मौसम के करवट लेते ही जोड़ों में दर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है। हड्डियों में आने वाली अकड़ान के कारण चलने फिरने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। समय पर देखभाल न करने पर दर्द की शिकायत बढ़ने लगती है। दर्द के चलने के कारण घुटनों के आसपास की मांसपेशियों पर प्रेशर बढ़ने लगता है। इससे अधिक दबाव महसूस होने लगता है। अगर आप भी ज्वाइंट पेन से ग्रस्त (knee pain in winters) है,तो इन टिप्स की लें मदद।
घुटनों में दर्द और ऐंठन कई कारणों से बढ़ने लगती है। आर्थराइटिस फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, ठंड का मौसम दर्द की संवेदनशीलता को बढ़ा देता हैए। इससे ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होने लगती है, जिससे मांसपेशियों में ऐंठन बढ़ने लगती है। वायुमंडल में वायु का दबाव बढ़ने से जोड़ों की क्षमता पर उसका प्रभाव दिखने लगता है।
इस बारे में कायरोप्रेक्टर हरप्रीत कौर बताती हैं कि जोड़ों के बीच मौजूद तरल पदार्थ को सायनोवियल फ्लूइड कहा जाता है। ये पदार्थ जोड़ों में कुशनिंग का काम करता है। इसका कार्य शारीरिक अंगों में होने वाली ऐंठन और जर्क से रक्षा करना है। बढ़ती ठंड के कारण गिरते तापमान से यह द्रव गाढ़ा होने लगता है। इसके चलते घुटने के कठोरता बढ़ जाती है और दर्द व सूजन का सामना करना पड़ता है। इससे बचने के लिए नियंमित व्यायाम और पौष्टिक आहार आवश्सक है।
घुटनों को गर्माहट प्रदान करने के लिए नियोप्रीन स्लीव या नी रैप का इस्तेमाल करें। घुटनों की रक्षा के लिए गर्म कपड़े पहनें व जूते इस्तेमाल करें, जिससे ठिठुरन को कम किया जा सकता है। हीटिंग पैड व हॉट वॉटर बॉटल का प्रयोग करें।
डॉक्टर की सलाह से नियमित व्यायाम करने से हड्डियों की मोबिलिटी बनी रहती है। इससे बोन्स ल्यूब्रिकेट रहती है, जिससे चलने फिरने में तकलीफ कम होती है। रोज़ाना एक्सरसाइज़ करने से ज्वाइंट में बढ़ने वाली स्टिफनेस को कम किया जा सकता है।
शरीर को हेल्दी बनाए रखने के लिए विटामिन डी का सेवन बेहद कारगर साबित होता है। इससे घुटनों में बढ़ने वाले दर्द को कम करके सूजन कम करने में मदद मिलती है। इससे सेल फंक्शनिंग इंप्रूव हेती है, जिससे शरीर में बढ़ने वाली थकान को कम किया जा सकता है।
निर्जलीकरण के चलते शरीर का लचीलापन कम होने लगता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार जोड़ों को सूखने से बचाने के लिए हर दिन आठ गिलास पानी पीएं। दरअसल, पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन करने से जोड़ों की चिकनाई बनी रहती है। इससे सूजन को कम किया जा सकता है और कार्टिलिज में फ्रिक्शन को भी कम करता है। इससे ज्वाइंटस में स्मूदनेस बनी रहती है।
पेन ट्रीटमेंट सेंटर ऑफ अमेरिका के अनुसार आहार में हाई वॉटर कंटेट वाले फल और सब्जियों को शामिल करें। ऐसे में खीरा, बैरीज, पालक और टमाटर का सेवन करें। इससे बॉडी में फलेक्सिबिलीटी बढ़ने लगती है और चोटिल होने व ऐंठन बढ़ने के खतरे से बख जा सकता है। आहार में शुगरी और प्रोसेस्ड फूड को शामिल न करें। इसके अलावा सेचुरेटिड फैट्स के सेवन से बचें।
भरपूर नींद लेने से शारीरिक अंगों में बढ़ने वाली थकान से बचा जा सकता है। शारीरिक तनाव को दूर करने के लिए स्लीप पैटर्न को फॉलो करें और उसके अनुसार सो जाएं। इससे शरीर एक्टिव और हेल्दी रहता है। साथ ही शरीर में होने वाली कमज़ोरी को भी दूर किया जा सकता है।
घुटनों की सेहत को बनाए रखने के लिए सही जूतों को चुनना बेहद आवश्यक है। इसके लिए सही नाप और फिटिंग का जूता चूनें। इसके अलावा चोटिल होने के खतरे से बचने के लिए उनकी ग्रिप का बेहतर होना भी आवश्यक है। स्टिफनेस दूर करने के लिए जूतों का अधिक सख्त और ज्यादा नरम होना नुकसानदायक हो सकता है। पैरों को सपोर्ट प्रदान करने के लिए सही फुटवेयर खरीदें।