डायबिटीज अब भारतीयों के लिए दो पीढ़ी (Diabetes family history) पुरानी बात हो चुकी है। जिन परिवारों में पहले से मधुमेह अर्थात डायबिटीज का इतिहास रहा है, उन परिवारों के लोग यह मान बैठते हैं कि उन्हें भी डायबिटीज होगी ही। जबकि यह पूरी तरह सच नही है। डायबिटीज या प्रीडायबिटीज की ज़द में आने के लिए जीन से ज्यादा आपकी जीवनशैली जिम्मेदार होती है। अगर आपके परिवार में डायबिटीज का इतिहास रहा है, तब भी आप प्रीडायबिटीज (Prediabetes) और डायबिटीज (diabetes) से बच सकते हैं। बस आपको कुछ जरूरी मगर आसान चीजों का ध्यान (Tips to reduce diabetes risk) रखना है।
बहुत से भारतीयों के लिए, प्रीडायबिटीज और डायबिटीज जीवन का एक अवांछित हिस्सा बन गई हैं। “मेरे परिवार में डायबिटीज है” जैसे कथन आम हैं, लेकिन क्या आपका आनुवंशिक मेकअप आपके भाग्य का फैसला करता है? इसका उत्तर उतना सीधा नहीं है जितना आप सोच सकते हैं।
भारतीयों में डायबिटीज के जोखिम से जुड़े जीन में से एक TCF7L2 है, जो इंसुलिन उत्पादन और ग्लूकोज चयापचय को प्रभावित करता है। दूसरा है FTO जीन, जो अक्सर मोटापे से जुड़ा होता है – यह इंसुलिन प्रतिरोध का एक प्रमुख कारण। इन जीनों के होने से आपको प्रीडायबिटीज होने का खतरा बढ़ सकता है, लेकिन ये एकमात्र निर्धारक नहीं हैं।
हालांकि पारिवारिक इतिहास महत्वपूर्ण है। मगर आप क्या खाते हैं, आपका लाइफस्टाइल कैसा है और तनाव का प्रबंधन कैसे करते हैं, यह भी इस बात में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है कि आपको प्रीडायबिटीज है या नहीं।
यहीं पर एपिजेनेटिक्स का विज्ञान काम आता है। एपिजेनेटिक्स से तात्पर्य है कि आपका वातावरण और व्यवहार कुछ जीन को “चालू” या “बंद” कैसे कर सकते हैं। सरल शब्दों में, भले ही आपके पास ऐसे जीन हों जो आपको प्रीडायबिटीज के लिए प्रेरित करते हैं, आपकी जीवनशैली और चुनाव उनकी अभिव्यक्ति को दबा सकती हैं।
अपने जीन को एक लाइट स्विच के रूप में सोचें। आपका आहार, शारीरिक गतिविधि और नींद की आदतें तय करती हैं कि वह स्विच बंद रहता है या चालू हो जाता है। यह एक बड़ी जरूरी जानकारी है। मतलब है कि आप अपने आनुवंशिक जोखिमों का मुकाबला करने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठा सकते हैं।
आधुनिक जीवनशैली और जीन संवेदनशीलता भारत में प्रीडायबिटीज और डायबिटीज का जोखिम बढ़ा रहे हैं। कुछ और भी कारक हैं, जो इनमें योगदान दे रहे हैं –
विशिष्ट भारतीय आहार में चावल, चपाती और आलू का प्रभुत्व होता है जिसमें न्यूनतम प्रोटीन और फाइबर होता है। मीठे पेय पदार्थों, मिठाइयों और तले हुए स्नैक्स का नियमित सेवन समस्या को बढ़ाता है।
देर रात बड़े भोजन करना, भारतीय घरों में एक आम बात है, ग्लूकोज चयापचय को बाधित करता है और इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ावा देता है।
कई भारतीय डेस्क जॉब और न्यूनतम व्यायाम दिनचर्या के साथ गतिहीन जीवन जीते हैं। यहां तक कि रोजाना टहलने की कमी भी इंसुलिन संवेदनशीलता को खराब कर सकती है।
काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों की लगातार भागदौड़ तनाव के स्तर को उच्च रखती है, जिससे कोर्टिसोल बढ़ जाता है – एक हार्मोन जो इंसुलिन प्रतिरोध में योगदान देता है।
देर रात, अनियमित नींद के पैटर्न और सोने से पहले स्क्रीन का एक्सपोजर नींद की गुणवत्ता को कम करते हैं, जो रक्त शर्करा की समस्याओं में एक और योगदान देता है।
भारतीय अक्सर इन कारकों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। वे अपने जीन को दोष देते हैं, लेकिन इस बात पर ध्यान नहीं देते कि उनकी जीवनशैली समस्या को कैसे बढ़ा रही है। इसलिए अगर आप डायबिटीज से बचना चाहते हैं, तो आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना पड़ेगा।
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