क्लाइटोरिस में पियरसिंग यानी छिदवाना सुनने में ही काफी डरावना लगता है, लेकिन आपको जानकर अचरज होगा कि कितनी महिलाएं इस ट्रेंड के पीछे भाग रही हैं। सिर्फ ट्रेंड के लिए ही नहीं, कुछ महिलाओं का मानना है कि वेजाइना पियरसिंग करवाने से उन्हें बेहतर ऑर्गेज्म प्राप्त होगा। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें यह बिल्कुल झूठ धारणा है।
जेनाइटल पियरसिंग में भी विभिन्न ऑप्शन हैं, जैसे लेबिया पियरसिंग, क्लिट पियरसिंग, ऐनल या वेजाइना पियरसिंग। हमने जाना अपोलो क्लीनिक, पुणे की गायनोकॉलोजिस्ट डॉ दीप्ति कुर्मी से इस ट्रेंड के बारे में सभी कुछ।
डॉ कुर्मी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया कि कोई भी गायनोकॉलोजिस्ट कभी भी जेनाइटल एरिया में पियरसिंग का सुझाव नहीं देगा क्योंकि इसके बहुत नुकसान होते हैं। यह दुष्प्रभाव शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म दोनों ही होते हैं।
डॉ कुर्मी कहती हैं,”सबसे पहले तो आपको तुरन्त ही अत्यधिक दर्द, ब्लीडिंग, खुजली, रैशेस और बुखार होगा। बड़ी समस्या तब होती है जब पियरसिंग के वक्त कोई गलती हो जाए या करने वाला व्यक्ति अच्छी तरह सीखा हुआ न हो। ऐसी स्थिति में सर्जरी करवानी पड़ती है और यह आसान नहीं होता है।”
वेजाइनल एरिया छिदवाते वक्त आपके इंटिमेट एरिया को छुआ ही जाता है, चाहे वह इक्विपमेंट हों या हाथ। कोई भी गन्दी या बिना सैनिटाइज की हुई चीज आपकी वेजाइना में कई प्रकार के संक्रमण फैला सकती है। इसमें सबसे ज्यादा सम्भावना UTI की होती है।
डॉ कुर्मी बताती हैं, “यह संक्रमण भयानक होता है और बार-बार वापस आ सकता है। इसके कारण किडनी पर भी असर पड़ता है और रीनल फेलियर की भी सम्भावना होती है।”
आपकी क्लाइटोरिस पर बहुत सारी नसें होती हैं, यही कारण है कि आप क्लाइटोरिस से उत्तेजित हो सकते हैं। पियरसिंग करवाने से नसें खराब हो जाती हैं और आपको सेक्सुअल आनंद प्राप्त होना या तो कम हो जाता है या पूरी तरह बन्द हो जाता है।
जी हां, पियरसिंग के कारण आपका सेक्स दर्दनाक हो सकता है।
“इंटरकोर्स के दौरान जेनाइटल हिस्से में बहुत रगड़ पैदा होती है। कई बार रफ सेक्स के कारण आपको दर्द भी होता है। पियरसिंग के कारण यह दर्द कई गुना बढ़ जाता है। कई बार तो ब्लीडिंग भी होने लगती है। यह बहुत दर्दनाक हो सकता है।”
डॉ कुर्मी बताती हैं,”पियरसिंग के बाद आप जो भी पहनोगी, वह सोना तो नहीं होगा, तांबा या पीतल ही होगा। इंटिमेट एरिया की त्वचा बहुत नाजुक होती है। ऐसे में डर्मेटाइटिस की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।”
पियरसिंग के तुरन्त बाद यह समस्या नहीं आती, लेकिन समय के साथ उस हिस्से में स्कार टिश्यू बनने लगता है। इसके कारण आपका यूरेथ्रा भी ब्लॉक होने लगता है और पेशाब करना मुश्किल हो जाता है। आगे चल कर डिलीवरी के समय भी यह स्कार टिश्यू बहुत समस्या खड़ी कर सकता है।
पियरसिंग के कारण हेपेटाइटिस बी, सी और यहां तक कि HIV की भी सम्भावना होती है। पियरसिंग के दौरान ही नहीं बाद में भी आपकी वेजाइना में इंफेक्शन लग सकता है, खासकर अगर घाव भरने में समय लगे। आपकी पियरसिंग का घाव हर तरह के बैक्टीरिया और वायरस का घर बन सकता है।
हम महिलाओं के जेनाइटल हिस्से में तीन ओपनिंग होती हैं- पेशाब के लिए यूरेथ्रा, पीरियड्स के दौरान खून के लिए वेजाइना और सॉलिड वेस्ट के लिए ऐनस। यह तीनों मिलाकर फिस्टुला कहलाती हैं। वेजाइना पियरसिंग के दौरान सिर्फ वेजाइना ही नहीं पूरे फिस्टुला में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। और इसका इलाज केवल सर्जरी होता है जो कि बहुत रिस्की होता है।
“इन सभी खतरों के साथ-साथ पियरसिंग के मनोवैज्ञानिक परिणाम भी होते हैं। इस दौरान भयानक दर्द होता है जो किसी सदमे से कम नहीं होता। अधिकतर महिलाएं अपने इस निर्णय पर पछताती हैं। कई महिलाओं में पोस्ट ट्रॉमेटिक सिंड्रोम भी आ जाता है। इसलिए ऐसा निर्णय लेने से पहले कई बार सोच लेना चाहिए”, कहती हैं डॉ कुर्मी।
तो लेडीज, वेजाइनल पियरसिंग जैसा बड़ा निर्णय सिर्फ ट्रेंड के लिए लेना ठीक नहीं। ऐसा करने से पहले दो बार सोचें।