सुबह उठते ही अजीब से विचार दिमाग के इर्द गिर्द गोल गोल चक्कर काटने लगते हैं और व्यक्ति चिंता में घिरा महसूस करता है। अधिकतर लोग नींद खुलने के बाद भी देर तक बिस्तर पर लेटे रहते हैं। देखने में ये दृश्य सामान्य हो सकता है, मगर वास्तिवकता में ये मॉर्निंग एंग्ज़ाइटी की ओर इशारा करता है। दिनभर में कई कारणों से बढ़ने वाली चिंता और तनाव इस समस्या को गंभीर बना देते हैं। जानते हैं किस तरह मॉर्निंग एंग्ज़ाइटी (morning anxiety) को दूर किया जा सकता है।
इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ आरती आनंद बताती हैं कि दिनों दिन बढ़ने वाला वर्कलोड व्यक्ति की चिंताओं को बढ़ाने का कारण साबित होता है। साथ ही शरीर में बढ़ने वाली थकान के चलते व्यक्ति कार्य पर फोकस नही कर पाता है, जो उसकी एंग्ज़ाइटी का कारण साबित होता है। दरअसल, एंग्ज़ाइटी डिसऑर्डर उस स्थिति को कहते है, जिसमें व्यक्ति अपने व्यवहार और चिंता को नियंत्रित नहीं कर पाता है। नींद पूरी न होने के कारण शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने से भी तनाव की समस्या बनी रहती है।
व्यक्ति देर तक किसी गहरी सोच में डूबा रहता है, जिससे उसको समय का अदाज़ा नहीं हो पाता है।
पेट में दर्द महसूस होने लगता है और चक्कर आने लगते है।
बेवजह शरीर में थकान महसूस होती है और वर्क प्रोडक्टीविटी कम हो जाती है।
सिरदर्द की समस्या बढ़ जाती है और छाती में भी भारीपन महसूस होने लगता है।
नर्वसनेस बनी रहती है और व्यक्ति बेवजह रोन और चिल्लाने लगता है।
स्क्रीन टाइम बढ़ने या देर रात तक काम करने से नींद की गुणवत्ता प्रभावित होने लगती है। 7 से 8 घंटे की नींद न लेने से तनाव का स्तर बढ़ने लगता है। दरअसल, स्लीप डिसऑर्डर से शरीर में कार्टिसोल का स्तर बढ़ने लगता है, जो का मॉर्निंग एंग्ज़ाइटी का कारण साबित होता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार सुबह उठते ही कैफीन और शुगर का सेवन करने से नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है, जिससे तनाव की समस्या बढ़ जाती है। रिसर्च के अनुसार कैफीन की मात्रा ब्रेन केमिकल एडेनोसिन को ब्लॉक करके सतर्कता बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति मानसिक थकान का अनुभव करता है। मगर साथ ही एड्रेनालिन का स्राव बढ़ने से शरीर में ऊर्जा महसूस होती है।
दिनभर काम में व्यस्त रहने से व्यक्ति खुद को बोझिल महसूस करता है। ऐसे में तनाव का स्तर बढ़ने लगता है और शरीर में थकान महसूस होती है। सुबह उठकर फिर से उन्हीं चीजों की चिंता का बने रहना एंग्ज़ाइटी डिसऑर्डर का कारण बनता है। इसके चलते शरीर में थकान के अलावा कमज़ोरी महसूस होती है। साथ ही व्यवहार में चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।
हार्मोनल असंतुलन चिंता का कारण बनने लगता हैं। दरअसल, शरीर में किसी भी हार्मोन की अधिकता मेटाबोलिज्म को तेज़ कर देती है। इससे असामान्य घबराहट, बेचैनी और थकान बनी रहती है। व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करने लगता है, जिससे मॉर्निंग एंग्ज़ाइटी का सामना करना पड़ता है।
किसी भी समस्या को हल करने के लिए उसके कारणों की जांच करना आवश्यक है। वे लोग जो मॉर्निंग एंग्ज़ाइटी से जूझ रहे हैं, उन्हें पहले तनाव ककी वजह की पहचान करनी चाहिए। इससे उसे सुलझाने में मदद मिलती है। अगर कोई बात चिंता का कारण बन रही है, तो उसे सुलझाने की दिशा में कार्य करना चाहिए।
नकारात्मक विचारों से राहत पाने के लिए आहार में मैग्नीशियम और पोटेशियम से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें। इसके लिए आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, नट्स सीड्स, ओट्स और साबुत अनाज को शामिल करें। इससे कोर्टिसोल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
सुबह उठकर माइंडफुलनेस के लिए कुछ वक्त मेडिटेशन करने के लिए निकालें। उसके बाद एक्सरसाइज अवश्य करे। इससे शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है, जो मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है। एनआईएच के रिसर्च के अनुसार सप्ताह में 5 दिन 30 मिनट एक्सरसाइज़ करने से तनाव को कम करने में मदद मिलती है।
उठने के साथ ही एक के बाद एक अपने सभी कार्यों को सिलसिलेवार ढ़ग से पूरा करने से तनाव की समस्या दूर होने लगती है। व्यक्ति दिनभर एक्टिव रहता है और काम पूरा न होने की चिंता से भी मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा बिज़ी लाइफ में से मी टाइम भी आसानी से निकाला जा सकता है।
किसी समस्या के बार में देर तक सोचना चिंता को बढ़ा देता है। इससे व्यक्ति के विचारों में नकारात्मकता बढ़ जाती है और मानसिक थकान का सामना करना पड़ता है। ऐसे में किसी व्यक्ति और परिस्थिति को लेकर नकारात्मक विचारधारा कायम न करें। दिमाग को रिलैक्स रखने के लिए पॉज़िटिव विचारों की ओर बढ़ें।