काम का अतिरिक्त बोझ आपकी प्रोडक्टिविटी प्रभावित कर रहा है, तो जानिए इस स्थिति से कैसे डील करना है

यहां कौन है, जिसके लिए नौकरी केकवॉक है? हर क्षेत्र और हर जिम्मेदारी के अपने तनाव और दबाव होते हैं। मगर ये सब मिलकर अगर आपको तनावग्रस्त करने लगें, तो आपको इनसे ठीक तरह से डील करने के उपायों के बारे में सोचना चाहिए।
overburden ke kaaran batayein
काम का दबाव बढ़ने से तनाव और डिप्रेशन बढ़ने लगता है, वहीं अटैंशन स्पैन में कमी आने लगती है। चित्र- अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Updated: 3 Sep 2024, 06:31 pm IST
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काम के बाद थकान महसूस होना पूरी तरह से सामान्य है। मगर एनर्जी लेवल कम होने के बावजूद भी अपने शरीर की क्षमता से ज्यादा काम करने की जिद्द ओवरबर्डन का कारण बनने लगती है। इसका असर काम की गुणवत्ता के अलावा मेंटल हेल्थ पर भी धीरे धीरे नज़र आने लगता है। वर्क प्रैशर बढ़ने से तनाव समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में खुद को समय देना भी बेहद ज़रूरी है। जानते हैं वो संकेत जो इस ओर इशारा करते हैं कि आप ओवरबर्डन हैं और इस स्थिति से डील (How to deal with overburden) करने की टिप्स भी।

इस बारे में डॉ आरती आनंद बताती हैं कि वर्कप्लेस पर खुशहाली वाला माहौल न मिल पाने और लगातार थकान महसूस करने से सिरदर्द (headache) और बदन दर्द की शिकायत बढ़ जाती है। इसके अलावा तनाव, डिप्रेशन और अटैंशन स्पैन कम होने की समस्या से दोचार होना पड़ता है। इससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए सेल्फ केयर सबसे आवश्यक है और अपने गोल्स को सेट करना भी ज़रूरी है।

Overburden ke sign
लगातार बिना ब्रेक लिए काम करने से व्यक्ति खुद को ओवरबर्डन (signs of overburden) महसूस करने लगता है। चित्र- अडोबी स्टॉक

सबसे पहले जानते हैं वो संकेत जो बताते हैं कि आप ओवरबर्डन की शिकार हैं (Signs of overburden)

1. एकाग्रता कम हो जाना

लगातार बिना ब्रेक लिए काम करने से व्यक्ति खुद को ओवरबर्डन (signs of overburden) महसूस करने लगता है। इसके चलते किसी भी काम पर फोकस करने में दिक्कत होने लगती है। वर्क प्रोडक्टीविटी असंतुलित हो जाती है और नर्वसनेस का सामना करना पड़ता है।

2. एनर्जी की कमी

हर वक्त थकान और आलस्य से जुझना पड़ता है। काम करने के दौरान उबासी आना एक सामान्य लक्षण है। वे लोग जो ओवरबर्डन होते हैं, वे काम के कारण मील्स स्किप करने लगते है, जिससे शरीर में कमज़ोरी बढ़ने लगती है। इसके चलते आसान कार्य भी पूरे नहीं हो पाते है।

kuch logon mei energy kum hone lagti hai
ऊर्जा संबंधी रुकावटें या एनजी ब्लॉकर को समझने और उनका समाधान करने से हमें अधिक संतुलित जीवन जीने में मदद मिल सकती है। चित्र : अडोबी स्टॉक

3. भूख कम लगना

एक वक्त में मल्टीटास्क करने से मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है, जिससे एपिटाइट प्रभावित होने लगता है और भूख कम लगती है। इससे पाचनतंत्र असंतुलित होने लगता है और शरीर में थकान की समस्या बनी रहती है।

4. काम को टालते रहना

किसी भी कार्य को पूरा नहीं कर पाते हैं और आज के काम को कल पर टालने लगते हैं। वर्कलोड ज्यादा होने से काम की प्रीयोरिटी सेट नहीं कर पाते है। इससे ओवरऑल परफॉर्मेस पर उसका असर नज़र आने लगता है।

5. नकारात्मक विचारों का बढ़ना

ऐसे लोग हर पल काम करने के कारण तनाव से घिरने लगते है। इसका असर उनके विचारों पर दिखने लगता है और उनके आसपास नकारात्मकता बढ़ जाती है। वे डिप्रेशन और एंग्ज़ाइटी का शिकार हो जाते हैं, जिसके चलते उन्हें अन्य लोगों में कमियां दिखने लगती हैं।

Negative thoughts se duri banakar rakhein
थकान तनाव का कारण बन जाती है। इसका असर विचारों पर दिखने लगता है। चित्र : शटरस्टॉक

6. आइसोलेट हो जाना

अन्य लोगों से बेवजह दूरी बनाकर रखना और खुद को सही साबित करना ओवरबर्डन को दर्शाता है। अपने आप को अलग और सुपीरियर साबित करने वाले लोग अधिकतर ओवरबर्डन का शिकार होते हैं। ऐसे लोग अपने आप को आइसोलेट करने लगते है, जिससे उनका सोशल सर्कल संकुचित होने लगता है।

ओवरबर्डन से बचने के लिए किन टिप्स को फॉलो करें (Tips to deal with overburden)

1. ज़रूरी टास्क को प्राथमिकता दें

अपने कार्य की क्वालिटी और क्वांटिटी बढ़ाने के लिए काम की प्रायोरिटी को सेट करें। इसके चलते व्यक्ति आसानी से ज़रूरी कार्यों को पहले खत्म करने लगता है, जिससे दिन के अंत में बेवजह की थकान से बचा जा सकता है।

2. सेल्फ केयर है ज़रूरी

अपनी शारीरिक क्षमता के मुताबिक ही कार्य को करें। इससे कार्य की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही अपने विचारों की अभिव्यक्ति पर विश्वास रखें। इससे ओवरब्उर्न से बचा जा सकता है। दिनभर में काम के दौरान ब्रेक लें और सप्ताह के आखिर में अपने लिए समय निकालें और घूमने के लिए जाएं।

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3. सोशल सर्कल बिल्ड करें

जब काम के दौरान आप अन्य लोगों से मिलते जुलते है और बातचीत करते हैं, तो खुद को हल्का महसूस करने लगते है। मेलजोल बढ़ाने से सोशल सर्कल बढ़ने लगता है, जिससे तनाव और डिप्रेशन से बचा जा सकता है। इससे मांइड रिलैक्स रहता है।

Overburden se kaise bachein
लजोल बढ़ाने से सोशल सर्कल बढ़ने लगता है, जिससे तनाव और डिप्रेशन से बचा जा सकता है। इससे मांइड रिलैक्स रहता है।

4. हेल्दी मील्स लें

खानपान में कोताही बरतने से दिनभर थकान और अनिद्रा का सामना करना पड़ता है। पौष्टिक आहार लेने से शरीर को ज़रूरी पोषक तत्वों की प्राप्ति होने लगती है, जिससे मेंटल हेल्थ में सुधार होता है और भूलने की समस्या से राहत मिल जाती है।

5. मेडिटेशन करें

हर पल दिमाग में चलने वाले विचारों के जाल से छुटकारा पाने के लिए उन विचारों को रिलीज़ करना ज़रूरी है। उसके लिए मेडिटेशन एक सरल उपाय है। मन शांत रहने लगता है और विचारों में सकारात्मकता का विकास होता है।

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लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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