किसी भी चीज की अति ख़राब होती है। यदि हम ज्यादा खा लेते हैं, तो हमारा हाजमा खराब हो जाता है। मेकअप अधिक कर लेते हैं, तो चेहरा खराब दिखने लगता है। यदि कोई व्यक्ति हमसे कुछ पूछता है। यदि हम जवाब में अधिक वाक्य बोल जाते हैं, तो सामने सुनने वाला हमारी बात सुनकर ऊबने लगता है। वह हमारी बात अनमने ढंग से सुनने लगता है। संभव है कि कुछ देर बाद वह हमारी बात पर गौर करना भी छोड़ दे। ठीक यही बात हमारी सोच और व्यवहार पर भी फिट बैठती है। हमें अपने व्यवहार प्रदर्शन में भी अति से बचना चाहिए। घर हो या ऑफिस दोनों स्थान पर हमें अति से बचना चाहिए।
अपने मन की बात कह देने से दिल हल्का होता है। दिमाग शांत हो जाता है। इसलिए बातों को जरूर शेयर करना चाहिए। इसे दबाकर नहीं रखना चाहिए। पर भावुकता में कहीं भी अपनी बात शेयर नहीं करें। संभव है कि इससे आपका नुकसान हो जाए। कुछ महिलाएं किसी बात पर ऑफिस में भी आंसू बहाने से खुद को रोक नहीं पाती हैं।
भावावेश में अपनी सारी बात कह देना या आंसू बहाना भी अति भावुकता की निशानी है। गॉसिप को पसंद करने वाले लोग आपकी बात में मिर्च मसाला लगाकर आपकी बात कई लोगों तक पहुंचा दे सकते हैं। यही बात घर के सदस्यों पर भी लागू होती है। आपके विश्वासपात्र बन कर कुछ लोग आपकी बात घर के तमाम सदस्यों तक पहुंचा सकते हैं।
संवाद जरूरी है, पर संवाद की अधिकता नुकसान पहुंचा देती है। कभी-कभी जब रिश्ते अच्छे बनाने होते हैं, तो हम सभी से संवाद करने लग जाते हैं। हमें सोच-समझकर संवाद करना चाहिए। जिन लोगों से जो बात नहीं कहनी है, जिससे दूसरों को नुकसान पहुंचने की संभावना रहती है, उसे दूसरों के सामने कम्यूनिकेट नहीं करें। जो कुछ भी आप संवाद के माध्यम से कहने जा रही हैं, उसे बताने से पहले एक बार जरूर सोचें।
हालांकि कुछ मिनटों में पर्सनालिटी चेंज करना संभव नहीं है। फिर भी बहुत बोलना या बिल्कुल चुप रहना दोनों ही सही नहीं है।
कहावत है कि शालीनता हमारे व्यक्तित्व का गहना है। इसलिए सभी के साथ शालीनतापूर्वक व्यवहार करना चाहिए। पर यहां भी अति से बचना चाहिए। यदि आप दूसरों के प्रति बहुत ज्यादा उदार हो जाती हैं, तो लोग आपका फायदा उठाने लग जाते हैं। जहां जरूरी है, वहां भी यदि आप सटीक जवाब नहीं देती हैं, तो लोग आपको टेकन फॉर ग्रांटेड लेने लगते हैं। यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर अपनी बात से आपको नुकसान पहुंचाना चाहता है या आपको नीचा दिखाना चाहता है, तो आपको उसके विरुद्ध एक्शन लेना चाहिए।
भले ही आप शिष्टाचार का पालन करते हुए यह काम करें। वहीं दूसरी ओर जहां जरूरी है, वहां चुप रहने में ही भलाई है।
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