आज के समय में लाइफस्टाइल में कई सारे बदलाव आए हैं, जिनकी वजह से स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। विशेष रूप से मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर आदि जैसे लाइफस्टाइल डिसऑर्डर का खतरा बढ़ता जा रहा है। इन समस्याओं के बढ़ने से सेहत संबंधी अन्य परेशानियों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। जैसे कि हार्ट अटैक और स्ट्रोक दो ऐसे परेशानी हैं, जो बिल्कुल आम हो चुकी हैं। हार्ट अटैक और हार्ट फैलियर के बारे में तो हम सभी अक्सर बातें किया करते हैं, परंतु आज हम बात करेंगे स्ट्रोक के बारे में (how to reduce stroke risk)।
डॉ. राजुल अग्रवाल, डायरेक्टर न्यूरोलॉजी, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली ने स्ट्रोक से संबंधी कई जरूरी जानकारी दी है। उन्होंने इस स्थिति में नजर आने वाले लक्षण के बारे में बताते हुए, इस स्थिति से बचाव के कुछ जरूरी टिप्स भी दिए हैं। तो चलिए जानते हैं, इस बारे में अधिक विस्तार से (how to reduce stroke risk)।
स्ट्रोक एक बेहद गंभीर स्थिति है, जिसमें व्यक्ति के मस्तिष्क में अचानक से रक्त प्रवाह का संचार यानी कि ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है। इस कारण मनुष्य के ब्रेन सेल्स को नुकसान पहुंच सकता है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया जाए, या इसके संकेत को समझने में देरी हो जाए, वहीं डॉक्टर की सलाह नहीं ली जाए, तो अत्यंत गंभीर परिणाम देखने की मिल सकते हैं। यहां तक की व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए सबसे पहले स्ट्रोक के संकेतों को समझना अत्यंत आवश्यक है।
अधिक वजन या मोटापा
शारीरिक निष्क्रियता
अत्यधिक शराब पीना
अवैध दवाओं का उपयोग, जैसे कोकेन और मेथामफेटामाइन
उच्च रक्तचाप
सिगरेट पीना या सेकेंड हैंड स्मोक का संपर्क
उच्च कोलेस्ट्रॉल
असंतुलित डायबिटीज
स्लीप एपनिया
हृदय रोग, जैसे कि एट्रियल फ़िब्रिलेशन
हार्मोन का उपयोग, जैसे कि गर्भनिरोधक गोलियां या हार्मोन थेरेपी
यदि व्यक्ति में इस प्रकार के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इस स्थिति में समय पर त्वरित चिकित्सकीय परामर्श बहुत जरूरी है।
अगर आपको इस प्रकार की समस्या हो रही है, तो अपने आसपास के लोगों को आप इशारे से समझाएं कि आपके साथ यह समस्या है। जिससे आपको तुरंत चिकित्सा की मदद मिल सके। अगर किसी दूसरे व्यक्ति को इस प्रकार की समस्या हो रही है, और इस प्रकार के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो उन्हें फौरन डॉक्टर के पास ले जाएं।
डॉ. राजुल अग्रवाल के अनुसार “अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए और स्ट्रोक के रोकथाम के लिए आपको अपने जीवन शैली में बदलाव करने की आवश्यकता है। नियमित व्यायाम को अपने जीवन शैली का हिस्सा बनाएं। आप क्या खा रही हैं यह भी निर्भर करता है इसलिए पोषण युक्त स्वस्थ आहार लें। धूम्रपान और शराब के सेवन से दूर रहें।”
“तनाव को कम करने के लिए प्रतिदिन योगाभ्यास व ध्यान का अवश्य करें। यह अवश्य ध्यान में रखें कि स्ट्रोक की रोकथाम के लिए सही समय पर डॉक्टर से परामर्श बहुत जरूरी है तत्काल चिकित्सा सहायता के कारण व्यक्ति को इससे बचाया जा सकता है। नहीं तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।”
खान-पान आपको स्ट्रोक्स को रोकने में मदद कर सकता है। सुनिश्चित करें कि आप भरपूर मात्रा में ताजे फल एवं सब्जियों का सेवन कर रही हैं। ऐसा खाएं जिसमें सैचुरेटेड फैट, ट्रांस फैट और कोलेस्ट्रॉल की कम मात्रा हो और वे फाइबर से भरपूर हों। अपने आहार में नमक (सोडियम) को सीमित करने से आपका ब्लड प्रेशर भी सामान्य रहता है। उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप आपके स्ट्रोक होने की संभावना को बढ़ा देते हैं।
अधिक वजन या मोटापा होने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। यह निर्धारित करने के लिए कि आपका वजन स्वस्थ सीमा में है, या नहीं, डॉक्टर अक्सर आपके बॉडी मास इंडेक्स (BMI) की गणना करते हैं। डॉक्टर कभी-कभी अतिरिक्त शारीरिक फैट को मापने के लिए कमर और कूल्हे के माप का उपयोग करते हैं। हेल्दी वेट कई शारीरिक समस्याओं के खतरे को कम कर देता है।
शारीरिक गतिविधि आपको स्वस्थ वजन बनाए रखने और आपके कोलेस्ट्रॉल और
ब्लड प्रेशर के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है। बच्चों के साथ ही यंग लोगों को भी हर दिन 1 घंटे की शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए।
सिगरेट पीने से स्ट्रोक की संभावना बहुत बढ़ जाती है। यदि आप धूम्रपान नहीं करती हैं, तो यह बहुत अच्छा है। अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे छोड़ने से स्ट्रोक का जोखिम कम हो जाता है। धूम्रपान छोड़ने के कई तरीके हैं, जिन्हें अपनाया जा सकता है।
बहुत अधिक शराब पीने से बचें, क्योंकि यह आपके ब्लड प्रेसर को बढ़ा सकता है। इससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए शराब का सेवन सीमित रखें, या इससे पूरी तरह परहेज करें।
डॉक्टर को हर 5 साल में कम से कम एक बार कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच करवानी चाहिए। इस सरल रक्त परीक्षण के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। अगर आपको उच्च कोलेस्ट्रॉल है, तो दवा और जीवनशैली में बदलाव स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।
शरीर में बढ़ता ब्लड शुगर या ब्लड प्रेसर का स्तर आपको स्ट्रोक का शिकार बना सकता है। सही खाद्य विकल्प चुनें और नियमित शारीरिक गतिविधियों में भाग लें। इस प्रकार शर्करा को नियंत्रण में रखने और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी।
अगर आपको कोरोनरी धमनी रोग या एट्रियल फ़िब्रिलेशन (अनियमित दिल की धड़कन) जैसी कुछ हृदय संबंधी स्थितियां हैं, तो इसपर ध्यान दें। हृदय की समस्याओं का ध्यान रखना स्ट्रोक को रोकने में मदद कर सकता है। यदि आपको कोई समस्या है और आप दवाइयां ले रही हैं, तो अपने डॉक्टर के निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन करें। अगर आपको कुछ समझ में नहीं आता है, तो हमेशा सवाल पूछें। अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट से बात किए बिना दवाइयों का सेवन न करें।
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