सर्दियों में पसीना न आना प्यास कम लगने का कारण साबित होता है। दरअसल, ठंडी हवाओं से बचने के लिए लोग अक्सर गर्म पेय पदार्थों का चयन करते हैं। इससे निर्जलीकरण की समस्या बढ़ने लगती है, जो ब्लेटिंग, कब्ज, थकान, सिरदर्द, रूखी त्वचा और मसल्स स्टिफनेस का कारण साबित होती है। ऐसे में सर्दी के मौसम में शरीर को हाइड्रेट रखना आवश्यक है। इसके लिए पानी के अलावा अन्य टिप्स की मदद से डिहाइड्रेशन की समस्या को हल किया जा सकता है। जानते हैं सर्दियों में शरीर को हाइड्रेट रखने की कुछ आसान टिप्स (dehydration in winter) ।
ठंड के मौसम के कारण तापमान कम होने लगता है और हवा शुष्क हो जाती है। इससे शरीर को कम नमी प्राप्त होती है। यूरोपीय हाइड्रेशन इंस्टीट्यूट के अनुसार, ठंडे तापमान में ऊर्जा की कमी और यूरिन बार बार पास करने की समस्या बढ़ने लगती है, जिससे डिहाइड्रेशन का सामना करना पड़ता है। डायटीशिन मनीषा गोयल बताती हैं कि शरीर में पानी की कमी के चलते स्किन और आंखों में ड्राईनेस की समस्या बढ़ जाती है। इससे क्रेविंग बढ़ने लगती है और सांस लेने में तकलीफ का सामना भी करना पड़ता है। डिहाइड्रेशन की समस्या के कारण इलेक्ट्रोलाइट्स इंबैलेंस हो जाते हैं, जिससे बॉडी फंक्शनिंग प्रभावित होती है। इससे राहत पाने के लिए सूप, डिटॉक्स वॉटर और वॉटर कंटेट से भरपूर फलों और सब्जियों का सेवन करें।
नेशनल अकेडमिक्स प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार औसतन एक व्यक्ति को हाइड्रेटेड रहने के लिए रोज़ाना 3.7 लीटर पानी पीने की आवश्यकता होती है। पानी के सेवन की ज़रूरत हर व्यक्ति में शरीर में अलग अलग हो सकती है। ये मुख्यतौर पर गतिविधि के स्तर और वातावरण पर निर्भर करता है। शरीर में पानी की कमी टिशूज, सेल्स और ऑर्गन्स की फंक्शनिंग को प्रभावित करने लगता है। वॉमिटिंग, डायरिया और मिनरल्स की कमी निर्जलीकरण को बढ़ाता है।
ठंड से अपना बचाव करने के लिए अक्सर लोग हीटर और ब्लोअर की मदद लेते हैं। इससे शरीर में शुष्कता बढ़ने लगती है, जो पानी की कमी का कारण साबित होती है। इससे त्वचा का रूखापन भी बढ़ने लगता है और एयरवेज़ में भी शुष्कता बढ़ जाती है।
चाय और कॉफी का सेवन शरीर में फ्रीक्वेंट यूरिनेशन का बढ़ाता है। इससे शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थ रिलीज़ होते हैं। मगर साथ ही फ्लूइड लॉस भी बढ़ जाता है। ऐसे में इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस को बनाए रखने के लिए पानी अवश्य पीएं।
वॉटर इनटेक की कमी निर्जलीकरण (dehydration in winter) की समस्या को बढ़ा देता है। दरअसल, सर्दी के मौसम में शारीरिक गतिविधि कम होना और सर्द हवाओं के चलते से प्यास खुद ब खुद कम होने लगती है। इससे पानी की कमी कस सामना करना पड़ता है।
खुद को ठंड से बचाने के लिए अक्सर लोग घरों से बाहर कम निकलते है, जिससे वर्कआउट यानि शारीरिक गतिविधि कम होने लगती है। ऐसे में प्यास न लगने से शरीर में मिनरल्स की कमी बढ़ जाती है और डिहाइड्रेशन (dehydration in winter) का सामना करना पड़ता है।
शरीर में पानी की उचित मात्रा को बनाए रखने के लिए आहार में गाजर, मूली, खीरा, टामाटर, नींबू और संतरा अवश्य शामिल करें। इससे शरीर को विटामिन सी और पोटेशियम की प्राप्ति होती है, जिससे बॉडी को हाइड्रेट रखने में मदद मिलती है।
शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों को दूर करके शरीर को हेल्दी, एक्टिव औार हाइड्रेट रखने के लिए डिटॉक्स वॉटर ही चुनें। इससे शरीर में मौजूद विषैले वदार्थों को दूर करके विटामिन और मिनरल्स की मात्रा को मेंटेन रखने में मदद मिलती है।
गर्म और हेल्दी पेय पदार्थो का सेवन करने के लिए सूप को चाय और कॉफी से रिप्लेस कर लें। इससे शरीर में बढ़ने वाले डयूरेटिक प्रभाव को कम किया जा सकता है, जिससे फ्लूइड लॉस से बचा जा सकता है। साथ ही शरीर में एनर्जी का स्तर बना रहता है।
कोई भी मील लेने से पहले कए गिलास पानी का सेवन अवश्य करें। इसके लिए 1:1 रूल को फॉलो करें। सुबह की चाय से लेकर रात का खाना खाने से पहले एक गिलास गुनगुना पानी पीना न भूलें। इससे शरीर को ओवरटिंग और कैलोरी स्टोरजे से बचाया जा सकता है।
अधिक मात्रा में अल्कोहल का सेवन करने से निर्जलीकरण की समस्या बनी रहती है। इससे बॉडी फंक्शनिंग प्रभावित होती है और शरीर में फ्लूइड लॉस का सामना करना पड़ता है। पानी की उचित मात्रा को बनाए रखने के लिए रोज़ाना अल्कोहल के सेवन से बचें।