आमातौर पर खाने की खुशबू, उसका रंग और रेसिपीज़़ का नाम सुनकर खाने के लिए मन ललचाने लगता है। मगर कई बार खाना परोसे जाने के बाद भी भूख न लगने की समस्या का सामना करना पड़ता है। कभी सब्जी न खाने का बहाना बनाकर, तो कभी वेटलॉस जर्नी (weight loss journey) के बारे में सोचकर एपेटाइट धीरे धीरे कम (low appetite) होने लगता है। हांलाकि भूख न लगने के ढ़रों का कारण हो सकते हैं। जानते हैं एक्सपर्ट से क्यों करना पड़ता है भूख न लगने की समस्या का सामना और इससे निपटने की टिप्स भी (how to increase appetite)।
इस बारे में डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि शरीर में किसी प्रकार की डिसफंक्शनिंग से भूख कम लगने लगती है। बुखार, कैंसर, क्रानिक लिवर डिजीज, किडनी की समस्या, कुपोषण, और स्ट्रेस समेत कई साइकॉलोजिकल रीज़न लो एपेटाइट (low appetite) का कारण साबित होते है। बार बार मील्स स्किप करने के चलते थकान, कमज़ोरी, लो ब्लड प्रेशर (low blood pressure) और लो एनर्जी की समस्या बढ़ जाती है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार एंग्जाइटी, क्रानिक तनाव (chronic depression) और डिप्रेशन भूख कम लगने की समस्या को बढ़ा देते हैं। इस स्थिति को एनोरेक्सिया नरसोवा कहा जाता है। इस शॉर्ट टर्म एपेटाइट लॉस (appetite loss) का असर त्वचा, मेटाबॉलिज्म और नाखूनों पर दिखने लगता है। इसके अलावा मानसून में बढ़ने वाला बैक्टीरियल इंफेक्शन लॉस ऑफ एपेटाइट को बढ़ा देता है। संक्रमण के प्रभाव में आने से शरीर में मेटाबॉलिक प्रभाव बढ़ने लगता है।
पब मेड सेंट्रल की रिपोर्ट के अनुसार आहार में एंटीऑक्सिडेंट को शामिल करना ज़रूरी है। इसके लिए में विटामिन सी, ई, बीटा कैरोटीन, सेलेनियम और पॉलीफेनॉल को अवश्य शामिल करें। इन कंपाउड की मदद से शरीर का मेटाबॉलिक रेट बढ़ने लगता है। इसके अलावा फैट ऑक्सीडेशन और एपेटाइट रेगुलेशन में मदद मिलती है।
एपेटाइट को बढ़ाने, मेटाबॉलिज्म बूस्ट करने और हेल्दी वेट मेंटेन (Healthy weight maintain) करने के लिए विटामिन बी बेहद आवश्यक है। विटामिन बी 1 यानि थियामिन, जिससे भूख को नियंत्रित करने और बढ़ाने में मदद मिलती है। वहीं शरीर में फैट्स और शुगर के फंक्शन के लिए विटामिन बी 3 यानि नियासिनद्ध की आवश्यकता होती है। इसके अलावा विटामिन बी 6 (vitamin b6) यानि पाइरिडोक्सिन की मदद से प्रोटीन को प्रोसेस किया जाता है। वहीं विटामिन बी 7 मतलब बायोटिन कोलेस्ट्रॉल, कार्ब्स व फैट्स को प्रोडयूस करने में भी मदद करता है।
शारीरिक सक्रियता को बढ़ाने से बॉडी सेल्स को ऑक्सीजन मिलती है, जिससे बॉडी फंकशनिंग बढ़ जाती है और भूख लगने लगती है। सुबह उठकर खाली पेट वॉक (empty stomach walk) करने या वर्कआउट से लो एपेटाइट (appetite) को कम किया जा सकता है। एक्सरसाइज़ से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने लगता है, जिससे शरीर बीमारियों से दूर रहता है। नियमित व्यायाम से मसल्स और मेटाबॉलिज्म को बूस्ट किया जाता है। दरअसल, इससे हंगर हार्मोन रिलीज़ होते है, जिससे शरीर की कमज़ोरी दूर होने लगती है।
सोने और उठने के समय के साथ साथ हेल्दी डाइट (healthy diet) को शामिल करें। इससे शरीर कुपोषण से बच जाता है और सभी पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है। दिनभर में 3 मील्स लें और 2 से 3 बार हेल्दी स्नैक्स खाएं। इसके अलावा एंप्टी कैलोरीज़ (empty calories) के इनटेक को घटाएं और आहार में प्रोटीन, हेल्दी फैट्स और होल ग्रेन लें।
भूख कम महसूस होने पर हेल्दी ड्रिंक्स पीएं। इससे शरीर में निर्जलीकरण (dehydration) के खतरे से भी बच जाता है। इससे शरीर को पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है। इसके लिए आहार में फ्रूट जूस, सूप, स्मूदी और मिल्कशेक को एड कर सकते हैं। इसके अलावा आहार में दूध और दही भी एड कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें- माइग्रेन का दर्द ट्रिगर करती हैं ये 5 चीजें, दर्द से बचने के लिए आज ही से लगाएं इन पर लगाम