यह सवाल आपके मन में आया ही होगा, वेजाइना और मानसिक स्वास्थ्य में क्या संबंध है? हमारे मन मे भी यही सवाल था, लेकिन असल मे दोनों में गहरा संबंध है। आप क्या महसूस करती हैं, इसका आपके योनि के स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
अगर आपकी योनि से कोई असामान्य डिस्चार्ज हो रहा है या कोई बेरंग दाग नजर आ रहे हैं तो आपका भावनात्मक स्वास्थ्य भी उसके लिए जिम्मेदार हो सकता है। दरसल, स्ट्रेस और एंग्जायटी के कारण हमारे शरीर में स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसोल बनता है। इससे शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो जाता है। और इसके कारण आपके प्राइवेट पार्ट का भी संतुलन बिगड़ जाता है।
जरूरी है कि आप अपनी वेजाइना के स्वास्थ्य को दैनिक रूप से नोट करती रहें। अगर लक्षण लम्बे समय तक रहें तो किसी गायनोकोलॉजिस्ट से सलाह लें।
ये हैं वे चार तरीके जिनसे आपका मानसिक स्वास्थ्य आपकी योनि को प्रभावित करता है।
एक्सपर्ट बताते हैं कि स्ट्रेस हॉर्मोन वेजाइना के फ्री ग्लाइकोजन और लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया को कम कर देता है। इससे लैक्टिक एसिड और हाइड्रोजन पेरोक्साइड के सिंथेसिस में कमी आती है। इससे वेजाइना का ph स्तर बदल जाता है, जिसके कारण इंफेक्शन आसानी से हो सकते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि आपके स्ट्रेस लेने की आदत के कारण आपको STI हो सकता है। गोनोरिया, क्लैमिडिया, फंगल इंफेक्शन और यहां तक कि HIV का भी रिस्क बढ़ जाता है।
इसलिए आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना है।
गर्भवती महिलाओं में वेजाइना के अस्वस्थ होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। खासकर तब जब स्ट्रेस और एंग्जायटी अधिक हो। कई मामलों में, इससे प्रेगनेंसी सम्बंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। यूटेरस में इंफेक्शन या समय से पहले लेबर इत्यादि की समस्या का कारण भी मानसिक स्वास्थ्य हो सकता है।
कॉर्टिसोल के स्तर में बढ़ोतरी टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम कर देती है। इसके कारण अत्यधिक रूखापन और सेक्स के दौरान दर्द हो सकता है। दुर्भाग्य से, आपकी सेक्स लाइफ के प्रभावित होने पर आपका स्ट्रेस और बढ़ जाता है।
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