मॉनसून में बढ़ जाती है ब्लोटिंग और अपच, तो बचाव के लिए आजमाएं ये 6 आयुर्वेदिक उपाय

खासकर इस दौरान वॉटर बॉर्न डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण है, असंतुलित गट बैक्टीरिया। हालांकि, पाचन क्रिया के प्रति आपकी सही देखभाल मानसून में संक्रमण (monsoon infection) के खतरे को कम कर देती है।
gut health ko kaise rakhein healthy
आंत डिटॉक्स तापमान और आर्द्रता परिवर्तनों के प्रति शारीरिक प्रतिक्रियाओं को बैलेंस रखने में मदद करता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
Updated On: 27 Sep 2024, 12:48 pm IST
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मानसून त्वचा एवं बालों की सेहत को नुकसान पहुंचाने के साथ ही आपकी पाचन क्रिया पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। बारिश के मौसम में पाचन क्रिया संबेदनशील हो जाती है, जिसकी वजह से पाचन से जुडी कई समस्याएं नियमित रूप से परेशान करना शुरू कर देती हैं (causes of unhealthy gut in monsoon)। मानसून में डाइट (monsoon diet) का ध्यान रखना बहुत जरुरी है, छोटी सी डाइट मिस्टेक पाचन संबंधी समस्या का कारण बन सकती है। खासकर इस दौरान वॉटर बॉर्न डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण है असंतुलित गट बैक्टीरिया। हालांकि, पाचन क्रिया के प्रति आपकी सही देखभाल मानसून में संक्रमण (monsoon infection) के खतरे को कम कर देती है।

आयुर्वेद के पास आपकी शारीरिक समस्यायों के लिए कई प्रभावी उपचार उपलब्ध हैं। ठीक इसी तरह मानसून में आयुर्वेद के कुछ खास नुस्खों को फॉलो कर आप अपने गट हेल्थ को पूरी तरह से स्वस्थ रख सकती हैं। तो चलिए जानते हैं आखिर कैसे रखें पाचन क्रिया का ध्यान (ayurvedic tips To Improve Gut Health)।

जानिए मानसून में क्यों बढ़ जाती हैं पाचन संबंधी समस्याएं (causes of unhealthy gut in monsoon)

1. बढ़ जाती है बैक्टीरियल ग्रोथ

मानसून के दौरान नमी बढ़ने से बैक्टीरिया का ग्रोथ भी बढ़ जाता है। नमी बैक्टीरियल ग्रोथ के लिए सबसे सही वातावरण बनाती है। ऐसे में सब्जी, फल यहां तक की कपड़ों पर भी बैक्टीरिया पनपना शुरू हो जाते हैं, जिससे पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

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आयुर्वेदिक टिप्स के साथ रखें मानसून में अपने गट हेल्थ का ध्यान। चित्र: शटरस्टॉक

2. इम्युनिटी कमजोर हो जाती है

मानसून के दौरान मौसम में बदलाव और तापमान में उतार-चढ़ाव आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकता है। इम्युनिटी के कमजोर होने से लोग संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं, जिसमें पाचन तंत्र को प्रभावित करने वाले संक्रमण भी शामिल हैं।

3. दूषित पानी और भोजन

मानसून के बारिश का पानी नियमित रूप से इस्तेमाल होने वाली पानी को कंटामिनेट कर सकता है और टाइफाइड और हैजा जैसी वॉटर बॉर्न बीमारियों के फैलने का कारण बन सकती है। दूषित पानी या भोजन के सेवन से गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण हो सकता है।

4. फ्राइड फूड्स का कंसम्पशन

बारिश के मौसम में लोगों को अक्सर तीखा और तला हुआ खाना खाने की इच्छा होती है। बारिश और पकौड़ों का प्रचलन बेहद पुराना कॉम्बिनेशन है। जब आप बहुत ज़्यादा तला हुआ और तैलीय खाना खाते हैं, तो इससे अपच, ब्लोटिंग, पेट में दर्द और एसिडिटी हो सकती है।

5. फ़ूड हाइजीन की कमी

मानसून के दौरान, लोग स्ट्रीट फ़ूड खाना बंद नहीं करते हैं। बारिश के मौसम में स्ट्रीट स्टॉल्स को क्लीन रखना मुश्किल हो जाता है, साथ ही चिपचिपे मौसम में हाइजीन मेंटेन न होने के कारण खाद्य पदार्थों पर बैक्टीरियल ग्रोथ बढ़ जाता है, और आपको पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

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कुछ भी खाने से पहले कैलोरी इनटेक पर ध्यान दें। इसके लिए प्रोसेस्ड व जंक फूड से दूरी बनाकर रखें। चित्र : एडॉबीस्टॉक

यहां जानें मानसून में गट हेल्थ को मेंटेन रखने के कुछ खास आयुर्वेदिक टिप्स (ayurvedic tips To Improve Gut Health)

