मेरी मां अक्सर कहती हैं कि दिन-रात काम में जुटी रहती हो। कभी खुद के लिए भी कुछ समय निकालो। बिना कुछ खाए-पिए लगातार 5-5 घंटे तक एक ही कुर्सी पर बैठी रहती हो। तुमने तो काम को ही अपनी जिंदगी समझ लिया है। जबकि असल में यह जिंदगी का सिर्फ एक हिस्सा है। जिंदगी का सबसे बड़ा सुख है निरोगी काया। अगर मन और शरीर अच्छे रहेंगे, तभी कुछ काम हो पाएगा। मैंने उनकी बात को एक कान से सुना, दूसरे से निकाल दिया। इसका मतलब है कि गंभीरता से नहीं लिया।
अब आलम ये है कि एक फ्लोर की सीढ़ियां चढ़ने में ही सांस फूलने लगती है। अब जाकर एहसास हो रहा है कि अपने रोजमर्रा के जीवन में अपने स्वास्थ्य को जगह देना तो मैं भूल ही गई थी। अब ये भी समझ आया कि अगर सही से प्लानिंग की जाए तो अपनी सेहत के लिए समय निकालना इतना भी मुश्किल नहीं है। काश मां की बात कुछ और पहले मान ली होती तो ये नौबत ही नहीं आती।
मां की एडवाइस तो ठीक है, लेकिन इसकी सही प्लानिंग कैसे की जाए, इसके लिए हमने दिल्ली के सीनियर फिजिशियन डॉ. बॉबी दीवान से बात की।
डॉ. बॉबी दीवान के अनुसार, इस वैज्ञानिक युग में प्रकृति के हिसाब से काम करना बहुत मुश्किल है। लेकिन हमारा शरीर तो आज भी वैसे ही काम करता है। सूरज ढलने के बाद अंधेरा होते ही मेलाटॉनिन बनाना शुरू कर देता है कि समय पर अच्छी नींद आ सके। अगर हम देर रात तक लाइट्स में बने रहेंगे तो शरीर को लगता है कि अभी रात नहीं हुई है। इससे हमारा सकैर्डियन रिद्म बिगड़ जाता है। जिससे सबसे पहले स्लीप साइकल डिस्टर्ब होता है। फिर उससे जुड़ी कई बीमरियां आ धमकती हैं।
प्रतिदिन 7-8 घंटे की क्वालिटी नींद लें। सोने और जागने का एक निश्चित समय तय करें। ताकि आपका स्लीप साइकल न डिस्टर्ब हो। सोने के लिए बिस्तर पर जाने के कम-से-कम दो घंटे पहले ही रात का खाना खा लें। सोने से कम-से-कम एक घंटे पहले ही स्क्रीन से दूरी बना लें। बिस्तर पर जाकर कुछ देर शांति से बैठें, मेडिटेशन करें, इससे अच्छी नींद आने में मदद मिलेगी।
एक कहवत है कि जैसा खाओगे अन्न, वैसा होगा मन। इसका मतलब है कि हम जैसा खाना खाते हैं, हमारी सेहत पर उसका सीधा असर पड़ता है। अगर लगातार अच्छी और बैलेंस्ड डाइट लेनी है तो जरूरी है कि हम अपनी डाइट को पहले से ही प्लान करके चलें। ऐसा करने से हम अचानक भूख लगने पर किसी तरह के फास्टफूड से बच सकते हैं। रात में सोने से पहले हमारे पास सुबह के नाश्ते के लिए फल होने चाहिए।
दोपहर की बैलेंस्ड डाइट के लिए हरी पत्तेदार सब्जिंयां होनी चाहिए, प्रोटीन के लिए दाल होनी चाहिए। कार्बोहाइड्रेट के लिए आटा और चावल होने चाहिए। एक अच्छी थाली में फल, सब्जियां, सलाद और चोकरयुक्त आटे की रोटियां होनी चाहिए। इसमें प्रोबायोटिकेस के लिए दही या छाछ भी शामिल कर सकते हैं। रात का खना थोड़ा हल्का रखें, ताकि पाचन में आसानी हो।
