कार्ब्स को लेकर कई तरह की बातें सुनने में आती हैं, लेकिन हमेशा सुनी सुनाई बाते सच नहीं होती हैं। आमतौर पर “आहार” कार्ब्स को बुरा बताया जाता है, पर कार्ब्स अच्छे और बुरे दोनों तरह के हो सकते हैं। गुड कार्ब जिसे हम कंपलेक्स कार्बोहाइड्रेट कहते हैं, वे असल में हमारे शरीर के लिए सुपरहीरो की तरह काम कर सकती हैं। लेकिन फिर भी इन्हें लेकर गलत अवधारणाएं क्यों बनी हुई हैं?
समस्या कार्ब्स की नहीं है, समस्या यह है कि उन्हें कैसे खाया जाता है! अत्यधिक संसाधित और आहार में जल्दबाजी में शामिल किया जाता है, जिससे अंततः सूजन, सुस्ती और वजन बढ़ने जैसी परेशानी हो सकती है।
परंपरागत रूप से, लोग संतुलित, पौष्टिक भोजन में कार्ब्स का सेवन करते थे, और वे ऊर्जा का एक पावरहाउस और शरीर के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व हुआ करता था (How to digest carbs)। जब ध्यान से और सही तरीके से कार्ब्स का सेवन किया जाता है, तो कार्ब्स हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं (How to digest carbs)।
आयुर्वेद एक्सपर्ट और हेल्थ कोच निधि पांडे ने कार्ब्स को पचाने के कुछ हेल्दी टिप्स शेयर किए हैं, तो चलिए जानते हैं इन्हे पूरी तरह से डाइजेस्ट कर इनकी गुणवत्ता का लाभ कैसे उठाया जा सकता है।
हमारे सलाइवा में “एमीलेस” नामक एक प्रकार का एंजाइम होता है, जो कार्बोहाइड्रेट को तोड़ देता है, ताकि सारा भार डाइजेस्टिव सिस्टम पर नहीं आता। इस प्रकार यह ओवरइटिंग से भी बचाता है और डाइजेस्टिव फायर को एक्टिवेट कर देता है, जिससे की खाद्य पदार्थ पूरी तरह पच जाते हैं। वहीं ब्लोटिंग और भारीपन महसूस नहीं होता।
कार्बोहाइड्रेट को हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ कंबाइन करके डाइट में शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियां डाइट में फाइबर की गुणवत्ता को बढ़ा देती हैं, साथ ही ग्लाइसेमिक इंडेक्स के प्रभाव को कम करते हुए मील को बैलेंस करती हैं। वहीं कार्ब के कारण शरीर में जो बिल्ड होता है, उसे हरी सब्जियां हटा देती हैं।
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हेल्दी कुकिंग प्रोसेस खाद्य पदार्थों को प्रीडाइजेस्ट होने में मदद करता है, जिससे की ब्रेकडाउन प्रोसेस आसान हो जाता है। यह कॉम्प्लेक्स स्टार्च को तोड़ता है, जिससे की इन्हे पचाना आसान हो जाता है। यदि खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह न पकाया जाए तो इन्हें पचाना मुश्किल हो जाता है। वहीं जब ये पूरी तरह से नहीं पच पाते हैं, तो शरीर में टॉक्सिंस का निर्माण हो सकता है, जिसकी वजह से ब्लोटिंग और अन्य असहजता महसूस होती है।
लंच के समय में आपका डाइजेस्टिव फायर सबसे अधिक सक्रिय होता है, इसलिए इस समय को कार्ब्स को पचाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। जब आप दिन में कार्ब और अन्य हेवी मिल लेती हैं, तो इस दौरान आपकी बॉडी इसे पूरी तरह से पचाने में समर्थ होती है। इस दौरान आपको भारीपन और पाचन संबंधी अन्य असुविधाएं नहीं होती। वहीं यदि आप शाम के समय कार्ब लेती हैं, तो आपको इसे पचाने में मुश्किल आ सकती है।
कार्ब्स के सेवन से पहले साथ ही साथ इसे खाने के बाद खुदको कुछ देर के लिए सक्रिय रखने का प्रयास करें। ऐसा करने से आपका मेटाबॉलिज्म बढ़ता है, जिससे की आपकी बॉडी कार्ब्स को अधिक प्रभावी रूप से हैंडल कर पाती है। खाने के बाद कुछ देर वॉक करने से डाइजेशन को स्टिम्युलेट करने में मदद मिलती है। जो कार्ब को पेट में जमा नहीं होने देते और आपको भारीपन, अपच और ब्लोटिंग जैसी भावनाएं महसूस नहीं होती।
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