आज भी सेक्स शब्द का जिक्र टैबू की तरह ही होता है। सच यह है कि सेक्स के स्वास्थ्य के लिए ढेरों फायदे हैं और इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाई जानी चाहिए।
मूड सुधारने से लेकर दर्द कम करने तक, सेक्स बहुत सी समस्याओं का इलाज है क्योंकि यह हैप्पी हॉर्मोन डोपामीन को बढ़ाता है।
टेक्नोलॉजी ने इस क्षेत्र में भी बहुत से बदलाव किए हैं और वर्चुअल सेक्स आज के समय मे बहुत आम हो गया है। पॉर्न, चैट रूम सेक्स इत्यादि वर्चुअल सेक्स का उदाहरण हैं।
“वर्चुअल सेक्स इस माहामारी मे कपल्स के लिए वरदान से कम नहीं है। इसके साथ ही वर्चुअल सेक्स उनके लिए बिल्कुल सामान्य है जिन्होंने जीवन में सेक्स कर रखा है और जानते हैं यह पूरी प्रक्रिया कैसे होती है। लेकिन जब बात आती है पहली बार कर रहे लोगों की, तो वर्चुअल सेक्स असुरक्षित है। क्योंकि यह उनके मन में सेक्स की छवि को बिगाड़ सकता है।”, समझाते हैं मुंबई के वॉकहार्ड हॉस्पिटल के साइकेट्रिस्ट डॉ राहुल खेमाणि।
ये हैं वे 5 तरीके जिनसे वर्चुअल सेक्स आपके लिए हानिकारक हो सकता है:
जर्नल ऑफ सेक्स एंड मैरिटल थेरेपी में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, बहुत अधिक वर्चुअल सेक्स सेक्सुअल डिस्फंक्शन का कारण बन सकता है। यह जेनाइटल डिसऑर्डर के पीछे सबसे बड़ा कारण है। पुरुषों में यह प्रीमैच्योर एजेक्युलेशन या इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का कारण बनता है। वहीं महिलाओं में वर्चुअल सेक्स करने से ऑर्गेज़्म लेट और मुश्किल हो सकता है।
पॉर्न और असल सेक्स में बहुत फर्क होता है। लेकिन जब आप बहुत अधिक पॉर्न देखते हैं और असल में उसे सच होते नहीं पाते हैं, तो इससे परफॉर्मेंस एंग्जायटी भी हो सकती है।
वह बताते हैं, “समस्या तब होती है जब आप असल जीवन में सेक्स करते हैं। आपने जो देख रखा है, आपके दिमाग में वही चलता है और आप जो हो रहा है उसे एन्जॉय नहीं कर पाते।”
जब आपके दिमाग में वर्चुअल सेक्स होता है, आप हर संभव प्रयास करते हैं। इससे आप अपने परिवार और दोस्तों को समय नहीं देते।
इससे भी बड़ी समस्या यह है कि वर्चुअल सेक्स आपके जीवन मे असल सेक्स की जगह ले लेता है। यकीन मानें, शारीरिक स्पर्श और बॉन्डिंग बहुत आवश्यक है, जो वर्चुअल सेक्स में नहीं मिलती है।
डॉ. खेमाणि बताते हैं, “मेरे अनुभव में, मैंने लोगों को वर्चुअल सेक्स के कारण अलग होते और तलाक लेते हुए भी देखा है। वर्चुअल सेक्स के कारण असंतुष्टि की भावना बहुत अधिक देखी जा सकती है।”
डॉ. खेमाणि समझाते हैं, “वर्चुअल सेक्स किसी भी व्यक्ति के दिमाग में गलत उम्मीदें बैठा देता है। समस्या शुरू ही यहीं से होती है जब लोगों को लगता है कि वे ऑनलाइन के मुकाबले अच्छा परफॉर्म नहीं कर पा रहे। इससे निराशा होती है। निराशा के कारण व्यक्ति चिड़चिड़ा, गुस्सैल और झक्की हो जाता है।”
जब वर्चुअल सेक्स एक लत का रूप ले लेता है, तब यह आपकी नींद को भी प्रभावित कर सकता है। यह एक जाल की तरह होता है, जहां व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा समय पॉर्न और चैट रूम में बिताने लगता है और नींद से समझौता करता है। नींद की कमी से ध्यान लगाने और याद रखने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है।
डॉ खेमाणि कहते हैं,”वर्चुअल सेक्स तब तक खराब नहीं है जब तक यह आपके हर दिन के काम को प्रभावित ना करे। जब यह एक ओबसेशन बन जाता है तो बहुत समस्या हो जाती है।”
वर्चुअल सेक्स आपकी सेक्सुअल ऊर्जा को केंद्रित करने का अच्छा तरीका है। लेकिन इसको खुद पर हावी ना होने दें।