वातावरण में बढ़ता पटाखों का धुंआ और सर्द हवाओं का प्रभाव शरीर पर दिखने लगता है, जो डस्ट एलर्जी का कारण साबित होता है। इसके चलते सर्दी, खांसी, जुकाम और सांस लेने में तकलीफ संबधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अधिकतर लोग इस समस्या से निपटने के लिए दवाओं की मदद लेते हैं। मगर कुछ खास बातों का ख्याल रखकर इस समस्या को हल किया जा सकता है। इससे न केवल एलर्जी से राहत मिल सकती है बल्कि आसपास के माहौल में हाइजीन भी मेंटेन रहती है। अगर आप भी दिवाली के कारण हवा में घुलने वाली गैसिस और पॉल्यूटेंटस का शिकार हो रही हैं, तो इन आसान टिप्स को अवश्य फॉलो करें (dust allergy after diwali)।
अमेरिकन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा और इम्यूनोलॉजी के अनुसार वातावरण में धुंआ बढ़ने से जहां लोगों को आउटडोर एलर्जी का सामना करना पड़ता है। वहीं घर में भी धूल के कण साँस लेने में तकलीफ को बढ़ा देते हैं। प्रदूषण के कारण खिड़की दरवाज़ों के खुला रहने से इनडोर एलर्जी की संभावना बढ़ जाती है।
घर के अंदर आते ही धूल के कण खांसी, छींक ओर आंखों में लालिमा का कारण बनने लगते हैं। दरअसल, इनडोर एलर्जेंस इस समस्या का कारण बनते हैं, जो हवा में तैरते हुए देखा जा सकता है। वे घर की धूल और हवा में मौजूद नमी से पोषण लेते हैं। एलर्जिक राइनाइटिस के अलावा, धूल के कण से एलर्जी अस्थमा को भी ट्रिगर कर सकती है और एक्जिमा को भड़का सकती है।
इस बारे में पल्मोनोलॉजी, सीनियर कंसल्टेंट डॉ अवि कुमार बताते हैं कि वे लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर है और जिन्हें बार बार एलर्जी का सामना करना पड़ता है। उन्हें मास्क अवश्य लगाना चाहिए। पॉल्यूटेंट्स का बढ़ता प्रभाव खांसी का कारण बनने लगता है। दिवाली के बाद पॉल्यूशन का बढ़ने वाला स्तर सांस संबधी समस्याओं का कारण नगता है। इसके चलते एयरवेज़ में इफ्लामेशन और इरिटेशन बढ़ जाती है। इस स्थिती से बाहर आने के लिए भरपूर पानी पीएं और विटामिन सी व डी का सेवन करें। इसके अलावा रेस्पीरेटरी हाइजीन को बनाए रखें।
घर में सोफे, कमरों के बेड कवर और हर ओर लगे पर्दे ढस्ट एलर्जी का कारण साबित होते हैं। वे चीजें जिन्हें धोना आसान नहीं है, उन्हें साप्ताहिक तौर पर वैक्यूम क्लीनर से साफ करें। इससे इनडोर पॉल्यूटेंटस का प्रभाव कम होने लगता है और हाइजीन मेंटेन रहती है। वे लोग जो एलर्निक है, उन्हें वैक्यूम क्लीनिंग के एक दम बाद उस जगह जाने पर परहेज़ करना चाहिए।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार विटामिन सी और डी शरीर के इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है। इसके अलावा रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफे्क्शन के जोखिम से भी बचा जा सकता है। इम्यून सेल्स की फंक्शनिंग को बनाए रखने के लिए आहार में नींबू, संतरा और किन्नू जैसे खट्टे औश्र रसदार फलों को शामिल करें।
डस्ट एलर्जी के चलते अक्सर खांसी और सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। दरअसल, गले में बढ़ने वाला संक्रमण बैक्टीरिया के प्रभाव को बढ़ा देता है। ऐसे में बार-बार पानी पीने से एलर्जी से मुक्ति मिलती है। खुद को हाइड्रेट रखने से टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स किया जा सकता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह उचित रहता है और ब्लढ सर्कुलेशन भी बेहतर होती है।
आउटडोर के अलावा इनडोर एलर्जी भी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है। ऐसी स्थिति में घर के अंदर आते ही अक्सर लोगों को तेज़ खासी और छींकों की समस्या बनी रहती है। ऐसे में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करके डस्ट को नियंत्रित किया जा सकता है। आटोमेटिक एयर प्यूरिफायर आवश्कतानुसार हवा को रेगुलेट करने लगता है, जिससे वातावरण में स्वच्छता बढ़ने लगती है।
धूल के कण डस्ट एलर्जी का कारण बनने लगते है। ऐसे में घर के अंदर नियमित रूप से साफ सफाई करें और स्वच्छता को बनाए रखें। इससे स्वास्थ्य संबधी समस्याओं से बचा जा सकता है। ऐसे लोग जिनका इम्यून सिस्टम कमज़ोर है, उन्हें गंदगी से गचने की आवश्यकता है।
भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें और बाहर निकलने से पहले मास्क अवश्य पहनें। वे लोग जो मॉर्निंग वॉक के लिए जाते हैं, उन्हें मास्क अवश्य पहनाना चाहिए, ताकि पोलन एलर्जी के खतरे से बचा जाए। नमी वाली जगहों से भी दूरी बनाकर रखें।