बहुत से लोगों को रात में नींद न आने की समस्या का सामना करना पड़ता है। देर तक जागना जहां मानसिक तनाव को बढ़ाता है, तो वहीं एकाग्रता को भी कम कर देता है। शरीर की इस स्थिति को इनसोमनिया या अनिद्रा कहा जाता है। कई बार जीवनशैली में आने वाले बदलाव, गंभीर चिंतन और इटिंग हैबिट्स इस समस्या के बढ़ने का कारण साबित होती है। इसका असर धीरे धीरे ओवरऑल हेल्थ पर दिखने लगता है। जानते हैं इनसोममिया के लक्षण (symptoms of insomnia) और इससे बचने के उपाय भी।
नेशनल र्हाट लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट के अनसुर तनाव और माहौल में आने वाले बदलाव के चलते शॉर्ट टर्म एक्यूट इनसोमनिया का सामना करना पड़ता है। 3 दिन से लेकर एक सप्ताह तक ये समस्या बनी रहती है। वहीं क्रानिक इनसोमनिया का सामना सप्ताह में 3 दिन से लेकर 3 महीनों तक करना पड़ता है। इसके चलते हाई ब्लड, हार्ट डिज़ीज़, डायबिटीज़ और कैंसर का सामना करना पड़ता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट आूफ हेल्थ के अनुसार क्रॉनिक इनसोमनिया के चलते मोटापा, सीज़र अटैक, सूजन, शरीर में ऐंठन और कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा डिप्रेशन और एंग्ज़ाइटी का खतरा भी बनी रहता है।
शरीर के लिए नींद क्यों आवश्यक है
इस बारे में बातचीत करते हुए मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि शरीर में पर्याप्त नींद का अभाव अनिद्रा का कारण कहलाता है। नींद शरीर को एनरजाइज़ करने के लिए बेहद आवश्यक है। दरअसल, ये शरीर की एक बायेलॉजिकल ज़रूरत है। इससे कोशिकाओं को आराम मिलता है और रिपेयर करने में मदद मिलती है। स्वस्थ नीद 6 से 8 घंटे की होनी चाहिए। लगभग सात घंटे सेने से शारीरिक गतिविधि में मदद मिलती है। वे लोग जिन्हें कम नींद आती है, उनके व्यवहार में परिवर्तन आने लगता है।
वे लोग जो किसी न किसी कारणवश परेशान रहते है, उन्हें तनाव का सामना करना पड़ता है। एक ही बात पर देर तक विचार करने से नींद की मी का सामना करना पड़ता है। देर तक जागने से स्लीप पैटर्न डिस्टर्ब हो जाता है, जो अनिद्रा का कारण बन जाता है।
क्रॉनिक डिप्रेशन नींद की कमी का कारण बनने लगता है। हार्मोनल इंबैलेंस के चलते स्ट्रेस हार्मोनका रिलीज़ बढ़ जाता है। इसके चलते नींद न आना पूरी तरह से सामान्य, जो शरीर में मोटापे का भी कारण बन जाता है। डिप्रेशन ओवरऑल हेल्थ को नुकसान पहुंचाता है।
मेनिया एक मेंटल और बिहेवियरल डिसऑर्डर है। इससे ग्रस्त व्यक्ति एनर्जी से भरपूर रहता है। इसके चलते नींद न आने की समस्या बनी रहती है। एनर्जी का स्तर बढ़ने से शरीर में थकान महसूस नहीं होती है। ऐसे लोगों को मूड स्विंग का सामना करना पड़ता है।
रात के समय ज्यादा मात्रा में कैफीन और अल्कोहल का सेवन नींद की कमी का कारण बन जाता है। इससे बार बार यूरिन पास करने की समस्या बनी रहती है, जिससे नींद में बाधा का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा शरीर में निर्जलीकरण की समस्या बनी रहती है।
वे लोग जो अनिद्रा के शिकार होते है, उन्हें दिनभर थकान और कमज़ोरी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में दिनभर एनर्जी का स्तर कम रहता है, जिसका असर वर्क प्रोडक्टिविटी पर भी नज़र आने लगता है। ऐसे में भरपूर नींद लें।
नींद पूरी न होने से किसी भी काम पर फोकस करने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा चीजों को याद रखना और डेडलाइंस को पूरा करने में दिक्कत होती है। नींद की गुणपत्ता में कमी आने से दिमागी थकान बढ़ने लगती है।
अनिद्रा के शिकार लोग डिप्रेस्ड और चिंतित रहते है और छोटी सी बात उनके लिए तनाव का कारण बनने लगती है। नींद की कमी के चलते शरीर में हार्मोन असंतुलन बढ़ने लगता है। इसके चलते मूड स्विंग की समस्या बढ़ जाती है।
एनआईएच की रिसर्च के अनुसार वे लोग जो पूरी नींद नहीं ले पाते हैं, उनके शरीर में एंटीबॉडीज़ का उत्पादन कम हो जाता है। इसके चलते वे आसानी से किसी भी संक्रमण की चपेट में आ जाती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के अलावा डायबिटीज़, मोटापा और हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ने लगता है।
किसी भी कार्य को देर रात तक करने की जगह समय पर पूरा करने का प्रयास करें। इससे स्लीप पैटर्न में अनियमितता का सामना नहीं करना पड़ता है। 6 से 8 घंटे की नींद शरीर को स्वस्थ रखती है। ऐसे में सोने और उठने का समय तय कर लें।
किसी भी कारणवश तनाव की स्थिति में आने से बचें। समस्या को हल करने के लिए दोस्तों और पारिवारिक सदस्यों से बात करे। इसके अलावा कांउसलिंग की मदद से भी समस्या को हल किया जा सकता है। तनाव कम करने से नींद की गुणवत्ता बढ़ने लगती है।
दिन की शुरूआत व्यायाम से करें। शरीर को एक्टिव रखने से हैप्पी हार्मोन का रिलीज़ बढ़ने लगता है। इससे स्लीप क्वालिटी में सुधार आता है और थकान व कमज़ोरी से राहत मिल जाती है। वे लोग जो रोज़ाना व्यायाम करते है, उनकी ओवरऑल हेल्थ पर उसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है।
तला भुना और मसालेदार खाना अवॉइड करना चाहिए। देर रात हैवी मील्स लेने से इनडाइजेशन और अनिद्रा का सामना करना पड़ता है। शाम को हल्का आहार लें और खाना खाने के बाद कुछ देर वॉक अवश्य करें, जिससे अनिद्रा की समस्या हल हो जाती है।
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