अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी एक ऐसी क्राॅनिक डिज़ीज़ है, जिससे दुनिया की एक बड़ी आबादी तेज़ी से ग्रस्त हो रही है। अमेरिका के अस्थमा और एलर्जी फाउंडेशन के हिसाब से 25 मिलियन लोग इस बीमारी के शिकार हैं। भारत में भी यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। प्रदूषण और कोरोनावायरस संक्रमण दोनों ने मिलकर अस्थमा के मरीजों के लिए जोखिम और भी बढ़ा दिए हैं। एनसीबीआई के मुताबिक फेफड़े हमारे शरीर के ऐसे मसल्स हैं कि आप उनका जितना प्रयोग करेंगे, वे उतने ही स्वस्थ और मजबूत होते चले जाते हैं। इसके लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहना सबसे ज्यादा जरूरी है। पर क्या दौड़ना अस्थमा (Running in Asthma) के मरीजों के लिए सुरक्षित है? आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अस्थमा एक ऐसी बीमारी है, जो बच्चों से लेकर बड़ों तक हर किसी को प्रभावित कर सकती है। वहीं बढ़ते प्रदूषण और कोरोनावायरस के बाद से इसके मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से इजाफा हुआ है। वर्ल्ड अस्थमा डे मई के पहले मंगलवार को मनाया जाने वाला एक विश्व स्तरीय दिवस है। इसका मकसद लोगों काे अस्थमा के बारे में जागरूक करना और इसके लक्षणों से लेकर उपचार तक की जानकारी देना है।
एक्सरसाइज करने और दौड़ने से ये और बेहतर कार्य करते हैं। अगर आप अस्थमा से पीडित हैं, तो आपको रनिंग से पहले थोड़ा सतर्क रहने की ज़रूरत है। इसके लिए आपकी बॉडी को एक अनुशासन यानि डिसिप्लिन को फॉलो करने की ज़रूरत है। इसमें आपको रनिंग के साथ साथ रेस्ट करने की भी सलाह दी जाती है। किसी प्रशिक्षक की देखरेख में ही आप रनिंग करना आंरभ करें।
इस बारे में जरूरी जानकारी के लिए हमने एचसीएमसीटी मणिपाल हास्पिटल द्वारका में एचओडी एंड कसल्टेंट रेस्पिरेटरी मेडिसिन, डॉ पुनीत खन्ना से बातचीत की। अक्सर लोगों को रेस्पिरेटरी फिटनेस के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। वो जितना ज्यादा खुद को फिट रखेंगे और व्यायाम करेंगे। उनके लग्ंस की हेल्थ के लिए वो उतना ही कारगर साबित होगा। दौड़ना समेत कई प्रकार की शारीरिक गतिविधियां लोगों के फेफड़ों के स्वास्थ्य को मज़बूत रखती हैं।
एनसीबीआई की रिसर्च में पाया गया है कि रनिंग ट्रेनिंग और एरोबिक्स के ज़रिए अस्थमा से पीडित लोगों की फिटनेस में सुधार किया जा सकता है। व्यायाम शरीर में अस्थमा सेंसिटीविटी को कम करने में सहायत होता है।
डॉ खन्ना का कहना है कि अगर आप अस्थमा से जूझ रहे हैं, तब भी आप रनिंग कर सकते हैं। इसके लिए दौड़ के दौरान खुद को हेल्दी रखने के लिए अस्थमा एक्शन प्लान तैयार करना बहुत ज़रूरी है।
ज़ोर ज़ोर से खांसना
सांस लेने में तकलीक
नाक का बहना
सीने में भारीपन और जकड़न महसूस होना
सांस लेने के दौरान विसलिंग साउंड का होना
गर्मी के मौसम में दौड़ना जहां सेफ माना जाता हैं, वहीं बारिश, प्रदूषण और ठंड के मौसम में आउटडोर रनिंग अवॉइड करनी चाहिए। दरअयल, इससे फेफड़ों में एडिमा यानि सूजन और ब्रोंकोकन्सट्रिक्शन का जोखिम बना रहता है। हवा में बढ़ रहे प्रदूषण के चलते होने वाली एलर्जी फेफड़ों में सूजन को बढ़ाती है। जो लंग्स के एयरवेंज़ को ब्लॉक करती है।
अगर आप अस्थमा से पीडित हैं, तो दौड़ने से पहले कुछ सावधानियां बरतें। दरअसल,अस्थमा की बीमरी साफ पर्यावरण की कमी के चलते सांस लेने में परेशानी का कारण बन जाती है। ऐसे में रनिंग शुरू करने से पहले अपनी बॉडी को समझें और डॉक्टर के सुझाव के बाद ही आगे बढ़ें। अपने साथ प्रीकॉशन के हिसाब से पंप और दवाएं भी रखें।
तेज़ी से दौड़ने की बजाय धीरे धीरे रनिंग की गति को बढ़ाने का प्रयास करें। जैस जैसे आपका शरीर उस स्पीड को एडॉप्ट कर लेता है। फिर आप तेज़ी से उस स्पीड को अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं। दौड़ने के समय अगर आप थोड़ा आराम करना चाहते हैं, तो आप बैठकर 10 मिनट का ब्रेक भी ले सकते हैं।
दरअसल, लंबी दौड़ अस्थमा अटैक का कारण साबित हो सकती है। यह अस्थमा के दौरे को ट्रिगर कर सकती है, क्योंकि इसके लिए लंबे समय तक सांस लेने की आवश्यकता होती है। स्मॉल गैप लेकर दौड़ने से लंग्स की कपेसिटी बढ़ने लगती है।
इस बारे में डॉ अदिति का कहना है कि रनिंग के दौरान अस्थमा से ग्रस्त लोगों को डाइट में प्रोटीन बढ़ाने की आवश्यकता है। वहीं फैट्स को मॉडरेट करके ले सकते हैं। फ्रूट जूस, स्वीट्स और ब्रेड जिनमें कार्ब्स ज्यादा है उन्हें लेने से बचें। कार्ब्स कम मात्रा में लें। हाइड्रेशन भी बहुत ज़रूरी है। इसके लिए कोकोनट वॉटर, चने का पानी और सब्जियों का सूप लें। इससे हमारे शरीर को सोडियम और पोटेशियम की प्राप्ति होती है। दही से अगर एलर्जी नहीं है, तो आप छाछ या स्मूदीज़ ले सकते हैं।