अधिकतर महिलाओं को उम्र बढ़ने के साथ यूरिन लीकेज का सामना करना पड़ता है। ब्लैडर पर कंट्रोल की कमी इस समस्या को बढ़ा देती है। जहां वृद्ध महिलाएं इस समस्या से दो चार होती हैं, तो वहीं युवा लोग भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं में इस समस्या की शुरूआत होती है और मेनोपॉज के दौरान ये समस्या बढ़ जाती है। हांलाकि शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से यूरिन लीकेज को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए योग बेहद कारगर उपाय है। जानते हैं वो योगासन जिससे यूरिन लीकेज की समस्या होगी हल (Yoga for urine incontinence)।
स्टेटपर्ल्स के शोध के अनुसारए दुनिया भर में 20 वर्ष या उससे अधिक आयु के लगभग 423 मिलियन लोगों को यूरिन लीकेज का सामना करना पड़ता है। एनल्स ऑफ़ इंटरनल मेडिसिन जर्नल के अनुसार योग की मदद से लीकेज की आवृत्ति एक दिन में औसतन 2 से 3 एपिसोड कम पाई गई। योग की मदद से पेल्विक फ्लोर मसल्स की मज़बूती बढ़ने लगती है, जिससे यूटरस और ब्लैडर को सपोर्ट मिलता है। वे महिलाएं, जिनके पेल्विक फ्लोर मसल्स कमजोर हो गए हैं। उनमें यूरिन लीकेज (Yoga for urine incontinence) बढ़ने लगती है।
भद्रासन को बटरफ्लाई पोज़ भी कहा जाता है। इस मुद्रा में बैठने से पेल्विक मसल्स के अलावा कमर और घुटनों में खिंचाव बढ़ने लगता है, जिससे शरीर में लचीलापन बढ़ने लगता है और पेल्विक एरिया को फायदा मिलता है।
घुटनों के बल बैठकर किए जाने वाले इस योगासन को डायमंड पोज़ भी कहा जाता है। इससे टांगों की मज़बूती और लचीलापन बढ़ने लगता है। साथ ही शरीर दिनभर एक्टिव रहता है। इसे करने से शरीर को कई तरह के फायदे मिलते है।
इस योगासन को करने से पेल्विक मसल्स की मज़बूती बढ़ने लगती है। इससे शरीर में खून का प्रवाह उचित बना रहता है, जिससे लचीलापन बढ़ने लगता है ओर येरिन लीकेज को नियंत्रित किया जा सकता है। नियमित रूप से इसका अभ्यास शरीर को फायदा पहुंचाता है।
इस योगासन को करने के लिए मैट पर चाड़े हो जाएं और दोनों टांगों के मध्य दूरी बनाकर रखें।
शरीर को दाई ओर झुकाएं और दाई बाजू को जमीन की ओर लेकर जाएं और हथेली को जमीन पर रखें।
अब बाईं बाजू को आसमान की ओर लेकर जाएं और गहरी सांस लें। शरीर की क्षमता के अनुसार अभ्यास करें।
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