शरीर के लिए खाने की तरह पानी भी बहुत जरूरी है। हाइड्रेशन के लिए दिन भर में 7-8 गिलास पानी जरूर पिएं। एक रीयूजेबल पानी की बोतल हमेशा साथ रखें। अगर संभव हो सके तो रूम टैम्पेरेचर पर रखा हुआ पानी पिएं।ये पढें:Dehydration : तेज गर्मी और पसीना बन सकता है डिहाइड्रेशन का कारण, ये 7 क्विक रेमेडीज करेंगी काम
अच्छी सेहत के लिए प्रतिदिन एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है। इससे शरीर के टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं और मन भी एक्टिव बना रहता है। मेटाबॉलिक हेल्थ के लिए भी रोजाना एक्सरसाइज बहुत जरूरी है। इससे इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है। इसके लिए एक नियम बनाएं कि सुबह उठकर कम-से-कम 30 मिनट हर दिन एक्सरसाइज करेंगे।
सिडेंटरी लाइफस्टाइल में लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियों का खतरा तो बढ़ ही रहा है। इसमें तनाव भी बड़ी भूमिका निभा रहा है। इसलिए जरूरी है कि स्ट्रेस मैनेज मेंट किया जाए। इसके लिए रोजाना एक्सरसाइज के अलावा मेडिटेशन और योग का अभ्यास करें। इसके अलावा स्ट्रीन टाइम कम करने से भी इसमें मदद मिलेगी।
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंलगातार काम करना उबाऊ हो सकता है। कई घंटे तक लगातार एक पोश्चर में बैठे रहने से भी मुस्किलें बढ़ सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि काम के बीच में लगातार छोटे-छोटे ब्रेक लेते रहें। इस बीच स्ट्रेचिंग कर सकते हैं। कुछ देर के लिए प्राकृतिक हवा और रौशनी में खड़े हो सकते हैं। इससे फोकस में सुधार होगा और काम की प्रोडक्टिविटी भी बढ़ेगी।
कई बार हम एक मैसेज देखने के लिए फोन उठाते हैं और पता नहीं चलता है कि कब आधा घंटा स्क्रॉलिंग में गुजर गया। इसके लिए समय प्रबंधन जरूरी है। एक तय शेड्यूल बनाएं। जिसमें अपने सोने-जागने, खाने-पीने, अपने स्वास्थ्य, दोस्त और फैमिली सबके लिए कुछ समय निकालें। इससे जीवन सरल बना रहेगा और मुशकिल भी नहीं होगी।
अगर किसी बात को लेकर परेशान हैं तो कभी भी अपने दोस्तों से या फैमिली से मदद मांगेने में संकोच न महसूस करें। समाज में परिवार और दोस्तों का तानाबाना इसलिए ही होता है कि समय आने पर सब एक दूसरे की मदद कर सकें।
हमारे शरीर की एक लिमिट होती है, अगर उसे पार करते हैं तो थकान हावी हो जाती है। इसक मतलब है कि शरीर को आराम की जरूरत है। लगातार काम करने के बाद ऊर्जा की कमी महसूस हो सकती है तो ऐसे में कुछ खाना या पीना जरूरी हो सकता है। अच्छी बात ये है कि हमारा शरीर हर जरूरत के लिए इशारे करता है। बशर्ते हम बाहर की दुनिया में इतना न खो जाए कि हमें अपने शरीर के संकेत ही न सुनाई दें।
अपनी जिंदगी में तमाम जरूरी एक्टिविटीज के बीच अपनी पसंदीदा चीजों या शौक के लिए समय जरूर निकालें। इससे दिमाग ज्यादा एक्टिव और प्रोडक्टिव होता है। हमारा शौक कुछ भी हो सकता है, जैसे- कढ़ाई, बुनाई, सिलाई या गाना। रोजमर्रा की जिंदगी में इसके लिए कुछ समय जरूर निकालें।
यह भी देखें:Pillars of strength : आपके तन-मन को मजबूत बना सकती है डेली लाइफ की ये 5 जरूरी बातें