एक अच्छे रिश्ते की खासियत होती है उसमें मौजूद पॉज़िटीविटी। जो आपको आगे बढ़ने के साथ ग्रो करने और खुश रहने में मदद करती है। पर अगर ऐसा नहीं हो रहा है, तो इसका अर्थ है कि आपका रिश्ता भी कहीं दरकने लगा है। कई बार समस्या आपके सामने होती है। बस दिल उसे मानना गवारा नहीं करता। किसी भी रिलेशनशिप में सबसे ज़रूरी हैं आपसी सामंजस्य, ट्रस्ट या भरोसा। अगर आपके पार्टनर की कही बातें आपके दिलो दिमाग में किसी भी तरह की शंका पैदा करती हैं, तो मान कर चलिये कि ये आगाज़ है रिलेशनशिप के टॉक्सिक या ज़हरीला (Toxic relationship) होने की।
हालात अगर ज्यादा खराब होने लगें तो यह रिलेशन के खत्म होने की घण्टी भी हो सकती है। और इससे बाहर आना जरूरी है। हालांकि यह आसान नहीं, मगर टॉक्सिक रिलेशनशिप से निकलना (How to get rid of toxic relationship) आपके अपने स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। ये कुछ टिप्स एक टॉक्सिक रिलेशनशिप से निकलने में आपकी मदद कर सकते हैं।
अगर आपका पार्टनर आपके कुछ कहने या पूछने पर, बात को समझने के बजाय झुंझलाए, गुस्सा करे या नौबत हाथापाई तक आ जाए तो, यह मान लें कि यह एक टॉक्सिक रिलेशनशिप (Toxic relationship) की अलार्मिंग सिचुएशन है। गाली-गलौज, बात बात पर गुस्सा होना, मार पिटाई या किसी भी तरह की हिंसा, शक करना, उलाहने देना, एक टॉक्सिक रिलेशन का ही पर्याय है।
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इस बेहद जटिल लगने वाले सवाल का जवाब है हां! जी हां, रिश्ता कितना भी पुराना हो, अगर वह टॉक्सिक हो चुका है, तो उससे बाहर आ जाने में ही दोनों पक्षों की भलाई है। हमारी सोशल कंडीशनिंग कितनी भी जटिल और पुरानी क्यों न हों, पर जहरीले और खराब हो चुके रिश्ते से बाहर निकला जा सकता है। हालांकि आपकी स्थिति के अनुसार इससे बाहर आने में थोड़ा या ज्यादा समय लग सकता है। पर यह कभी न मानें कि इससे बाहर निकलना अब असंभव है।
इसे आप रिश्ते को एक आखिरी मौका देने के रूप में आजमा सकती हैं। किसी भी रिश्ते के खराब होने की बड़ी वजहों में से एक है संवाद की कमी (Communication gap)। इसे तोड़कर आप अपने रिश्ते को बेहतर बनाने का एक प्रयास कर सकती हैं।
बात करना किसी भी रिश्ते की बुनियाद होती है, उसका खाद पानी है। अपने पार्टनर से बात कीजिए। उससे वह हर बात शेयर कीजिए, जिसे लेकर आपके मन में खटास घुलने लगी है। अपने कॉम्प्लेक्स, डर, सोच के साथ अपने इस रिश्ते से जुड़ी सारी कॉम्प्लेस्किसिटी (complexity) उनके साथ शेयर कीजिए। उसे बताइए कि आप क्या सोचती हैं, आपको क्या दुख देता है या हर्ट करता है। अब यह उसके विवेक पर निर्भर है कि वह आपके डर को एक्नॉलेज करता/करती है या नही।
क्रिटिक और रिलेशनशिप एक्सपर्ट असीम तिवारी की मानें तो ऐसे रिश्ते से अगर निकलना ही एक मात्र तरीका बचे तो सबसे पहले अपनी भावनाओं पर काबू पाना बेहद जरूरी हो जाता है। एक रिश्ते में आई तमाम खटास के बावजूद आप अपने पार्टनर से जुड़ी हो सकती हैं। ऐसे में खुश रहने के लिए सबसे पहले खुद को समय देना और खुद से प्यार करना शुरू करें। उन पर अपनी निर्भरता को कंट्राेल करें। कई बार जरूरत से ज्यादा निर्भरता भी आपको किसी रिश्ते में गैरजरूरी बना देती है।
रिश्ते में आई खटास न सिर्फ आपके निजी जीवन पर बल्कि प्रोफेशनल लाइफ पर भी असर डालती है। इसलिए यह जरूरी है कि रिश्ते के अंत के बारे में सोचने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह लें। आजकल बहुत सारे रिलेशनशिप काउंसलर होते हैं, जो दोनों पक्षों की बात सुनकर कमजोर पहलुओं की ओर ध्यान दिलाते हैं।
जब हम किसी के प्यार में होते हैं तो भौतिक चीजों या आर्थिक पक्ष को बिल्कुल दरकिनार कर देते हैं। जबकि रिश्तों में दरार की एक बहुत बड़ी वजह आर्थिक मसले भी होते हैं। आप उनके साथ रहें या अलग, आपको अपनी आर्थिक स्थिति पर गौर करना होगा। हो सकता है आप दोनों की बहुत सारी चीजें ज्वॉइंट हों, इनमें लोन, मकान, लॉकर आदि कुछ भी हो सकता है। उन चीजों पर गौर करें, कि अलग होने के बाद वे चीजें आपके पास रहेंगी, उनके पास या दाेनों का शेयर होगा।
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कस्टमाइज़ करेंअब भी बहुत सारी महिलाएं आर्थिक रूप से कुछ रिश्तों पर निर्भर होती हैं। अलग होने से पहले उस निर्भरता और आत्मनिर्भरता का अच्छी तरह मूल्यांकन कर लें।
अलग होने के लिए जरूरी है कि आप परिवार या कानून की मदद लें, भले ही आपने परिवार के विरुद्ध होकर या कानून की अनदेखी करके रिश्ता कायम किया हो। बातचीत बहुत सारी चीजों का समाधान है। आपको यह पता होना चाहिए कि सिर्फ शादी ही नहीं, बल्कि लिवइन में रहने के लिए भी कुछ कानूनी संरक्षण है। इसलिए अलग होने में आने वाली जटिलताओं से बचने के लिए किसी अच्छे कानूनी सलाहकार या परिवार के प्रभावशाली सदस्यों की मदद लें।
कभी-कभी रिश्तों में इतनी ज्यादा कड़वाहट आ जाती है कि ऊपर बताए पांच में से एक भी तरीका काम नहीं करता। तब आपको अपनी शारीरिक सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को सर्वोपरि रखना है और अपने मन की बात पर भरोसा करके हर आपात स्थिति के लिए खुद को तैयार रखना है।
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