शहरी युवाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। इस स्थिति का सामना महिलाएं और पुरुष दोनों ही कर रहे हैं। एक और चीज है जो इसके साथ.साथ काफी बढ़ रही है। वह है तनाव। विशेषज्ञ मानते हैं कि तनाव बहुत सारी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण हो सकता है। पर क्या यह इनफर्टिलिटी की समस्या भी बढ़ा सकता है। आइए जानते हैं स्ट्रेस और इनफर्टिलिटी (How stress affect fertility) के बारे में क्या कहते हैं 3 एक्सपर्ट।
एनसीबीआई के अनुसार इनफर्टिलिटी (Infertility) एक ऐसा संघर्ष है, जिसमें महिलाएं कंसीव न कर पाने के कारण तनाव, चिंता और अलगाव से होकर गुज़रती हैं। शोध के अनुसार इनफर्टिलिटी (Infertility) की शिकार महिलाओं में भी कैंसर, एचआईवी और हार्ट डिज़ीज़ से होकर गुज़र रही महिलाओं के समान ही डिप्रेशन का लेवल पाया जाता है। ऐसा पाया गया है कि हर 8 जोड़ों में से 1 जोड़े को गर्भवती होने या गर्भावस्था को बनाए रखने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इस बारे में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत का कहना है कि तनाव फर्टिलिटी का कारण नहीं हैं बल्कि उसे कई प्रकार से प्रभावित करता है। दरअसल, पार्टनर के साथ लगातार फिजिकल रिलेशन को अवॉइड करना भी इसका मुख्य कारण है। इसके अलावा ओवूलेशन पीरियड को मिस कर देने से भी इनफर्टिलिटी (Infertility) की समस्या बढ़ती है। खुद को तनाव मुक्त रखने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
इस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ नुपुर गुप्ता का कहना है कि एंग्ज़ाइटी हमारी सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक है। दरअसल तनाव के चलते ब्रेन, पिट्यूटरी ग्लैण्डस और ओवरी के मध्य उचित तालमेल नहीं रहा है। जो प्रेगनेंसी में बाधा का कारण बनता है। इसके अलावा तनाव के चलते शरीर में स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होने लगते हैं। वहीं, संतुलित दिनचर्या पीसीओएस, एडोनोमायोसिस और एन्डोमेट्रीओसिस जैसी समस्याओं का कारण बनती है।
मनस्थली की फाउंडर .डॉयरेक्टर और सीनियर सायकेट्रिस्ट डॉ ज्योति कपूर बताती हैं कि तनाव महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर प्रभाव डालता है। तनाव के चलते मस्तिष्क, हार्मोन और रिप्रोडक्टिव सिस्टम के बीच एक जटिल अंतः क्रिया बाधा बनने लगती है, जिससे संभावित प्रजनन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। उच्च तनाव का स्तर मासिक धर्म चक्र की नियमितता और ओव्यूलेशन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। दरअसल, तनाव के कारण शरीर में हार्मोनल असंतुलन बढ़ने लगता है। जो एग्स की क्वालिटी और क्वांटिटी को कम कर देता है। इससे प्रेगनेंसी चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
जीवन से निराश और हताश होने की जगह खुद को सेल्फ मोटिवेट करें। इनफर्टिलिटी के बारे में किताबें पढ़े और लोगों से बातचीत करें। ताकि आप इनफर्टिलिटी (Infertility) की समस्या को समझ पाएं। आपाको इस बात को समझना होगा कि दुनिया में बहुत से लोग इस समस्या से ग्रसत है। ऐसे में खुद को अकेला न समझें।
शहरों में बिजी लाइफस्टाइल के चलते जोड़ों के पास एक-दूसरे के लिए बहुत कम वक्त बचता है। इस कमी की शिकायत करने की बजाए, जितना भी समय है उसे सेलिब्रेट करें। नकारात्मकता जीवन में कई अहम फैसलों को लेने में बाधा बनती है। ऐसे में सोच और विचारों को पॉजिटिव रखें। इससे आपका माइंड सकारात्मकता की ओर बढ़ेगा, जिससे मेंटल हेल्थ बूस्ट होने लगती है। जीवन में खुशहाली बढ़ने से इनफर्टिलिटी की समस्या हल हो जाती है।
कई बार फिजिकली एक्टिव न रहने से शरीर में फैट्स बढ़ने लगते हैं, जिससे शरीर एक्टिव नहीं रहता है और रक्त प्रवाह नियमित नहीं होता है। ऐसे में रोज़ाना कुछ देर एक्सरसाइज या योग के लिए ज़रूर निकालें। इससे आपके शरीर में उत्साह बढ़ने लगता है। साथ ही फैट्स बर्न होकर शरीर में तंदरूस्ती बढ़ती है।
दिनभर में 6 से 8 घण्टे की नींद आपकी मानसिक थकान को दूर करने का बेहतरीन विकल्प है। दिनभर सोचना और पूरी नींद न लेना व्यक्ति के जीवन का कई प्रकार से प्रभावित करता है। इसका असर वर्क प्रोडक्टिविटी के अलावा हेल्थ पर भी दिखने लगता है। रात में पूरी नींद लें और समय से उठकर दिनचर्या आरंभ करें।
शरीर को इनफर्टिलिटी की समस्या से बाहर निकालने के लिए हेल्दी फूड को अपनी डाइट में शामिल करें। मौसमी फलों और सब्जियों के साथ साथ सूखे मेवों को भी डाइट में एड करें। इससे शरीर की प्रजनन क्षमता बूस्ट होती है। इसके अलावा बाहर का खाना अवॉइड करें। पैक्ड फूड खाने से मेटाबॉलिज्म बूस्ट नहीं हो पाता है।
सेChat करें