1. मानसून डाइट में शामिल करें ये फूड्स

मानसून में फ्राइड, मसालेदार, अधिक मीठे या अधिक नमकीन खाद्य पदार्थों से परहेज रखना चाहिए, या इनका सिमित सेवन कर सकती हैं। साधारण और सुपाच्य खाद्य पदार्थ चुनें, इससे आपकी पाचन क्रिया ट्रैक पर रहती है। पुराने अनाज और चावल, गेहूं, दाल का सूप भी फ़ायदेमंद साबित होगा। वहीं मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने और संतुलित करने के लिए भोजन के साथ घी जरूर लें।

कद्दू, लौकी, सहजन, तुरई, लहसुन और मेथी जैसी सब्जियों का सेवन करें, ये शरीर के ऊतकों को बनाए रखने में आपकी मदद करेंगी। दाल के साथ खिचड़ी, कड़ी, चावल का दलिया, जीरा चावल, उपमा को रोज़ाना ब्रेकफास्ट में ले सकती हैं। बारिश के मौसम में गर्म खाना खाएं। पाचन में सहायता के लिए प्रत्येक भोजन से पहले अदरक, गुड़ या सेंधा नमक का एक छोटा टुकड़ा चबाकर खाएं।

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2. नियमित खाद्य पदर्थों में घी ऐड करें

आयुर्वेद में गाय का घी एक मूल्यवान खाद्य पदार्थ है। घी में मौजूद ब्यूटिरेट एसिड एंटी इंफ्लेमेटरी होते हैं। इसलिए अगर आपकी आंतें आपको परेशान कर रही हैं, तो इसमें घी आपकी मदद करेगा। घी डायजेस्टिव जूस को उत्तेजित करता है और आपके शरीर को पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करता है। यह आंत की सूजन को कम करने में बहुत कारगर है। यह कोलन की मांसपेशियों को चिकना कर देता है, और कब्ज से राहत प्रदान करता है।

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मानसून में पाचन स्वास्थ्य को बनाए रखने के टिप्स। चित्र : अडॉबीस्टॉक

3. मानसून में गर्म ड्रिंक्स लें

बारिश के मौसम में गर्म ड्रिंक लेने की सलाह दी जाती है, आयुर्वेद के अनुसार ये पाचन अग्नि को जलाने में मदद करते हैं। उबला हुआ पानी, अदरक का पानी, अजवाइन का पानी, जीरे का पानी, धनिया का पानी और दालचीनी के पानी सहित अन्य हर्बल ड्रिंक पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में आपकी मदद करेंगे।

4. जीवनशैली के ये बदलाव होंगें मददगार

आयुर्वेद के अनुसार दिन में नैप नहीं लेने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे पाचन और मेटाबॉलिज्म दोनों धीमें हो जाते हैं। दोपहर में बहुत ज़्यादा तनाव या धूप में रहना भी आपके पाचन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

खुद को गर्म रखें क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपका शरीर बैक्टीरिया या वायरल हमलों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाएगा। गंदे बारिश के पानी में चलने और बारिश में भीगने से बचें। अगर आप भीग जाती हैं, तो सूखे कपड़े पहनें और जल्द से जल्द अपना सिर सुखा लें।

फंगस को दूर रखने के लिए लोबान और सूखे नीम के पत्तों के पानी को अपने नहाने के पाने में मिलाएं। पाचन क्रिया से लेकर त्वचा एवं बालों की सेहत के लिए संक्रमण से दूर रहना बहुत जरुरी है।

5. मानसून में इन खाद्य पदार्थों से परहेज रखें

मानसून में कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज रखने की सलाह दी जाती है:

मछली और समुद्री भोजन खाने से बचें, क्योंकि इनसे जलजनित बीमारियों का जोखिम अधिक होता है।
पत्तेदार सब्जियों के सेवन से बचें।
मसालेदार और तैलीय खाद्य पदार्थों के सेवन को जितना हो सके सिमित रखें।
खट्टे या एसिडिक भोजन से बचें।
मीट और मछली सहित मांसाहारी फूड्स का सेवन सीमित करें।

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आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर तुलसी की पत्तियों में विटामिन ए, सी, कैल्शियम, जिंक, आयरन और क्लोराफिल की मात्रा पाई जाती है। चित्र अडोबी स्टॉक

6. मानसून फ्रेंडली हर्ब्स से मिलेगी राहत

जड़ी-बूटियों की रानी तुलसी चिंता, खांसी, अस्थमा, दस्त, बुखार, पेचिश, गठिया, नेत्र रोग, ओटाल्जिया और अपच से राहत दिलाने में मदद करती है। हल्दी में सूजन-रोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो आम मानसूनी बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करते हैं।

मानसून के दौरान त्रिफला का उपयोग क्लींजर और ब्लड प्यूरीफायर के रूप में जाना जाता है। अश्वगंधा में कई प्राकृतिक गुण होते हैं और यह मानसूनी बीमारियों से बचाव के लिए प्रसिद्ध है।

अदरक में एंटी-बैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेटिव गुण होते हैं। लहसुन का दैनिक सेवन मौसमी सर्दी और फ्लू के लक्षणों को कम करता है और आपके शरीर को विभिन्न संक्रमणों से बचाने में मदद करता है।

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लेखक के बारे में
अंजलि कुमारी
अंजलि कुमारी

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं।

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