बच्चों को उम्र से पहले बूढ़ा और थका हुआ बना रहे हैं स्मार्टफोन, जानिए कैसे छुड़वा सकते हैं इसकी लत

mobile phone ka addiction bachchon ko depression ka shikar banata hai.
मोबाइल के कारण बच्चों में पुअर स्लीप क्वालिटी से लेकर तनाव, एंग्जाइटी और हाई लेवल डिप्रेशन तक हो सकते हैं। चित्र: अडोबी सटॉक
संध्या सिंह Updated: 23 Oct 2023, 09:13 am IST
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ये सेल फोन युवाओं के लिए उनके सामाजिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। एक शोध से पता चला है कि लगभग 95% किशोरों की स्मार्टफोन तक पहुंच है। स्नैपचैट और ग्रुप मैसेजिंग पर दोस्तों के साथ रहने से लेकर स्कूल से संबंधित ऐप, कैलकुलेटर फ़ंक्शंस और सामयिक वेबसाइटों का उपयोग करने की आवश्यकताओं तक, किशोरों को स्मार्टफोन से छुट्टी नही मिलती है।

स्मार्ट फोन की लत आज कल युवाओं में बहुत देखी जा रही है, जरूरत से ज्यादा समय तक किशोर या युवा सिर्फ फोन में लगा हुआ है। आजकल ये समस्या छोटे बच्चों में भी देखी जा रही है। छोटे बच्चों के माता पिता व्यस्त होने के कारण बच्चों को स्मार्ट फोन थमा कर अपना काम निपटाते है और यहा आदात बच्चों की लत बन जाती है।

इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए हमने बात की डॉ आशुतोष श्रीवास्तव से, आशुतोष श्रीवास्तव Psyuni इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोलॉजी एंड एलाइड साइंसेज के डॉयरेक्टर और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट है।

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कब देना है बच्चो को फोन 

डॉ आशुतोष श्रीवास्तव बताते है कि बच्चों की उम्र के हिसाब से ही बच्चे को फोन के संपर्क में लाना चाहिए। 2 साल से कम उम्र के बच्चे को फोन नही देना चाहिए क्योंकि उसे इसके बारे में जानकारी नही है और न ही उसके लिए फोन जरूरी है। मनोरंजन के लिए फोन के इस्तेमाल का हेल्दी इस्तेमाल 30 मिनट से 2 घंटे तक हो सकता है लेकिन उससे ज्यादा नही।

किशोरावस्था में भी जब बच्चा पहुंच जाता है तो उसके स्क्रिन टाइम को काफी लिमिटिड रखना चाहिए। 3 घंटे से ज्यादा अगर कोई बच्चा फोन का इस्तेमाल मनोरंजन के लिए कर रहा है तो ये फोन की लत हो सकती है। अगर किसी काम के लिए फोन का इस्तेमाल बच्चा कर रहा है तो भी उसे थोड़ ब्रेक लेना चाहिए।

स्मार्टफोन आपका काम आसान करने के लिए हैं, पर इसका आदी हो जाना सेहत के लिए ठीक नहीं है। चित्र : शटरस्टॉक

ये संकेत बताते हैं कि आपके बच्चे को लग गई है स्मार्टफोन की लत

1 बेचैन या चिड़चिड़ा होना

डॉ आशुतोष श्रीवास्तव कहते है कि ये लक्षण हर उस इंसान में दिखते है जो किसी तरह का नशा करता है या इसे उसे किसी चीज की लत है, जब आप बच्चे से फोन ले लेंगे या छिन लेंगे तो वह बेचैन होना लग सकता है, चिड़चिड़ा, किसी काम में मन न लगना, डिप्रेशन हो जाना ये सभी लक्षण अगर बच्चे से फोन लेने के बाद उसमें दिखते है तो उसे फोन का लत हो सकती है।

2 मोबाइल से दूर होने का डर

इसमें बच्चे को डर होता है मोबाइल के छिन जाने या मोबाइल को छोड़ने का। अगर फोन की बैटरी खत्म हो जाती है तो बच्चा बेचैन होने लगता है या चिढ़ने लगता है बच्चे का किसी काम में मन नही लगता है। कई जगाहों पर ऐसा भी देखा गया है कि बच्चे फोन को चार्ज पर लगाकर ही फोन चलाते है।

