वायू प्रदूषण (air pollution) का बढ़ता स्तर दिनों दिन सांस संबधी समस्याओं (breathing problems) का कारण बनता जा रहा है। हवा में मौजूद पॉल्यूटेंटस आउटडोर के अलावा इंडोर एनर्जी (causes of Indoor allergy) का भी कारण साबित होते हैं। इसके चलते अधिकतर लोगों को बार बार छींक आना, जुकाम, तेज़ खांसी और सांस लेने में तकलीफ संबधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में घर के वातावरण को प्रदूषित (indoor pollution) होने से बचाने के लिए कुछ खास बातों का ख्याल रखना बेहद आवश्यक है। जानते हैं इंडोर एलर्जी से बचने के लिए (tips to control indoor allergy) किन बातों का ख्याल रखना है आवश्यक है।
अस्थमा एंड एलर्जी फाउनडेशन ऑफ अमेरिका के अनुसार हवा में मौजूद एलर्जन इंडोर एलर्जी (causes of indoor allergy) का कारण साबित होते हैं, जो फर्नीचर और फ्लोर पर पाए जाते हैं। इसके अलावा इंडोर प्लांटस, पेट्स, सॉफ्ट टॉयज़ और कार्पेट से कमरे के अंदर इनका प्रभाव बढ़ जाता है। खराब एयर क्वालिटी (Bad air quality) के चलते ये एलर्जन और इरिटेंटस इचिंग, स्नीजिंग (sneezing) और सांस लेने में तकलीफ (breathing problem) का कारण बनते हैं। दरअसल, बढ़ती उमस के चलते डस्ट माइट्स और मोल्ड ग्रोथ बढ़ने लगती है।
इस बारे में आर्टिमिस अस्पताल गुरूग्राम में सीनियर फीज़िशियन डॉ पी वेंकट कृष्णन के अनुसार हवा में मौजूद कण और गैसिस मौसमी एलर्जी (seasonal allergy problem) का कारण बन जाते है। इससे घुटन, रनिंग नोज़ और आंखों में बार बार पानी आने की समस्या बढ़ जाती है। इसके अलावा सिरदर्द, बुखार और बॉडी पेन भी बढ़ जाती है। घर की स्वच्छता को मेंटेन करके पॉल्यूटेंटस का प्रभाव कम किया जा सकता है। इसके लिए पालतू जानवरों से दूरी बनाकर रखें और एयर प्यूरीफायर (air purifier to control indoor allergy) का इस्तेमाल करें।
अक्सर लोग पालतू जानवरों को अपने साथ बेड और सोफे पर बैठाते हैं, जिससे एलर्जी की संभावना बढ़ जाती है। वे पेट्स जिनके बाल लंबे हैं, उनके ज़रिए एलर्जी बढ़ने लगती है। अधिकतर लोगों को एनिमल डैंडर यानि जानवरों की रूसी से एलर्जी होती है। रूसी में मौजूद एलर्जीनिक प्रोटीन (allergenic protein) इस समस्या को बढ़ा देते हैं।
मौसम में आने वाले बदलाव से उमय का स्तर बढ़ने लगता है, ऐसे में पोलन एलर्जी (pollen allergy) की समस्या भी बढ़ने लगती है। इससे नाक में खुजली, छींकना और स्टफी नोज़ की समस्या बढ़ जती है। धूल मिट्टी के कणों के अलावा पोलन का प्रभाव सेहत को नुकसान पुहंचाता है। पेड़ पौधों से राइनाइटिस एलर्जी (rhinitis allergy) का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में इंडोर गार्डन में भी घमने से बचें अन्यथा चेहरे पर इंचिग की संभावना बढ़ जाती है।
पर्दे, शीट्स, कवर्स, मैट्स, कार्पेट, सोफे और रनर्स की साफ सफाई के लिए सप्ताह में 1 दिन वैक्यूम क्लीनर का प्रयोग करें। इससे पॉल्यूटेंट्स को कम करके स्वच्छता मेंटेन रहती है। इससे एयर क्वालिटी को बेहतर बनाया जा सकता है। वैक्यूम क्लीनर (Vacuum cleaner) के इस्तेमाल के बाद उस कमरे या स्थान से कुछ देर के लिए दूरी बना लें। दरअसल, क्लीनिंग के बाद डस्ट पार्टिकल्स कुछ देर तक हवा में मौजूद रहते हैं।
इंडोर एयर को प्यूरीफाई करने के लिए एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। इससे हवा में मौजूद बैक्टीरिया, फफूंदी और प्रदूषण से राहत मिलने लगती है। साथ ही फेफड़ों के स्वास्थ्य को भी इससे फायदा मिलता है। बदलते मौसम में प्यूरीफायर से हवा को स्वच्छ रखने में मदद मिलती है, जिससे श्वसन संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है।
कुछ देर स्टीम लेने ने नेज़न पैसेज ओपन होने लगते हैं और चेस्ट कंजेशन से भी बचा जा सकता है। नियमित रूप से स्टीम लेने से कॉमन कोल्ड, खांसी और इचिंग से बचा जा सकता है। इसके अलावा हॉट शावर भी कारगर साबित होता है।