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आपकी पर्सनालिटी, इमेज और ग्रोथ तीनों के लिए घातक है बदले की भावना, जानिए इसे कैसे कंट्रोल करना है

रिएक्ट करना और बदला लेने की भावना का सामना करना न केवल रिश्तों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि मेंटल हेल्थ के लिए जोखिम से भरा हो सकता है। जानते हैं किन टिप्स की मदद से बदला लेने की भावना से बचा जा सकता है
किसी कोवर्कर, पार्टनर, दोस्त या पारिवारिक सदस्य से होने वाली उलझन या बहस रिवेंज की फीलिंग बढ़ा देती है। चित्र- अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Updated: 16 Aug 2024, 02:14 pm IST

छोटी छोटी बातों पर गुस्से का शिकार होना और फिर बदले की भावना से भर जाना पूरी तरह से नॉर्मल और नेचुरल है। मगर हर बार रिएक्ट करना और बदला लेने की भावना का सामना करना न केवल रिश्तों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि मेंटल हेल्थ (mental health) के लिए जोखिम से भरा हो सकता है। ऐसे में अपने व्यवहार में परिवर्तन लाकर रिवेंज की भावना (feelings of revenge) को रेगुलेट करने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना आवश्यक है। जानते हैं किन टिप्स की मदद से बदला लेने की भावना से बचा जा सकता है (feelings of revenge) ।

आखिर क्यों होती है बदले की भावना (What is the feeling of revenge)

इस बारे में बातचीत करते हुए डॉ युवराज पंत बताते हैं कि किसी कोवर्कर, पार्टनर, दोस्त या पारिवारिक सदस्य से होने वाली उलझन या बहस बदले की भावना (tips to deal with feeling of revenge) बढ़ा देती है। किसी भी बात का रिवेंज यानि बदला लेने से पहले इस बात को जानने का प्रयास करें कि क्या ये आपके व्यक्तित्व का हिस्सा है। उसके बाद रिवेंज की इंटेसिटी (intensity of revenge)  को निर्धारित करना आवश्यक है। इस बात को ध्यान में रखें कि बदले की भावना दूसरे व्यक्ति के लिए शारीरिक नुकसान का कारण साबित न हो। रिवेंज के तरीके के अलावा उसके मकसद को ध्यान में रखें।

बदला लेने से पहले उसके परिणाम और दुष्परिणामों पर अवश्य ध्यान दें। किसी को इंसल्ट करके या दुविधा में डालकर अपना बदला लेने की जगह किसी उदाहरण के ज़रिए अपनी बात को सामने वाले तक पहुंचाने का प्रयास करें। साथ ही गुस्सा आन पर खुद को शांत रखने का प्रयत्न करें। एक्सरसाइज़ और हेल्दी रूटीन की मदद ये इस समस्या को हल करने में भी मदद मिलती है।

बदला लेने से पहले उसके परिणाम और दुष्परिणामों पर अवश्य ध्यान दें।चित्र- अडोबी स्टॉक

बदले की भावना आपका कैसे नुकसान करती है (Side effects of feeling of revenge)

  • इससे व्यक्ति के व्यवहार और विचार में बदलाव आने लगते हैं, जिसके चलते नकारात्मकता (negative emotions) बढ़ने लगती है।
  • बदले की भावना रखने से व्यक्ति हर किसी को शक की नज़र से देखने लगता है और अन्य लोगों में खामियां नज़र आती हैं।
  • ऐसे लोग अक्सर तनावग्रस्त रहने लगते हैं। वे मन ही मन दूसरों के प्रति ईर्ष्या का भाव रखते लगते हैं और उन्हें नीचा दिखाने लगते हैं।
  • इसके चलते बहुत से लोग खुद को आइसोलेट कर लेले है और उनका सोशल सर्कल दिनों दिन कम होने लगता है।

ये 5 चीजें आपको बदले की भावना को छोड़ने में मदद करेंगी (How to stop feeling of revenge)

1. रिवेंज के कारण को समझें

सबसे पहलें बदला लेने के कारण को समझें। अगर किसी व्यक्ति की कोई बात हर्ट हुई है या उसके व्यवहार से मन को चोट पहुंची है, तो उससे बदला लेने की जगह उसे माफ कर दें। इससे तनाव से मुक्ति मिल जाती है और मेंटल हेल्थ बूस्ट होती है। किसी व्यक्ति के प्रति बदले की भावना रखने की जगह उसकी सिचुएशन को समझें और किसी उदाहरण के जरिए अपनी नाराज़गी को व्यक्त करें।

2. गैरजरूरी चीजों को अनदेखा करके आगे बढ़ें

पुराने दोस्तों और क्लीग्स के बीच में कई प्रकार के मनमुटाव रहते हैं। ऐेसी सिचुएशन में अपने मन में रिवेंज की भावना को पनपने न दें। इससे रिश्तों में खटास बढ़ने लगती है और इमेज खराब हो सकती है। अपने रिश्ते को बचाने के लिए कुछ बातों को सेल्फलेस रहकर अनदेखा कर देना समझदारी है। इसके अलावा हर बात पर रिएक्ट करने से बचना चाहिए।

3. शांत रहने का प्रयास करें

किसी बात पर बिना सोचे समझे रिएक्ट करने या बदला लेने की चेतावनी देने की जगह खुद को शांत रखें और उस सिचुएशन से खुद को दूर रखने का प्रयास करें। इससे व्यक्तित्व के विकास में मदद मिलती है और
रिलेशनशिप बनी रहती है। बार बार आने वाले गुस्से को शांत करने के लिए उस बात पर बार बार विचार न करें और विचारों में सकारात्मकता बनाए रखें।

प्रतिक्रिया देने की बजाय शांत बनी रहें।चित्र : शटरस्टॉक

4. टॉक्सिक लोगों से दूर रहें

कई बार कुछ लोग सिर्फ इसलिए अन्य लोगों को गुस्सा दिलाते हैं ताकि उनकी छवि को खराब किया जा सके। ऐसे में बदले की भावना को मन में रखकर वो व्यक्ति अपनी इमेज को खराब करने लगता है। अपने आप को गुस्से और डिप्रेशन से बचाने के लिए टॉक्सिक लोगों से अपने रिश्ते को सीमित कर लें।

5. योग से दिन की शुरूआत करें

मन को दुख और चिंता से दूर रखने के लिए योग का अभ्यास करें। रोज़ाना कुछ देर योगाभ्यास करने से विचारों में सकारात्मकता बढ़ने लगती है और मानसिक स्वास्थ्य को रेगुलेट करने में मदद मिलती है। इसके अलावा बार बार दिमाग में आने वाले विचारों से भी बचा जा सकता है।

ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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