शरीर को हेल्दी रखने के लिए सबसे पहले स्वस्थ खानपान की ही बात की जाती है। इससे शरीर तो हेल्दी रहता ही है और महिलाओं में इनफर्टिलिटी का जोखिम भी कम होने लगता है। दरअसल, पिछले कुछ वर्षां में अनियमित डाइट और अनहेल्दी लाइफस्टाइल इनफर्टिलिटी का कारण सिद्ध हुआ है। दिनों दिन ये समस्या बढ़ रही हैं। ऐसे में महिलाओं को रिप्रोडक्टिव हेल्थ को उचित बनाए रखने के लिए होममेड और हेल्दी फूड को चुनना चाहिए। जानते हैं वो कौन से पोषक तत्व है, जिनकी मदद से इनफर्टिलिटी की समस्या को दूर किया जा सकता है (Female fertility nutrients) ।
इस बारे में बातचीत करते हुए सीके बिड़ला अस्पताल, गुरुग्राम में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ आस्था दयाल का कहना है कि पोषण का महिलाओं के जीवन में खास महत्व है। पौष्टिक तत्वों के सेवन से न सिर्फ बढ़ते वज़न को कम किया जा सकता है बल्कि इनफर्टिलिटी को भी इंप्रूव किया जा सकता है। इसके लिए आहार में सामान्य परिवर्तनों का होना आवश्यक है।
आहार में पोषक तत्वों को सम्मिलित करके ओव्यूलेशन में मदद मिलती है। इससे हार्मोन को बैलेंस करने में भी मदद मिलती है। डाइट में न्यूट्रिशन को एड न करने से होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर उसका गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में हेल्दी डाईट और एक्सरसाइज़ को रूटीन में शामिल करने के साथ स्मोकिंग और अल्कोहल इनटेक को बंद करना बेहद ज़रूरी है।
फॉलिक एसिड विटामिन बी 9 होता है, जिसे गर्भावस्था के समय महिलाओं को लेने की सलाह दी जाती है। इसके सेवन से शरीर में रेड ब्लड सेल्स की मरम्मत होती है। ऑस्टिन के टेक्सस फर्टिलिटी सेंटर के अनुसार फॉलेट के सेवन से सेल ग्रोथ में मदद मिलती है। इसके अलावा प्रेगनेंसी के दौरान 400 माइक्रोग्राम फोलेट का सेवन करने से बच्चे में किसी भी प्रकार के ब्रेन और स्पाइन डिफेक्ट का खतरा नहीं रहता है। दवा के अलावा हरी पत्तेदार सब्जियां,संतरा, केला, मशरूम और ओट्स के सेवन से शरीर में फॉलिक एसिड की कमी पूरी होती है।
प्रेगनेंसी से लेकर स्तनपान तक महिलाओं के शरीर में आयरन की भरपूर आवश्यकता होती है। इसके सेवन से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन नियमित होने लगता है। साथ ही रेड ब्लड सेल्स की मात्रा भी बढ़ती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की प्राप्ति होती है। आयरन को नियमित मात्रा में लेने से शरीर में एनीमिया की समस्या से मुक्ति दिलाती है। प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को रोज़ाना 18 मिलीग्राम से 27 मिलीग्राम तक आयरन की आवश्यकता होती है। इससे हीमोग्लोबिन का स्तर उचित बना रहता है। शरीर में मांस, मछली और बीन्स के सेवन से आयरन की कमी पूरी की जा सकती है।
कैल्शियम इनटेक बढ़ाने से हड्डियों और दांतों को मज़बूत बनाने में मदद मिलती है। इसके सेवन से शरीर में हार्मोन संतुलित होने लगते हैं, जिससे फर्टिलिटी इंप्रूव होने लगती है। सीडीसी के अनुसार चाहे महिला प्रेगनेंट है या नहीं 19 वर्ष से ज्यादा उम्र की सभी महिलाओं को रोजाना 1,000 माइक्रोग्राम कैल्शियम का सेवन करना चाहिए। प्रोगनेंसी के दौरान शरीर में कैल्शियम की कमी की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में कैल्शियम का नियमित सेवन फायदेमंद साबित होता है।
अलसी के तेल और मछली के तेल में ओमेगा 3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसकी मदद से हार्मोन रेगुलेट करने और ओव्यूलेशन को बढ़ाने में मदद मिलती है। इसकी मदद से प्रजनन अंगों में ब्लड फ्लो को बढ़ाकर यूटर्स की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। इसके सेवन से प्रीनेटल डिप्रेशन की संभावना भी कम हो जाती है और ओवरवेट महिलाओं में भी फर्टिलिटी बढ़ने लगती है। शरीर में ओमेगा 3 फैटी एसिड का स्तर बढ़ाने के लिए पालक, ब्रोकली, अखरोट, मछली और खरबूजा व अखरोट को मील में शामिल करें।
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