सर्दी के मौसम में गर्म कपड़ों को पहनने से कई बार स्किन एलर्जी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते अंडरआर्म्स में खुजली की समस्या बनी रहती हैं। त्वचा की संवेदनशीलता आर्मपिट रैश की समस्या को बढ़ा देती है। केमिकल युक्त प्रोड्क्ट्स का अत्यधिक इस्तेमाल और शुष्कता का बढ़ना त्वचा पर लालिमा और जलन का का कारण साबित होता है। साथ ही सूजन का भी सामना करना पड़ता है। सबसे पहले जानते हैं क्यों बढ़ने लगती है आर्मपिट रैश (armpit rash) की समस्या और किन आसान टिप्स की मदद से इस समस्या से राहत मिलती है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार आर्मपिट रैश (armpit rash) से ग्रस्त लोगों की त्वचा पर दाने उभरने लगते हैं। इससे स्किन लाल और गहरी नज़र आने लगती है। स्वैटिंग के चलते ये समस्या बढ़ जाती है। यहां एपोक्राइन स्वैट ग्लेंड होते हैं, जो स्वैट ग्लेंड का वो प्रकार है जिससे गंध पैदा करती है। इससे त्वचा का रंग काला और गहरा दिखने लगता हैं।
इसके चलते त्वचा की परतों में पसीना और तेल जमा होने लगता है। बगल में बहुत ज़्यादा गर्मी और नमी बनी रहती है। इसके चलते रैशेज का सामना करना पड़ता है। जानते हैं स्किन एक्सपर्ट नवजोत विर्क से इस समस्या के कारण और इससे राहत पाने के उपाय भी।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार अटोपिक डर्माटाइटिस को एग्ज़िमा भी कहा जाता है। इसके चलते त्वचा पर जलन और एलर्जी बनी रहती है और सूजन का सामना करना पड़ता है। स्किन पर पैच दिखने लगते है। गर्म कपड़ों के स्किन के कॉटेंक्ट में आने और नमी की कमी इस समस्या को बढ़ाती है।
कैंडीडा जैसे यीस्ट इंफेक्शन से इस समस्या का सामना करना पड़ता है। त्वचा के नम हिस्सों जैसे आर्मपिट (armpit rash) में इस समस्या का जोखिम बढ़ने लगता है। ये एक प्रकार का फंगल इन्फेक्शन है, जिससे त्वचा पर लाल दाने नज़र आने लगते है, जिनमें जलन और खुजली बढ़ जाती है।
स्किन फोल्डस में सोरायसिस की समस्या बनी रहती है। इस समस्या से ग्रस्त लोगों को त्वचा पर सूजन और रैशेज़ का सामना करना पड़ता है। इससे स्किन पर पैचेज और खुजली बढ़ने लगती है। इसके चलते त्वचा की रंगत में बदलाव नज़र आने लगता है।
भागने, तेज़ तेज़ चलने या किसी अन्य कार्य के कारण त्वचा रगड़ने से इंटरट्रिगो की समस्या बढ़ जाती है। गर्मी और नमी के चलते ये समस्या और भी बढ़ जाती है। इसके चलते त्वचा पर लाल चकत्ते दिखने लगते है। इससे स्किन में नमी बरकरार रहती है। इससे त्वचा में सूजन और स्किन सेल्स क्षतिग्रस्त होने लगते है।
व्यायाम करने या वॉक के दौरान टाइट कपड़े पहनने से स्वैटिंग का सामना करना पड़ता है। देर तक नमी बने रहने से त्वचा पर दाने उभरने लगते हैं, जिससे आर्मपिट रैश की समस्या बढ़ने लगती है। ऐसे में ढ़ीले और कॉटन के कपड़े पहनें। इससे त्वचा की नमी को सोखने में मदद मिलती है।
सर्दियों के मौसम में ठंड से बचने के लिए ज्यादा गर्म कपड़े पहनने से परहेज़ करें। दरअसल, गर्म कपड़ों के डायरेक्ट त्वचा के संपर्क में आने से त्वचा पर रैशेजे और खुजली बढ़ने लगती है। इसके चलते आर्मपिट रैश की समस्या बढ़ जाती है और त्वचा रूखी व बेजान दिखने लगती है। ऐसे में कम कपड़े पहनें और कॉटन के कपड़े पहनने के बाद गर्म कपड़ों से शरीर को कवर कर लें।
केमिकल बेस्ड और खुशबूदार प्रोडक्टस के इस्तेमाल से आर्मपिट में खुजली की समस्या बढ़ने लगती है। ऐसे में नॉन कोस्मोजेनिक प्रोडक्टस का इस्तेमाल करें। इसके अलावा हाइपोएलर्जेनिक डिओडोरेंट का इस्तेमाल करने से अगल में बढ़ने वाले रैशेज कां नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
तेज़ रेज़र त्वचा को खुरदरा बना देता है। इससे स्किन पर लालिमा बढ़ती है और दान नज़र आने लगते है। ऐसे में बालों को हटाने के लिए ट्रिमर या वैक्सिंग की मदद लें। दरअसल,शेविंग से हेयर फॉलिकल्स को नुकसान का सामना करना पड़ता है, जिससे जलन की समस्या बनी रहती है।
त्वचा को मॉइश्चराइज़ रखने के लिए नारियल का तेल व एलोवेरा जेल का इस्तेमाल करें। इससे स्किन की नमी को बनाए रखने में मदद मिलती है। साथ ही त्वचा पर जमने वाली पपड़ी से भी राहत मिलती है। इससे त्वचा का रूखापन कम होने लगता है।
आर्मपिट में बढ़ने वाले दानों से राहत पाने के लिए कूल कंप्रेस का इस्तेमाल करें। बर्फ की सिकाई करने से सूजन को कम किया जा सकता है और जलन भी कम होने लगती है। 5 से 10 मिनट के लिए कूल कंप्रेस के इस्तेमाल से स्किन का नेचुरल ऑयल मेंटेन रहता है।
शरीर पर जमा अतिरिक्त चर्बी आर्मपिट में सिलवटों का कारण साबित होती है। इससे त्वचा पर रैशेज बढ़ने लगते है। ऐसे में शरीर में जमा अतिरिक्त कैलोरीज़ को बर्न करने में मदद मिलती है और त्वचा का रूखापन भी कम होने लगता है।