बेहतर स्वास्थ्य के लिए अक्सर व्यायाम करने और हरी सब्जियां खाने की सलाह दी जाती है। जहां व्यायाम से ब्ल्ड का सर्कुलेशन बढ़ता है, जो वहीं हरी सब्जियां शरीर को पोषण प्रदान करती है। इन्हीं हरी सब्जियों में से एक है तोरई। विटामिन और मिनरल से भरपूर तोरई न केवल पाचन को मज़बूत बनाती है बल्कि इससे डायबिटीज़ को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है। जानते हैं तोरई क्यों है खास और डायबिटीज़ के रोगी किस तरह से करें इस सुपरफूड का सेवन (ridge gourd for diabetes)।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार लो कैलोरी फूड तोरई में फाइबर की उच्च मात्रा पाई जाती है। इसके सेवन से शरीर को विटामि ए और बी की प्राप्ति होती हैं। पकाने और पचाने में आसान इस सब्जी से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और शरीर में ऊर्जा का स्तर बना रहता हैं। विटामिनस के अलावा इसमें मैग्नीशियम और आयरन समेत कई मिनरल्स भी पाए जाते हैं। वॉटर कंटेंट की उच्च मात्रा होने से शरीर हाइड्रेट रहता है और रेड ब्लड सेल्स की मात्रा भी बढ़ती है।
इस बारे में डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि तोरई का सेवन करने से शरीर को विटामिन, मिनरल और फाइबर की प्राप्ति होती है। इससे शरीर में ग्लूकोज़ का एबजॉर्बशन स्लो हो जाता है, जिससे शुगर को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। आयरन, पोटैशियम और मैगनीशियम से भरपूर इस सुपरफूड को छिलका समेत बनाने से शरीर को फायदा मिलता है। इससे फाइबर की भरपूर प्राप्ति होती है, जो गट हेल्थ को बूस्ट करके वेटलॉस में मदद करता है।
यूएसडीए के अनुसार 100 ग्राम तोरई में लगभग 20 कैलोरी की प्राप्ति होती है। इसके अलावा 94 फीसदी पानी और फाइबर की भी उच्च मात्रा होती है। डाइटरी फाइबर के चलते पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है, जिससे भूख को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। साथ ही ओवरइटिंग की समस्या भी हल हो जाती है। इसमें पेप्टाइड्स और एल्कलॉइड तत्व भी पाए जाते है, जिससे डायबिटीज़ को बढ़ने से रोका जा सकता है।
तोरई में कैरेनटीन कंपाउड पाया जाता है, जिससे शरीर को एंटी डायबिटीक गुणों की प्राप्ति होती है। इसमें पाई जाने वाली फाइबर की मात्रा शरीर में ग्लूकाज़ के एब्जॉर्बशन को स्लो बना देता है। आहार में इसे शामिल करने से हाइपोग्लाइसेमिक प्रॉपर्टीज और फाइटोन्यूट्रिएंट्स की भी प्राप्ति होती हैं, जो खाने के बाद रक्त शर्करा के स्तर में होने वाली बढ़ोतरी को रोकने में मदद करते हैं।
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए तोरई का सेवन फायदेमंद है। इससे शरीर को विटामिन सी व मिनरल्स की प्राप्ति होती है। इसके सेवन से शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है और इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है। तोरई का सेवन करने से शरीर मौसमी संक्रमण के प्रभाव से बच जाता है।
पोटेशियम और मैगनीशियम से भरपरू तोरई के सेवन से ब्लड प्रेशर के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। इससे हृदय रोगों के जोखिम को कम करके शरीर में ब्लड वैसल्स रिलैक्स हो जाती है। दरअसल, इस सब्जी से शरीर में सोडियम का स्तर उचित बना रहता है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर से राहत मिलती है। इससे हृदय पर पड़ने वाले कार्डियोवसकुलर स्ट्रेन को भी कम किया जा सकता है।
सब्जी को अच्छी तरह से धोकर छिलके समेत काटकर तैयार कर लें। इससे शरीर को फाइबर और मिनरल्स की प्राप्ति होती है, जिससे शरीर में बढ़ने वाले फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बचा जा सकता है और फाइटोन्यूट्रिएंट्स ब्लड शुगर लेवन को नियंत्रित रखते हैं।
दही, तोरई, आंवला, नींबू का रस, काली मिर्च और स्वादानुसार नमक डालकर स्मूदी तैयार कर लें। अब उसका सेवन करने से न केवल शरीर में निर्जलीकरण का खतरा कम होता है बल्कि पोषक तत्वों का एब्जॉर्जशन बढ़ जाता है। इससे वेटलॉस में भी मदद मिलती है।
तोरई की सब्जी को छोटे टुकड़ों में काटकर पकाएं और फिर उसे मैश करके या टुकड़ों समेत सूप में एड कर सकते है। इससे बार बार भूख लगने की समस्या हल होती है और पाचनतंत्र को भी मज़बूती मिलती है। वे लोग जो ब्लोटिंग और कब्ज़ का शिकार है, उन्हें इसका सेवन अवश्क करना चाहिए।
इसे ग्रेट करके बेसन में मिक्स करके चीला तैयार कर सकते है। इससे न केवल आहार में नयापन आता है बल्कि स्वाद में भी बढ़ोतरी होती है। ब्रेकफास्ट में तोरई का चीला खाने से शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।