गर्मी और उमस बढ़ने पर क्यों हो जाती हैं घमोरियां, जानिए इनका कारण और उपचार के घरेलू उपाय

मानसून में बारिश की फुहारों के बाद त्वचा पर होने वाली स्वैटिंग स्किन में ब्लॉकेज का कारण बनने लगती है। इसके जलन और खुजली का सामना करना पड़ता है। जानते हैं घमोरियों की समस्या से राहत पाने के लिए किन टिप्स को फॉलो करें
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त्वचा के नीचे एकत्रित होने वाले पसीने से ब्लॉकेज होने लगती है। ये पसीना जब बाहर नहीं आ पाता है, तो त्वचा को घमोरियों का सामना करना पड़ता है। चित्र : अडॉबीस्टॉक
Updated On: 18 Jul 2024, 05:00 pm IST

बढ़ती गर्मी और उमस के कारण बार बार स्वैटिंग का सामना करना पड़ता है। इसके चलते बाजू, पीठ और गर्दन के नज़दीक घमोरियों की समस्या का सामना करना पड़ता है। नमी युक्त और गर्म वातावरण में घमोरियों का खतरा बढ़ जाता है। मानसून में बारिश की फुहारों के बाद त्वचा पर होने वाली स्वैटिंग स्किन में ब्लॉकेज का कारण बनने लगती है। इसके चलते जलन और खुजली का सामना करना पड़ता है। जानते हैं घमोरियों की समस्या (prickly heat) कैसे पनपती है और इससे राहत पाने के लिए किन टिप्स को फॉलो करें।

घमोरियां कैसे पनपती है (How heat rash develop)

इस बारे में एमडी, डर्माटोलॉजिस्ट, मैक्स स्मार्ट हॉस्पिटल डॉ कशिश कालरा बताते हैं कि त्वचा के नीचे एकत्रित होने वाले पसीने से ब्लॉकेज होने लगती है। ये पसीना (sweating) जब बाहर नहीं आ पाता है, तो त्वचा को घमोरियों का सामना करना पड़ता है। इसे अंग्रेजी में प्रिक्ली हीट (prickly heat) और मिलिरिया (miliaria) भी कहा जाता है। इसके लिए स्किन को गर्मी से बचाना बेहद ज़रूरी है। साथ ही बढ़ने वाली उमस में त्वचा को हेल्दी रखने के लिए कुछ बातों का ख्याल रखें।

Heat rash kise kehte hain
इसके चलते बाजू, पीठ और छाती पर रेडनेस बढ़ जाती है और छोटे छोटे दाने नज़र आने लगते हैं।चित्र : अडॉबीस्टॉक

घमोरियां कितने प्रकार की होती हैं (Types of heat rash)

इसके तीन प्रकार होते हैं, मिलिरिया क्रिस्टलीना (miliaria crystalline), मिलिरिया रूबरा (miliaria rubra) और मिलिरिया प्रोफंडा (miliaria profunda) । मिलिरिया क्रिस्टलीना  आमतौर पर न्यूबॉर्न बेबीज़ में होता है, जो पूरी तरह से हार्मले होता है। मिलिरिया रूबरा को हीट रैश और घमोरियों (prickly heat) का नाम दिया जाता है। इसके चलते बाजू, पीठ और छाती पर रेडनेस बढ़ जाती है और छोटे छोटे दाने नज़र आने लगते हैं। इसमें जलन और खुजली बढ़ने लगती है। वहीं मिलिरिया प्रोफंडा डीप ग्लैंडस में होता है, इसमें कई बार त्वचा पर दानों में पस बढ़ने की समस्या का सामना भी करना पड़ता है।

जानते हैं घमोरियों की समस्या से राहत पाने की टिप्स (tips to get rid of prickly heat)

1. स्किन को मॉइश्चराइज़ रखें (moisturize)

इसके लिए त्वचा पर कैलेमाइन लोशन, मेन्थोल लोशन या कोई मॉइश्चराइज़र का इस्तेमाल करें। प्रिक्ली हीट को रिवर्स करने वाले इ्रग्रीडिएंटस से भरपूर मॉइश्चराइज़ का इस्तेमाल करें। इससे त्वचा पर संक्रमणों का प्रभाव कम होता है और बार बार होने वाली स्वैटिंग की समस्या हल होने लगती है। त्वचा की नमी बरकरार रहती है और स्किन सेल्स बूस्ट होने लगते हैं।

2. शरीर को हाइड्रेट रखें (stay hydrated)

पसीना आने से शरीर में हीट रैश और डिहाइड्रेशन का खतरा बना रहता है। इससे राहत पाने के लिए पानी भरपूर मात्रा में पीएं। इससे स्किन की लोच बरकरार रहती है और शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह नियमित बना रहता है। साथ ही स्किन में बढ़ने वाले स्वैट ब्लॉकेज से भी बचा जा सकता है। शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की मात्रा को बनाए रखने के लिए डिटॉक्स वॉटर का सेवन करें।

body ko hydrate rakhein
पसीना आने से शरीर में हीट रैश और डिहाइड्रेशन का खतरा बना रहता है। इससे राहत पाने के लिए पानी भरपूर मात्रा में पीएं।

3. ब्रीथएबल और लूज़ फिटिंग कपड़े पहनें (breathable clothes)

सिथेटिक फाइबर (synthetic fiber) से स्वैट और एयर रिलीज़ होने में बाधा का सामना करना पड़ता है। मॉइश्चर एकत्रित होने से पसीने की समस्या बढ़ जाती है, जो घमोरियों का रूप लेने लगती है। ऐसे कपड़े पहनें, जो ब्रीथएबल हों और स्किन की नमी बरकार रहें। टाइट कपड़े पहनने से बार बार पसीने की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में हल्के रंग के लूज़ कपड़े ही पहनें।

4. कोल्ड शावर लें (cold shower)

ठंडे पानी से नहाने से शरीर के तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही स्किन पर बढ़ने वाली जलन, इचिंग और रेडनेस से राहत मिलती है। इसके अलावा शरीर पर मौजूद धूल, मिट्टी और पॉल्यूटेंटस का प्रभाव कम होने लगता है। शरीर के लिए कोल्ड शावर के अलावा कोल्ड क्रप्रैस भी बेहद ज़रूरी है।

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घमोरियां दूर करने के लिए इन घरेलू नुस्खों की लें मदद

  • एंटी इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर नीम के पाउडर को पानी में मिलाकर घमोरियों पर लगाने से शरीर को ठंडक मिलती है और रैशेज से राहत मिलने लगती है।
  • एलोवेरा जेल में पाई जाने वाले मॉइश्चराइजिंग प्रॉपर्टीज से त्वचा पर बढ़ने वाली जलन औश्र लालिमा को कम किया जा सकता है। इसे रैशैज पर अप्लाई करें।
  • चंदन के पाउडर को दूध में मिलाकर शरीर पर लगाने से स्वैटिंग की समस्या कम होने लगती है। इसके अलावा स्किन सेल्स को बूस्ट करने में भी मदद मिलती है।
  • ओटमील बाथ से इचिंग के खतरे को कम किया जा सकता है। त्वचा पर बार बार होने वाली खुजली को दूर करने के लिए पानी में ओटमील पाउडर को मिलाएं औी फिर उससे नहाएं।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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