काम के बाद थकान महसूस होना पूरी तरह से सामान्य है। मगर एनर्जी लेवल कम होने के बावजूद भी अपने शरीर की क्षमता से ज्यादा काम करने की जिद्द ओवरबर्डन का कारण बनने लगती है। इसका असर काम की गुणवत्ता के अलावा मेंटल हेल्थ पर भी धीरे धीरे नज़र आने लगता है। वर्क प्रैशर बढ़ने से तनाव समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में खुद को समय देना भी बेहद ज़रूरी है। जानते हैं वो संकेत जो इस ओर इशारा करते हैं कि आप ओवरबर्डन हैं और इस स्थिति से डील (How to deal with overburden) करने की टिप्स भी।
इस बारे में डॉ आरती आनंद बताती हैं कि वर्कप्लेस पर खुशहाली वाला माहौल न मिल पाने और लगातार थकान महसूस करने से सिरदर्द (headache) और बदन दर्द की शिकायत बढ़ जाती है। इसके अलावा तनाव, डिप्रेशन और अटैंशन स्पैन कम होने की समस्या से दोचार होना पड़ता है। इससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए सेल्फ केयर सबसे आवश्यक है और अपने गोल्स को सेट करना भी ज़रूरी है।
लगातार बिना ब्रेक लिए काम करने से व्यक्ति खुद को ओवरबर्डन (signs of overburden) महसूस करने लगता है। इसके चलते किसी भी काम पर फोकस करने में दिक्कत होने लगती है। वर्क प्रोडक्टीविटी असंतुलित हो जाती है और नर्वसनेस का सामना करना पड़ता है।
हर वक्त थकान और आलस्य से जुझना पड़ता है। काम करने के दौरान उबासी आना एक सामान्य लक्षण है। वे लोग जो ओवरबर्डन होते हैं, वे काम के कारण मील्स स्किप करने लगते है, जिससे शरीर में कमज़ोरी बढ़ने लगती है। इसके चलते आसान कार्य भी पूरे नहीं हो पाते है।
एक वक्त में मल्टीटास्क करने से मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है, जिससे एपिटाइट प्रभावित होने लगता है और भूख कम लगती है। इससे पाचनतंत्र असंतुलित होने लगता है और शरीर में थकान की समस्या बनी रहती है।
किसी भी कार्य को पूरा नहीं कर पाते हैं और आज के काम को कल पर टालने लगते हैं। वर्कलोड ज्यादा होने से काम की प्रीयोरिटी सेट नहीं कर पाते है। इससे ओवरऑल परफॉर्मेस पर उसका असर नज़र आने लगता है।
ऐसे लोग हर पल काम करने के कारण तनाव से घिरने लगते है। इसका असर उनके विचारों पर दिखने लगता है और उनके आसपास नकारात्मकता बढ़ जाती है। वे डिप्रेशन और एंग्ज़ाइटी का शिकार हो जाते हैं, जिसके चलते उन्हें अन्य लोगों में कमियां दिखने लगती हैं।
अन्य लोगों से बेवजह दूरी बनाकर रखना और खुद को सही साबित करना ओवरबर्डन को दर्शाता है। अपने आप को अलग और सुपीरियर साबित करने वाले लोग अधिकतर ओवरबर्डन का शिकार होते हैं। ऐसे लोग अपने आप को आइसोलेट करने लगते है, जिससे उनका सोशल सर्कल संकुचित होने लगता है।
अपने कार्य की क्वालिटी और क्वांटिटी बढ़ाने के लिए काम की प्रायोरिटी को सेट करें। इसके चलते व्यक्ति आसानी से ज़रूरी कार्यों को पहले खत्म करने लगता है, जिससे दिन के अंत में बेवजह की थकान से बचा जा सकता है।
अपनी शारीरिक क्षमता के मुताबिक ही कार्य को करें। इससे कार्य की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही अपने विचारों की अभिव्यक्ति पर विश्वास रखें। इससे ओवरब्उर्न से बचा जा सकता है। दिनभर में काम के दौरान ब्रेक लें और सप्ताह के आखिर में अपने लिए समय निकालें और घूमने के लिए जाएं।
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंजब काम के दौरान आप अन्य लोगों से मिलते जुलते है और बातचीत करते हैं, तो खुद को हल्का महसूस करने लगते है। मेलजोल बढ़ाने से सोशल सर्कल बढ़ने लगता है, जिससे तनाव और डिप्रेशन से बचा जा सकता है। इससे मांइड रिलैक्स रहता है।
खानपान में कोताही बरतने से दिनभर थकान और अनिद्रा का सामना करना पड़ता है। पौष्टिक आहार लेने से शरीर को ज़रूरी पोषक तत्वों की प्राप्ति होने लगती है, जिससे मेंटल हेल्थ में सुधार होता है और भूलने की समस्या से राहत मिल जाती है।
हर पल दिमाग में चलने वाले विचारों के जाल से छुटकारा पाने के लिए उन विचारों को रिलीज़ करना ज़रूरी है। उसके लिए मेडिटेशन एक सरल उपाय है। मन शांत रहने लगता है और विचारों में सकारात्मकता का विकास होता है।