मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के साथ शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए योग बेहद मददगार साबित होता है। अनियमित लाइफस्टाइल के चलते महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित होने लगती है। ऐसे में महिलाओं को प्रेगनेंसी के लिए कई समस्याओं से होकर गुज़रना पड़ता है। ऐसे में योग की मदद से यूटरिन फाइब्रॉएड, पॉलीप्स और एंडोमेट्रियोसिस जैसी स्थितियों को इंप्रूव करने में मदद मिलती है है। इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन उचित बना रहता है, जिससे यूटर्स को मज़बूती मिलती है (Yoga poses to strengthen Uterus) ।
इस बारे में योग एक्सपर्ट भावना जपत्यानी का कहना है कि प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए शरीर के निचले हिस्से की मांसपेशियों का हेल्दी होना आवश्यक है। इससे शरीर में बल्ड सर्कुलेशन उचित बना रहता है। योनि मुद्रा की मदद से एबडोमिनल मसल्स रिलैक्स हो जाते हैं, जिससे यूटर्स और ओवरी अपना कार्य उचित तरीके से कर पाते हैं। मालासन से फर्टिलिटी बूस्ट होने लगती है और पेल्विक व स्पाइन मसल्स में मज़बूती बढ़ती है।
गर्भाशय को हेल्दी बनाए रखने से लेकर प्रजनन क्षमता में सुधार लाने तक योनि मुद्रा का अभ्यास ज़रूरी है। इसे करने से मन को शांति मिलती है और शरीर में ऊर्जा का उच्च स्तर बना रहता है।
इसे करने के लिए मैट पर बैठ जाएं और गहरी सांस लें। आंखे बंद कर लें और पीठ को एकदम सीधा रखें।
अब दोनों हाथों के अंगूठों के सिरों को मिला दें और इंडैक्स फिंगर को जोड़कर वूम्ब एरिया के पास त्रिकोण का आकार बनाएं।
गहरी सांस लें और छोड़ें। कुछ देर तक इसी मुद्रा में बैठें और अपनी सांस पर अपना ध्यान केंद्रित करें।
त्रिकोण में इंडैक्स फिंगर को छोड़कर बाकी मुड़ी हुई उंगलियों को भी खोले और आंखे बंद करके 1 से 2 मिनट तक बैठें।
रोज़ाना सुबह उठकर इस योगासन का अभ्यास करने से शरीर को फायदा मिलता है।
शरीर के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मज़बूत करने के लिए मालासन को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। इससे पेल्विक एरिया हेल्दी बना रहता है और प्रजनन क्षमता में सुधार आता है। इससे शरीर में लचीलापन भी बढ़ने लगता है।
इस योगासन को करने के लिए मैट पर सीधा खड़े हो जाएं और अब दोनों पैरों के मध्य दूरी बनाकर रखें।
पंजों को बाहर की ओर निकालें और दोनों हाथों को आपस में जोड़का नमस्कार की मुद्रा को बनाएं
धीरे धीरे घुटनों को मोड़ते हुए पैरों के बल बैठ जाएं। इस मुद्रा में 30 सेकण्ड से 1 मिनट तक बैठे रहे और फिर उठ जाएं।
योगासन के दौरान पीठ को सीधा रखें और गहरी सांस लें व छोड़ें। आप चाहें तो इस दौरान दीवार का सहारा लें।
इस योगासन को नियमित तौर पर करने से पोश्चर में सुधार आने लगता है और एनर्जी का स्तर बढ़ जाता है। इसके अलावा अनियमित पीरियड और हिप्स पर जमा अतिरिक्त चर्बी की समस्या हल होती है। इसे रोज़ाना करने से गर्भाशय भी स्वस्थ बना रहता है।
इस योगासन को करने के लिए मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं। कमर को सीधा रखें और हथेलियों को थाइज़ पर टिकाएं।
अब कमर को आगे की ओर झुकाते हुए दोनों हाथों को ज़मीन पर चिपका दें और दोनों पैरों को मैट से छूएं।
गर्दन को उपर उठाएं और सामने की ओर देखें। सांस पर ध्यान केंद्रित करके रखें गहरी सांस लें और छोड़ें।
शरीर को ढ़ीला छोड़ दें और वज्रासन में बैठ जाएं। अब थोड़ी देर बार फिर से इसी योगासन का अभ्यास करें।
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