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बच्चों के समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित कर उन्हें समय से पहले बूढ़ा बना रहा है स्मार्टफोन

व्यवहार संबंधी समस्या (behavioral problem)

अगर बच्चों से फोन लिए जाए या इस्तेमाल के लिए न मिलें तो उनमे कई व्यवहार संबंधी लक्षण दिखाई देने लगते है जैसे बात न मानना, चिड़चिड़ा होना, गलतियां करना, दुर्व्यवहार करने जैसी चाजें दिखती है।

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संज्ञानात्मक समस्या (cognitive problem)

इस तरह की समस्या में बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ता है। इसमें बच्चे की यादाश्त कमजोर होना, किसी चीज में ध्यान न लगा पाना, एकाग्रता के साथ कोई काम न कर पाना। ये सभी चीजें भी लक्षण हो सकते है कि आपके बच्चे को फोन की लत है।

भावनात्मक समस्या (emotional problem)

भावनात्मक समस्या भी कई लोगों में देखी जाती है जिसमें इंमोशन पर कंट्रोल न होना शामिल है, नाकारात्मक ख्यालों का ज्यादा आना, कई बच्चे ऐसा भावनात्मक समस्या का शिकार हो जाते है जो उनकी उम्र के हिसाब से बिल्कुल सही नही है, या गिल्ट होना।

शारीरिक समस्या (physical problem)

ज्यादा फोन का इस्तेमाल करने से या ज्यादा स्क्रीन के सामने समय बिताने से शारीरिक समस्या भी हो सकती है। कई बार बच्चों को युवाओं को गर्दन में समस्या हो जाती है। कई बच्चों का आंखे भी इसलिए कमजोर हो जाती है, क्योंकि वो ज्यादा फोन का इस्तेमाल करते है।

कैसी करनी है बच्चों में फोन की लत को खत्म।

बच्चे से फोन की लत छुड़वाने में मददगार हो सकते हैं ये आसान टिप्स

1 पहले माहौल बनाएं

किसी भी बच्चे से स्मार्टफोन की लत छुड़वाना इस समय जटिल लग सकता है। जबरदस्ती करने पर यह और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि पहले घर में ऐसा माहौल पैदा करें, कि जिससे स्मार्टफोन से दूरी बनाई जा सके।

2 अपने समय को मोबाइल फोन से रिप्लेस न करें

एक माता-पिता होने के नाते आपकी ये जिम्मेदारी हो जाती है कि आप अपने बच्चे के साथ समय बिताएं न कि अपना काम पूरा करने के लिए उसे फोन थमा दें। इस तरह हम अपने आप को स्मार्ट फोन से रिप्लेस कर देते हैं। बाद में यही बात हमें खराब लगती है।

3 खुद बनें रोल मॉडल

बच्चों को कुछ भी सिखाने से पहले यह जरूरी है कि आप पहले खुद इसे सीखें। अपने रुटीन को इस तरह सेट करें कि घर में कम से कम मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया जाए। ऑफिस की मीटिंग और काम को घर पर करने से बचें।

4 सख्त रुटीन बनाएं

अपने बच्चे के लिए एक सख्त स्मार्टफोन शेड्यूल बनाएं। ताकि उससे ज्यादा बच्चा फोन का इस्तेमाल न करे। बच्चे के स्क्रीन टाइम समय सीमा तय करें। पर पहले इसे खुद भी फॉलो करें।

5 बेडरुम में न लाएं फोन

अपने घर में यह सख्त नियम लागू करें कि बेडरूम में फोन न आए। बेडरूम में रात में सोते समय बच्चे को फोन न दें, अगर बच्चा ऐसा कर रहा है तो उसे रोकें। ये छोटे-छोटे प्रयास शुरूआत में मुश्किल लग सकते हैं, पर इनसे डिगे नहीं। साथ ही यह भी जरूरी है कि स्मार्टफोन के इस्तेमाल न करने और दुष्प्रभाव के बारे में सिर्फ उन्हें लेक्चर न दें, बल्कि इसे व्यवहारिक रूप से समझाएं।

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लेखक के बारे में

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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