हर किसी की जिंदगी में ऐसा पल जरूर आता है, जब इंसान की सारी उम्मीदें टूट जाती हैं, और परेशानियों से निकलने का रास्ता नजर नहीं आता है। इसकी वजह किसी को खोना, फाइनेंशियल स्ट्रेस या कोई अन्य कारण भी हो सकता है। जिसमें व्यक्ति की मानसिक स्थति उसके वश में नही होती। भारतीय सामाजिक ताना-बाना ऐसा है कि ज्यादातर लोग निराश होकर भी परिस्थितियों का सामना करने की हिम्मत जुटा ले जाते हैं। जबकि जो लोग लंबे अकेलेपन या तनाव से जूझ रहे होते हैं, उनके लिए इस निराशा से उबर पाना मुश्किल होता है। जो आगे बढ़कर तनाव, अवसाद और फिर आत्मघाती व्यवहार की ओर बढ़ती है। 10 अक्टूबर विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World mental health day) के संदर्भ में आपको उन संकेतों को पहचानने की जरूरत है जो किसी के भी मानसिक रूप से अस्वस्थ होने की ओर इशारा करते हैं। ताकि आप उनकी मदद (how to prevent suicidal behavior) कर सकें।
आर्थिक, भावनात्मक और सामाजिक किसी भी तरह का तनाव व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता ह। मायो क्लिनिक के अनुसार लगातार तनाव हाइपरटेंशन, हृदय संबंधी समस्याओं और उम्र से पहले होने वाले बुढ़ापे को ट्रिगर करता है। आंखें, बाल, त्वचा और बोन हेल्थ भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाती। महिलाओं में तनाव ओवरईटिंग और मोटापे का भी कारण बन सकता है।
तनाव को अगर लगातार इग्नोर किया जाए तो यह ईटिंग और स्लीप डिसऑर्डर का कारण बनता है, जो आगे चलकर अवसाद को जन्म दे सकता है। जबकि मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहा व्यक्ति आत्मघाती कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटता।
सुसाइड एक ऐसी मानसिक स्थति है, जब व्यक्ति का खुद पर कंट्रोल नहीं होता, और व्यक्ति अपना जीवन खत्म करने के बारें में सोचने लगता है। कई मामलों में समय के साथ व्यक्ति इस स्थति से बाहर आ जाता है, लेकिन कुछ कारणों में यह बहुत ज्यादा घातक भी हो सकती है, जिसमें अक्सर इस स्थति के लक्षणों का पता भी नहीं चल पाता है।
अगर आपको अपने किसी करीबी व्यक्ति के व्यवहार में लगातार बदलाव नजर आ रहा है, तो आपको आज ही सतर्क होने की आवश्कता है। यहां हम ऐसे लक्षणों के बारें में बताने जा रहे हैंं, जिनसे आप जान पाएंगी कि आपका करीबी व्यक्ति किस स्थिति से गुजर रहा है।
आत्महत्या करने का विचार व्यक्ति के मन में उस स्थति में आता है, जब उसका खुद की मानसिक स्थति पर कंट्रोल नहीं रहता। मायो क्लिनिक की रिसर्च के अनुसार सुसाइड के विचार आने पर व्यक्ति में इस प्रकार के लक्षण दिखने लगते हैं –
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अगर किसी व्यक्ति कोे सुसाइड के विचारों से बाहर निकालना है, तो व्यक्ति का साथ बनाए रख कर और डॉक्टर की मदद से उसे इस समस्या से बाहर निकाला जा सकता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के अनुसार –
व्यक्ति से खुलकर बात करें कि क्या उनके मन में मरने के विचार आते हैं, रिसर्च के अनुसार ऐसा करने से खतरा कम होता है। क्योंकि व्यक्ति को अपनी गलती का अहसास होने लगता है।
ऐसी समस्या आने पर व्यक्ति को कभी अकेला नहीं रहने दें, साथ ही उसके पास कोई भी नुकीली या खतरनाक चीजें नहीं रहने दें।
व्यक्ति के लिए हर समय उपस्थित रहने की कोशिश करें, साथ ही उन्हें बिना जज किये उनकी बात समझने की कोशिश करें।
व्यक्ति को प्रेरित करें कि समस्या का हल ढूंढने के लिए हेल्पलाइन से मदद लेने की कोशिश करें और खुलकर अपनी समस्या बताए।
परेशानी बढ़ने पर व्यक्ति को काउंसलिंग और थेरेपी के जरिए मदद दिलवाने की कोशिश करें।
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