और उन लोगों के लिए आम है जो टेस्टोस्टेरोन थेरेपी ले रहे हैं।
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मेंस्ट्रूअल साइकिल में कई हार्मोन शामिल होते हैं। इसके कारण, उनमें से किसी एक या कई हार्मोनों में असंतुलन अनियमित मासिक धर्म का कारण बन सकता है। विशिष्ट हार्मोन-संबंधी स्थितियां जो अनियमित मासिक धर्म का कारण बनती हैं उनमें पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) और एमेनोरिया शामिल हैं।
हार्मोनल असंतुलन खासकर महिलाओं में इनफर्टिलिटी का एक प्रमुख कारण है। पीसीओएस और एनोव्यूलेशन जैसी हार्मोन संबंधी स्थितियां इनफर्टिलिटी का कारण बन सकती हैं। वहीं पुरुषों में भी हार्मोनल असंतुलन हो सकता हैं जो प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं, जैसे कम टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन (हाइपोगोनाडिज्म)। हार्मोनल संतुलन सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए वेहद मायने रखता है।
शरीर में थयरॉइड हॉर्मोन की मात्रा के बढ़ने से एंग्जाइटी, अधिक गर्मी लगना, पसीना आना, असामान्य रूप से वजन घटना और हार्ट रेट बढ़ने जैसे संकेत नजर आ सकते हैं। वहीं यदि आपका थयरॉइड हॉर्मोन कम है तो ऐसे में वेट गेन, आलास और थकान का अनुभव हो सकता है।
कुछ स्थितियां जैसे कि मेनोपॉज के दौरान फीमेल हार्मोस कम होने लग जाते हैं जिसकी वजह से आपको हॉट फ्लैशेज होते हैं, एकदम से गर्मी लगती है, मूड स्विंग्स होते हैं और वेजाइना में ड्राइनेस हो सकता है। बार-बार यूरिनेशन की एजेंसी हो सकती है और यौन ड्राइव कम हो सकता है।
नोट : हार्मोनल असंतुलन की स्थिति में सबसे महत्वपूर्ण इसे संतुलित रखने के लिए जरुरी गतिविधियों पर ध्यान देना। नियमित रूप से उचित खान पान पर ध्यान देने के साथ ही कुछ जरुरी योग और एक्सरसाइज करें। इसके साथ ही उचित नींद लेना महत्वपूर्ण है, वहीं तनाव की स्थिति में स्ट्रेस मैनेजमेंट पर काम करें। स्मोकिंग, अल्कोहल और अन्य सभी नशीले पदार्थों से दुरी बनाएं रखें।
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