सेक्स के दौरान प्रोटेक्शन का इस्तेमाल न करने पर लोग पुल आउट मेथड (pull out or withdrawal method) को आजमाते आते हैं। यह एक सालों पुरानी प्रक्रिया है, जिसे आमतौर पर प्रेगनेंसी प्रिवेंट करने के लिए कांट्रेसेप्टिव के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। पर क्या यह असल में कांट्रेसेप्टिव है और यदि यह कांट्रेसेप्टिव के तौर पर काम करता, तो फिर लोगों को कंडोम, कॉपर टी, पिल्स आदि की आवश्यकता क्यों पड़ती है। सभी के लिए यह बात समझना बहुत जरूरी है, कि पुल आउट मेथड किसी भी तरह से कांट्रेसेप्टिव नहीं हो सकता। सभी गाइनेकोलॉजिस्ट इस मेथड से सख्त परहेज करने की सलाह देते हैं। यहां एक एक्सपर्ट दे रहे हैं पुलआउट मेथड से जुड़े आपके सभी सवालों (FAQs about pullout method) के जवाब।
हेल्थ शॉट्स ने पुल आउट मेथड को लेकर लोगों के मन में उठने वाले सवाल के जवाब को लेकर MGM हॉस्पिटल, दिल्ली के गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर विक्रांत शर्मा से बात की। डॉक्टर ने अन्य सभी कांट्रेसेप्टिव की तुलना में इस मेथड के प्रयोग का फैलियर रेट सबसे अधिक बताया है। तो चलिए जानते हैं, इससे जुड़े कुछ जरूरी फैक्ट्स।
पुल आउट मेथड ओवुलेशन के बाद या पहले किसी भी स्थिति में सेफ नहीं होता। खास कर ओवुलेशन के समय और ओवुलेशन के दौरान भूल कर भी इस मेथड का प्रयोग न करें, इस दौरान प्रेगनेंसी की सबसे अधिक संभावना होती है। हालांकि, बात केवल ओवुलेशन कि नहीं है, कांट्रेसेप्टिव मेथड के तौर पर किसी भी वक्त सेक्स करते हुए पुल आउट मेथड का इस्तेमाल करना बहुत बड़ी बेवकूफी साबित हो सकती है।
पुल आउट मेथड पूरी तरह से पुरुषों पर निर्भर करता है, और इस दौरान जरूरी नहीं की इजेकुलेशन के वक्त आपका पार्टनर सही समय पर पेनिस को फुल आउट कर पाए। वहीं आपकी छोटी सी भी चूक, यहां तक कि इजेकुलेशन की फ्लूइड के कारण भी कुछ महिलाएं कंसीव कर सकती हैं।
पुल आउट मेथड किसी भी तरह से सेफ नहीं है, इसके कई रिस्क होते हैं और यह एक बेहद नकारात्मक प्रैक्टिस है। पुल आउट मेथड के दौरान एसटीआई यानी की सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इनफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इस मेथड में सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान पार्टनर के बीच किसी प्रकार का बैरियर नहीं होता और स्किन के डायरेक्टर कांटेक्ट में आने से बैक्टीरिया एक्टिव हो जाते हैं।
वहीं बैक्टीरिया और जर्म्स वेजाइना में प्रवेश कर सकते हैं। ऐसे में दोनों पार्टनर में यूटीआई खतरा बढ़ जाता है, साथ ही साथ एचआईवी हर्पीज जैसे गंभीर सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इनफेक्शन का खतरा भी बना रहता है।
प्री इजेकुलेटरी फ्लूइड में स्पर्म नहीं होता, परन्तु प्रीकम फ्लूइड स्पर्म के कांटेक्ट में आ सकती है। रिसर्च की माने तो लिविंग स्पर्म प्री एजुकुलेटरी फ्लूइड के माध्यम से बाहर निकाल सकते हैं। वहीं एक स्टडी में पाया गया कि एक स्वस्थ आदमी के प्री इजेकुलेटरी फ्लूइड में 16.7% तक स्पर्म मौजूद होता है। यदि आप अनवांटेड प्रेगनेंसी को अवॉयड करना चाहती हैं, तो हमेशा कंडोम या अन्य किसी कांट्रेसेप्टिव मेथड का इस्तेमाल करें।
बहुत से लोग पुल आउट मेथड को अधिक प्लेजरेबल मानते हैं, परंतु ऐसा नहीं है। इस मेथड में व्यक्ति पूरी तरह से सेटिस्फाई नहीं हो पाते। गाइनेकोलॉजिस्ट बताते हैं कि इजेकुलेशन का समय सबसे अधिक प्लेजरेबल होता है। ऐसे में जब आपके पार्टनर मानसिक रूप से सेक्स पर फोकस रहने की जगह पुल आउट पर फोकस करते हैं, तो आप अपने प्लेजर को पूरी तरह से एंजॉय नहीं कर पाती न ही आपके पार्टनर उस हिसाब का प्लेजर एंजॉय कर पाते हैं।
यह आपके पूरे सेक्सुअल जर्नी को प्रभावित कर सकता है। यौन गतिविधि के दौरान आपके और आपके पार्टनर दोनों के मन में इजेकुलेशन का डर बना रहता है, जो एंजॉयमेंट को कम कर देता है। पुल आउट मेथड की जगह अन्य कांट्रेसेप्टिव मेथड का इस्तेमाल करना जैसे कि कंडोम और कॉपर टी अधिक प्लेजरेबल हो सकते हैं। इस भूल में न रहे की पुल आउट करने से सेक्स का प्लेजर बढ़ सकता है। क्योंकि ज्यादातर लोग प्लेजर को बढ़ाने के लिए ही पुल आउट मेथड अपनाते हैं।
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