इस बदलते मौसम में गला बार बार खराब होना या खराश होना सामान्य समस्या है। हर दूसरा आदमी जिससे आप बात करते हैं, गले कि समस्याओं से ग्रस्त है। जिससे आराम पाने के लिए लोग अक्सर गरम ड्रिंक्स का सहारा लेते है। अक्सर चाय लोगों को इसके लिए सबसे उपयुक्त ड्रिंक लगती है। मगर यह आपके स्वास्थ्य को गहरा नुकसान पहुंचा सकती है। इससे होने वाली समस्याओं के बारे में समझने के लिए हेल्थशॉट्स टीम ने बात की एक्सपर्ट से। जो न केवल चाय से होने वाले नुकसान के बारे में बता रहे हैं, बल्कि गले की खराश में राहत पाने के लिए इसके कुछ हेल्दी विकल्प (healthy drinks for sore throat) भी सुझा रहे हैं।
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली में इंटरनल मेडिसिन, सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. दीपक गुप्ता बताते हैं कि “यह एक मिथ है चाय से आपके खराब गले में राहत मिलेगी, बल्की चाय का अत्यधिक सेवन गले में खराश को बढ़ा सकता है। इसमें कैफीन और टैनिन होते हैं, जो गले को और सूखा सकते हैं और जलन पैदा कर सकते हैं। विशेष रूप से गर्म और अधिक चाय पीने से गले की स्थिति और बिगड़ सकती है। इसके अलावा, चाय में मौजूद चीनी भी गले की खराश को बढ़ावा दे सकती है। साथ ही इसके और निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं:
चाय टैनिन्स का एक समृद्ध सोर्स है। टैनिन्स कुछ खाने में आयरन को बांध देते हैं, जिससे यह आपके डाइजेस्टिव सिस्टम में एब्जार्र्ब करने के लिए उपलब्ध नहीं रह जाता।
आयरन की कमी दुनिया में सबसे सामान्य न्यूट्रीशन की कमी है, और यदि आपका आयरन स्तर कम हैं, तो अधिक चाय पीने से आपकी स्थिति और बिगड़ सकती है।
कुछ चाय की पत्तियाँ, जैसे काली और हरी चाय, में स्वाभाविक रूप से कैफीन होता है। चाय या किसी अन्य सोर्स से भी कैफीन का अधिक सेवन एंग्जाईटी, तनाव और बेचैनी की भावना को बढ़ा सकता है।
चाय में स्वाभाविक रूप से कैफीन होता है, और इसका अधिक सेवन आपके स्लीप साइकल को खराब कर सकता है। मेलाटोनिन एक हार्मोन है जो आपके दिमाग को बताता है कि सोने का समय है। कैफीन मेलाटोनिन उत्पादन को रोक सकता है, जिससे नींद की गुणवत्ता खराब हो सकती है। अपर्याप्त नींद कई मानसिक समस्याओं से जुड़ी होती है, जैसे थकान, याददाश्त में कमी, और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी।
चाय पीने से कभी-कभी मतली हो सकती है, खासकर जब इसे ज्यादा मात्रा में या खाली पेट पीया जाए। चाय की पत्तियों में मौजूद टैनिन्स इसके कड़वे और सूखे स्वाद के लिए जिम्मेदार होते हैं। टैनिन्स की कसैले गुणों के कारण ये डाइजेशन को परेशान कर सकते हैं, जिससे मतली या पेट में दर्द जैसी असुविधाएँ हो सकती हैं।
चाय में मौजूद कैफीन हार्टबर्न का कारण बन सकता है या एसिड रिफ्लक्स लक्षणों को बढ़ा सकता है। कैफीन उन मसल्स को ढीला कर सकता है जो आपके गले और पेट के बीच होती है, जिससे पेट का एसिड आसानी से गले में जा सकती है। कैफीन पेट में बनने वाले एसिड की मात्रा बढ़ा सकता है।
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डाॅ. दीपक आगे जोड़ते हैं कि “गले की खराश को ठीक करने के लिए चाय की बजाए कुछ स्वस्थ और अच्छे विकल्पों को चुनना चाहिए। जैसे-
शहद और नींबू के साथ गुनगुना पानी गले को राहत देने और सूजन को कम करने का एक बेहतरीन उपाय है। शहद में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं, जबकि नींबू में विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं। यह मिश्रण न केवल गले की खराश को कम करता है, बल्कि पाचन में सुधार और शरीर को हाइड्रेट भी रखता है।
अदरक का काढ़ा भी एक उत्कृष्ट विकल्प है, जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। यह गले की सूजन को कम करने और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है। इसके सेवन से जुकाम और खांसी से राहत भी मिलती है।
ग्रीन टी या हर्बल टी जैसे कैमोमाइल या तुलसी का सेवन न केवल गले में ठंडक प्रदान करता है, बल्कि इनमें एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं, जो शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर करने में मदद करते हैं। ये चायें तनाव कम करने और नींद सुधारने में भी सहायक होती हैं। इसके नियमित सेवन से इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है।
सेब का सिरका और शहद का मिश्रण, जिसे ऑक्सीमेल कहा जाता है, फ्लू के लक्षणों जैसे खांसी और गले में खराश को कम करने में मदद करता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो इन्फेक्शन से राहत प्रदान करते हैं। इसके अलावा, यह शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाता है और पाचन में सुधार करता है।
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