गर्मी के मौसम में ठंडा पानी पीने के लिए अक्सर लोग बर्फ की क्यूब्स की मदद लेते है। हांलाकि ठंडा पानी गर्मी में प्यास बुझाने में मदद तो करता है। मगर साथ ही खांसी जुकाम का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में मटके का शीतल जल प्यास बुझाने के अलावा थकान को दूर करने में भी मदद करता है। आयुर्वेद में मटके का पानी पीने की सलाह दी जाती है। मगर उससे पहले जान लें कि मटके में पानी भरने से पहले किस तरह से करें मटके की सही साफ सफाई। जानते हैं मटके को साफ करने की टिप्स और उससे शरीर को मिलने वाले फायदे (Matka for cold water in summer)।
इस बारे में न्यूट्रीशनिस्ट नेहा रंगलानी बताती हैं कि मटके के पानी में मिनरल्स की उच्च मात्रा पाई जाती है, क्यों कि इसमें अर्थ की इलेक्ट्रोमेगनेटिक प्रॉपर्टीज़ पाई जाती हैं। दरअसल, ये पानी मिट्टी से होकर आता है, जिससे इसका नेचर अल्कलाइन हो जाता है। इससे बॉडी और मांइड को हील करने में मदद मिलती है। ये पूरी तरह से नेचुरल केमिकल फ्री होता है।
सबसे पहले मुलायम कपड़ा लेकर मटके को अंदर से रगड़ें और उसमें मौजूद मिट्टी को साफ कर लें। इस तरह मटके के अंदर मौजूद मिट्टी के छोटे कणों को निकाला जा सकता है। साथ ही क्लीनिंग का प्रोसेस आसान हो जाता है (Matka for cold water in summer)।
मटके को उल्टाकर किसी स्टैड पर रखें और उस पर कुछ देर तक पानी गिराएं। इससे मिट्टी को ठंडक मिलती है और पानी भरने के बाद देर तक ठंडा रहता है (Matka for cold water in summer)। मटके को कुछ घंटों तक उल्टा करके रखें।
इसके लिए एक गिलास में 2 से 3 चम्मच नमक, बेकिंग सोडा और सिरका डालकर पानी में घोलें। अब इस मिश्रण को मटके डालकर 10 से 15 मिनट तक रखें। इसके साथ ही मटके में थोड़ा पानी भी भर दें। घोल से मटके को साफ करके उसे बाहर निकाल दें और पानी से धो दें।
अब धोने के बाद मटके को उपर तक पानी से भर लें और कुछ घंटों के लिए ढ़ककर रख दें। इससे घड़े में मौजूद छोटे छोटे छेद खुलने लगते है। अब नमक वाले पानी को गिराकर सामान्य पानी से मटके को धो लें और उसमें पानी भरकर रखें। इससे पानी शीतल (Matka for cold water in summer) और हेल्दी रहता है।
हाइजीन को मेंटेन करने के लिए मटके के पानी को रोज़ बदल कर भरे और साफ पानी डालें। इससे शरीर को मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स की प्राप्ति होती है। साथ ही शरीर एक्टिव व हेल्दी बना रहता है।
मिट्टी का मटका एक नेचुरल फिल्टर के रूप में कार्य करता है। इससे पानी में मौजूद अशुद्धियों और हानिकारक विषाक्त पदार्थों को दूर करने में मदद मिलती है। दरअसल, जब पानी को मिट्टी के बर्तन में रखा जाता है, तो ये मिट्टी के छोटे छिद्रों से होकर गुजरता है और प्राकृतिक रूप से फ़िल्टर हो जाता है (Matka for cold water in summer)।
मिट्टी के बर्तन में कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं। ऐसे में जब पानी को मिट्टी के बर्तन में रखा जाता है, तो इससे मिनरल्स को अवशोषित किया जा सकता है। इससे शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों की प्राप्ति होती हैं। इसमें पृथ्वी के विद्युत चुम्बकीय गुण भी होते हैं जो मन और शरीर को ठीक करते हैं।
पानी को स्टोर करने के लिए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करना एक इकोफ्रेंडली विकल्प है। इससे पर्यावरण को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचता हैं। साथ ही बिजली की बचत होती है। दरअसल, मिट्टी के बर्तन बायोडिग्रेडेबल होते हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचाते हैं।
मिट्टी के बर्तनों से पानी पीने का एक मुख्य लाभ इसकी प्राकृतिक शीतल गुण है। मिट्टी से तैयार मटके के अंदर से हवा और नमी आसानी से गुजर जाती है। मिट्टी का यह प्राकृतिक गुण इसे एक बेहतरीन इन्सुलेटर बनाता है। जब पानी को मिट्टी के बर्तन में रखा जाता हैए तो पानी धीरे धीरे होल्स से रिसता है और इवेपोसेट होने लगता है, जिससे पानी प्राकृतिक रूप से ठंडा रहता है।
पानी का पीएच स्तर हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। प्लास्टिक के कंटेनर या बोतलों में रखे पानी का पीएच स्तर कंटेनर में मौजूद रसायनों के कारण बदल सकता है। हालाँकि, जब पानी को मिट्टी के बर्तन में रखा जाता है, तो उससे पीएच संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है।
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