जिस प्रकार डायबिटीज के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं, हम सभी को इसके प्रति अधिक सचेत रहने की आवश्यकता है। क्योंकि डायबिटीज न केवल ब्लड शुगर लेवल बढ़ती है, बल्कि आपकी किडनी, हार्ट यहां तक की मेंटल एवं इंटिमेट हेल्थ को भी प्रभावित करती है। जब बॉडी में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है, तब बॉडी कई संकेत देती है। हालांकि, जानकारी की कमी के कारण हम अक्सर इन्हें नजरंदाज कर देते हैं। जिसके कारण यह अनियंत्रित हो जाते हैं और हम डायबिटीज के घेरे में आ जाते हैं।
यदि शुरुआती लक्षण पर ध्यान दिया जाए और इन्हे नियंत्रित करने की कोशिश की जाए तो डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है। महाऋषि आयुर्वेदा में मेडिकल सुपरिटेंडेंट, नाड़ी विज्ञान स्पेशलिस्ट, हीलर और पंचक्रमा एक्सपर्ट ने प्रीडायबिटीज यानी कि अर्ली डायबिटीज के लक्षण बताते हुए इन पर नियंत्रण पाने के कुछ प्रभावी उपाय भी बताएं हैं। तो चलिए जानते हैं, इस बारे में अधिक विस्तार से (How to control early symptoms of diabetes)।
ब्लड शुगर लेवल के बढ़ने से किडनी ब्लड से शुगर को फिल्टर करने की कोशिश करती है। जिसकी वजह से व्यक्ति को बार-बार यूरिन पास करने की इच्छा होती है, खास करके रात के समय।
शुगर को रिमूव करने के लिए किडनी फंक्शन की वजह से फ्रिक्वेंट यूरिनेशन होता है। जिसकी वजह से शरीर से अधिक फ्लूइड निकल जाता है, ऐसे में बॉडी डिहाइड्रेटेड हो सकती है। जिसे पूरा करने के लिए आपको बार-बार प्यास का अनुभव होता है।
ब्लड शुगर लेवल बढ़ने पर नियमित डाइट शरीर में एनर्जी की आवश्यकता को पूरा नहीं कर पाती है। डायबिटीज के मरीजों में ग्लूकोस की पर्याप्त मात्रा ब्लड स्ट्रीम से ट्रेवल कर बॉडी सेल्स को नहीं मिल पाती, जिसकी वजह से ऊर्जा स्तर में कमी महसूस होता है। इसे पूरा करने लिए बॉडी को अधिक खाने की लालसा होती है, और आपको भूख का एहसास होता है।
बिना किसी शारीरिक गतिविधि में भाग लिए यदि आपको अधिक थकान का अनुभव हो रहा है, तो यह टाइप टू डायबिटीज का संकेत हो सकता है। डायबिटीज बॉडी एनर्जी लेवल को प्रभावित करती है, जिसकी वजह से अधिक थकान महसूस होता है।
ब्लड में शुगर की बढ़ती मात्रा आंखों के ब्लड वेसल्स को डैमेज कर देती है, जिसकी वजह से आपको आसपास की चीजें धुंधली नजर आती हैं। यह एक या दोनों आंखों को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा यह आई लेंस में भी स्वेलिंग का कारण बन सकता है।
खून में बढ़ता शुगर का स्तर आपकी बॉडी के नर्वस और ब्लड वेसल्स को डैमेज कर सकता है, जिसकी वजह से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है। इस स्थिति में यदि आपकी बॉडी पर कोई कट लग जाता है, या किसी प्रकार का घाव बनता है, तो उसे हिल होने में काफी लंबा समय लग सकता है। इसके अलावा उन पर बार-बार इन्फेक्शन भी हो सकता है। यदि आपके साथ भी ऐसा हो रहा है, तो अपने शुगर की जांच करें।
बॉडी में बढ़ता ब्लड शुगर लेवल ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करता है, और नर्व डैमेज का कारण बन सकता है। यदि आप डायबिटीज के घेरे में आने वाली हैं, तो आपके हाथ एवं पैरों में दर्द और सेंसेशन महसूस होता है, जैसे कि झनझनाहट और सुस्ती। यदि ऐसा बार-बार हो रहा है, तो फौरन अपने ब्लड शुगर की जांच करवाएं।
यदि आपके गर्दन, आर्मपिट और चेहरे की त्वचा पर डार्क रंग के पैचेज नजर आ रहे हैं, तो ये डायबिटीज का संकेत हो सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंरिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और चीनी से भरपूर खाद्य पदार्थों के सेवन से ब्लड शुगर और इंसुलिन का स्तर बढ़ जाता है, जो समय के साथ डायबिटीज का कारण बन सकता है। रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट में सफेद ब्रेड, आलू और कई अन्य प्रकार के स्नैक्स शामिल हैं। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए सीमित मात्रा में चीनी का सेवन करें और सब्जी, दलिया और साबुत अनाज जैसे जटिल कार्बोहाइड्रेट चुनें।
धूम्रपान इंसुलिन प्रतिरोध में योगदान कर सकता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। स्मोकिंग बंद करते ही आपको टाइप 2 डायबिटीज के जोखिमों को कम करने में मदद मिलेगी।
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एक बार में अधिक मात्रा में भोजन करने से भी ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। ऐसे में छोटे मिल लेने की कोशिश करें, इससे इंसुलिन और ब्लड शुगर के स्तर को कम करने और डायबिटीज के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
सप्ताह में 5 दिन 30 मिनट तक टहलना, डांस करना, वजन उठाना या स्विमिंग जैसी शारीरिक गतिविधियों में भाग लेकर खुद को सक्रिय रखने का प्रयास करें। यदि आप जॉब करती हैं और लंबे समय तक बैठी रहती हैं, तो इससे शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है और आप टाइप 2 डायबिटीज के बेहद करीब आ जाती हैं। इसलिए शारीरिक सक्रियता बेहद जरूरी है। बीच-बीच में ब्रेक लेकर खुद को एक्टिव रखने का प्रयास करें।
अन्य पेय पदार्थों के बजाय पानी पीने से ब्लड शुगर और इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जिससे डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है। प्रयाप्त पानी पीने से आपको उन पेय पदार्थों से बचने में मदद मिलती है, जिनमें चीनी, प्रिजर्वेटिव और अन्य अनावश्यक तत्वों की मात्रा पाई जाती है।
भरपूर मात्रा में फाइबर लेना आंत के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और वेट मैनेजमेंट में मदद करता है। नियमित रूप से अपनी डाइट में प्रयाप्त मात्रा में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें, इससे ब्लड शुगर और इंसुलिन के स्तर में वृद्धि को रोकने में मदद मिल सकती है। इस प्रकार आपमें डायबिटीज का खतरा भी कम हो जाता है।
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