इन दिनों महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम-पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome- PCOS) की समस्या बहुत आम होती जा रही है। यह एक हार्मोनल समस्या है, जो महिलाओं को उनकी रिप्रोडक्टिव एज (Reproductive age) में परेशान कर सकती है। पीसीओएस के कारण कई समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन पीसीओएस से पीड़ित 14-34% महिलाओं को एक्ने की समस्या होने की संभावना हो जाती है। अक्सर देखा जाता है कि एक्ने के कारण पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं इसे सेल्फ कॉन्फिडेंस का मुद्दा बना लेती हैं। इसलिए पीसीओएस के कारण हुए एक्ने की समस्या का निदान करना बेहद जरूरी होता है। पीसीओएस के कारण हुए एक्ने की समस्या को घरेलू उपायों (how to get rid of pcos acne) से भी ठीक किया जा सकता है।
समझिए पीसीओएस के बारे में
पीसीओएस की समस्या होने पर पीरियड या तो कम समय के लिए होते हैं या हैवी ब्लीडिंग के साथ लगातार होते रहते हैं। इस स्थिति में शरीर में मेल हार्मोन एंड्रोजन लेवल बढ़ जाता है। यह सिंड्रोम लगभग 4-12% महिलाओं को प्रभावित करता है। इससे इंसुलिन रेसिस्टेंस, टाइप 2 डायबिटीज, हार्ट प्रॉब्लम, कैंसर और ओबेसिटी का जोखिम बढ़ सकता है।
पीसीओएस से होने वाले मुंहासे टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के अधिक प्रोडक्शन के कारण होते हैं। यह स्किन में ऑयल प्रोडक्शन को उत्तेजित कर देता है। सामान्यत: सीबेसियस ग्लैंड द्वारा ऑयल प्रोडक्शन अधिक होने लगता है। यह तेल स्किन पोर्स को ब्लॉक कर देता है। इससे एक्ने और पिंपल्स हो जाते हैं। ये एक्ने सामान्य एक्ने का अधिक गंभीर रूप है।
सर्फेस बंप की बजाय इसमें स्किन के नीचे कोमल गांठ बन जाती है। स्किन के सबसे अधिक हार्मोनल सेंसिटिव एरियाज पर सिस्ट जैसी संरचना दिखने लगती है। जबड़े, गाल, ठुड्डी और ऊपरी गर्दन, छाती और पीठ पर भी पीसीओएस के कारण एक्ने हो सकते हैं। स्किन के अंदर सिस्ट अक्सर नियमित मुंहासों से अधिक दर्द देते हैं।
सामान्य मुंहासों में डेड स्किन सेल्स द्वारा स्किन पोर्स अवरुद्ध हो जाते हैं। इससे नेचुरल ऑयल ब्लॉक हो जाता है, जिससे त्वचा पर ब्रेकआउट हो जाते हैं। पीसीओएस की समस्या होने पर नियमित रूप से डेड स्किन कोशिकाओं को हटाना संभव नहीं हो पाता है।
पीसीओएस से प्रभावित किसी भी व्यक्ति के चेहरे, पीठ, गर्दन और छाती पर मुंहासे हो सकते हैं। इसे कुछ घरेलू उपाय से ठीक करने की कोशिश की जा सकती है।
प्रोसेस्ड शुगर और कार्ब्स रहित आहार इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाने में मदद करता है। पीसीओएस संबंधी मुंहासे पर नियंत्रण रखने के लिए ग्लूटेन फ्री डाइट लेना चाहिए। कुछ अध्ययन यह बताते हैं कि डेयरी प्रोडक्ट को कम लेने से मुंहासे और अन्य पीसीओएस लक्षणों में मदद मिलती है। लो कार्ब वाला आहार लेना चाहिए।
आहार के साथ-साथ टेस्टोस्टेरोन लेवल पर भी नियंत्रण रखना होगा। कुछ आहार स्वाभाविक रूप से टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं। ओमेगा 3 फैटी एसिड, अश्वगंधा, डिंडोलिलमीथेन (डीआईएम), विटामिन डी, कैल्शियम-डी-ग्लूकार्ट, ब्लैक कोहोश, स्पीयरमिंट टी, डोंग क्वाई रूट बेहद मददगार हो सकते हैं।
सही प्रकार के खाद्य पदार्थ और नियमित व्यायाम से स्वस्थ जीवनशैली विकसित होती है। इससे इंसुलिन रेसिस्टेंस को ठीक करने में मदद मिलती है। एलोवेरा, अलसी, लीकोरिस रूट, मेथी, कॉड लिवर ऑयल जैसे फूड सप्लीमेंट इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ा सकते हैं। यदि आप फास्ट रखती हैं, तो ब्लड शुगर लेवल पर नजर रखें। ऐसे हर्ब और मसालों के साथ खाना पकाएं, जिनमें एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक प्रभाव होता है।
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कस्टमाइज़ करेंपीसीओएस और मुंहासे दोनों गट हेल्थ से जुड़े होते हैं। गट माइक्रोबायोटा इन्फ्लेमेशन को प्रभावित करता है। यह सिस्टिक एक्ने में भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। प्रोबायोटिक की खुराक गट हेल्थ को सुनिश्चित करने का एक आसान तरीका है। इसलिए आहार में नेचुरल प्रोबायोटिक्स भी शामिल किया जा सकता है।
बोन ब्रोथ, केफिर, कोम्बुचा, छाछ, दही और अन्य फरमेंटेड फूड को भोजन में शामिल किया जा सकता है। इनमें स्वस्थ प्रोबायोटिक बैक्टीरिया मौजूद होते हैं।
सही आहार के साथ इन्फ्लेमेशन का मुकाबला किया जा सकता है। मौसमी फल- सब्जियां और लीन मीट जैसे प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है। पालक, सरसों के पत्ते, लेट्यूस, अरुगुला, कोलार्ड जैसे पत्तेदार साग और नारियल तेल में भी एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं।
अपने आहार में मक्खन, घी, ऑलिव ऑयल, तिल का तेल, एवोकाडो, वसायुक्त मछली, नट, सीड्स को भी शामिल किया जा सकता है। पीसीओएस से प्रभावित होने पर हल्दी, अदरक, लहसुन और ग्रीन टी को भी अपने आहार का हिस्सा बनाना चाहिए।
व्यायाम इंसुलिन रेसिस्टेंस में सुधार करता है। साथ ही, तेज चलना, साइकिल चलाना, नृत्य, तैराकी और योग को भी आजमाया जा सकता है। मसल्स और वेट लॉस एक्सरसाइज इसमें विशेष रूप से सहायक हो सकते हैं। क्योंकि ये शरीर को इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील बनने में मदद करते हैं।
हाइड्रेटेड रहने के लिए पानी महत्वपूर्ण है। यह न केवल शरीर में पीएच स्तर को संतुलित करने में मदद करेगा, बल्कि सूजन को भी खत्म करेगा।
पानी त्वचा की कोशिकाओं तक पोषक तत्वों और विटामिन को ले जाने में मदद करता है। यह टाॅक्सिंस को शरीर से बाहर निकालने में भी मदद करता है। इससे पीसीओएस से होने वाले मुंहासे भी खत्म हो पाएंगे।
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