किसी भी सफलता को हासिल करने के लिए सही मार्गदर्शन मिलना जरूरी होता है। साथ ही उस मिले मार्गदर्शन की बातों-निर्णयों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है। बॉस के साथ अच्छा व्यवहार करना प्रोफेशनलिज्म की पहली शर्त होती है। पर बॉस के साथ अधिक फ्रेंडली होना और उनकी हां में हां मिलाना सही नहीं है। पर अधिक अकड़ दिखाना, उनके सामने अपना ज्ञान बघारना भी गलत है। ये व्यवहार आपकी सफलता में बाधा बन सकते हैं। यदि आप अपने कार्यक्षेत्र में सफल होना चाहती हैं, तो आपका व्यवहार बॉस के प्रति संतुलित (how to behave with boss in office) होना चाहिए। यह आपकी गुड पर्सनाल्टी को भी दर्शाता है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ ह्यूमन बिहेवियर के अनुसार, किसी भी एम्प्लोई की सफलता कुछ हद तक बॉस के साथ संबंधों पर भी निर्भर करता है। सबसे जरूरी है बॉस और एम्प्लोई के बीच शालीनता के साथ बातचीत होना। यदि एम्प्लोई किसी प्रकार की समस्या से जूझ रहा है, तो वह सम्मानजनक तरीके इसके बारे में बताये। अपने काम और परफोर्मेंस के प्रति ईमानदार रहें।
बॉस की हर बात में हां कहना भी आपके परफोर्मेंस को प्रभावित कर सकता है। अपनी तरफ से सही बात शान्तिपूर्वक कहने में कभी नहीं हिचकिचाएं।
पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में सफलता पूरी तरह वर्क-लाइफ बैलेंस पर निर्भर करती है। आप प्रोफेशनल फ्रंट पर तभी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकती हैं, जब फैमिली लाइफ स्मूद होगी। इसलिए यदि घर की समस्या से आप परेशान हैं, तो लीव लेने की बात कहने से बॉस के सामने कभी नहीं हिचकिचाएं। यदि ऑफिस में दिक्कत महसूस हो रही है, तो अपनी बात उनके सामने ईमानदारी से रखें। बॉस को बताएं कि आप कैसा महसूस कर रही हैं। यदि कार्य संबंधी कुछ अनुरोध प्रस्तुत करने जा रही हैं, तो अपने अनुशंसित परिवर्तनों को पहले नोट कर लें। जांच-परख लें कि यह ऑफिस डेकोरम के अनुकूल है या नहीं। अपने नोट को इस तरह तैयार करें, जिससे आपके द्वारा किए जा रहे कार्य से ऑफिस लाभान्वित हो सके।
बॉस की नीचा दिखाने की प्रवृति से डरें नहीं। उनकी हां में हां मिलाना शुरू नहीं कर दें। सबसे पहले कुछ व्यक्तिगत चिंतन करें। यदि बॉस कुछ सही बात कह रहे हैं, तो उनका समर्थन जरूर करें। उनसे अपनी बात कहने में कूटनीति का भी सहारा ले सकती हैं।
ऐसे अवसर तलाशें, जिनमें अपनी उपलब्धियों के बारे में उनसे बात कर सकें। लेकिन अपनी बात को सत्यापित करना बंद करें। अपने सीनियर या कूलीग से भी बात कर सकती हैं।
संभव है कि बॉस आपके दोस्त हों या स्कूल फ्रेंड रह चुकें हों। फिर भी उनके और दूसरों के साथ भी अपने व्यवहार में निरंतरता बनाए रखें। बॉस की गलत बात पर सहमति देना बंद करें। सही बात को कहना अपना कर्तव्य समझें। पर बॉस को यह न लगे कि दोस्ती के नाम पर आप उनका इन्सल्ट कर रही हैं। किसी को यह न लगे कि आप या आपके बॉस पक्षपात कर रहे हैं ।
बॉस और आपके बीच एक लक्ष्मण रेखा होनी चाहिए। बॉस और एम्प्लोई के बीच एक निश्चित दूरी ही दोनों को सफल बनाते हैं। पर्सनल लाइफ की बातें उनके सामने कर अपना और उनका वक्त बर्बाद करने से बचें। एक बात गांठ बांध लें। ऑफिस को आपकी घरेलू बातों या आपकी विद्वता से कोई मतलब नहीं है।
आप अपना काम समय पर करती हैं या नहीं और आपका परफोर्मेंस ऑफिस के लिया कितना लाभदायी रहा, सिर्फ इन्हीं बातों से ऑफिस को मतलब है। इसलिए काम आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
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