हाल के वर्षों में विश्व स्तर पर मेंटल हेल्थ एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभरी है। अनहेल्दी लाइफस्टाइल, खराब खान-पान और काम के कारण अत्यधिक तनाव कुछ ऐसे कारक हैं, जो डिप्रेशन और एंग्जाइटी दोनों बढ़ा रहे हैं। डिप्रेशन और एंग्जाइजी दूर करने में साइकोटिक ड्रग्स प्रभावी तो हैं, लेकिन यह पूरी तरह से ठीक नहीं करती हैं। दवाओं के लंबे समय तक सेवन से या तो व्यक्ति दवाओं पर निर्भर हो जाता है या फिर कुछ और बीमारियां घर कर लेती हैं। पर अगर आप इन्हें दवाओं की बजाए योग से ठीक करना चाहती हैं, तो आपकी मदद करने के लिए हम यहां हैं। हेल्थ शाॅट्स पर आप जानेंगी कि योग के माध्यम से एंग्जाइटी को कैसे कंट्रोल (How to control anxiety with yoga ) किया जा सकता है।
अपनी एंग्जाइटी को योग से कंट्रोल करना चाहती हैं, तो जिंदल नेचरक्योर इंस्टीट्यूट के असिस्टेंट चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. के शनमुगम बता रहे हैं इस बारे में सब कुछ।
डॉ. के शनमुगम के अनुसार, “मेंटल हेल्थ से प्रभावित लोग यदि अपने दैनिक जीवन में योग अपना लें, तो उन्हें बहुत अच्छे रिजल्ट्स मिल सकते हैं। योग मानसिक और शारीरिक दोनों समस्याओं में कारगर है। यह हमारे शरीर और दिमाग में तालमेल बिठाता है और हमारे भावनात्मक संतुलन को बहाल करता है। इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि योग का डिप्रेशन (Depression) , एंग्जाइटी (Anxiety) , अटेंशन-डेफिसिट या हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) से पीड़ित लोगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।”
जब दैनिक अभ्यास के रूप में अपनाया जाता है, तो योग मन को शांत करने और मानसिक बीमारियों के विकास को रोकने में मदद कर सकता है। आज स्ट्रेस लाइफस्टाइल से जुड़ी कई बीमारियों की जड़ है। योग आपकी लाइफस्टाइल से तनाव को कम करने में मदद करता है। यहां कुछ पोज दिए गए हैं, जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के अलावा मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं:
यह आसन आपके नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करता है। इससे आपके शरीर एनर्जेटिक हो जाता है। यह आसन मूल रूप से एक आराम की मुद्रा है। यह गर्भ में पल रहे बच्चे की भ्रूण वाली अवस्था की तरह दिखता है। यह घुटनों के बल बैठकर और फिर आगे की ओर झुककर किया जाता है, ताकि छाती जांघों को और माथा जमीन को छुए। भुजाओं को आगे की ओर तानें। यदि नियमित रूप से सही तरीके के साथ किया जाए, तो व्यक्ति मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से रिलैक्स महसूस करने लगेगा।
अधिकांश योग आसनों की तरह, इसे भी खाली पेट या भोजन के कम से कम छह घंटे बाद किया जाना चाहिए। हाई ब्लड प्रेशर और बैक पेन से पीड़ित लोगों को इस आसन से बचना चाहिए।
यह उल्टी मुद्रा सिर की ओर ब्लड सर्कुलेशन में सुधार के लिए सबसे अच्छे योग आसनों में से एक है। यह ब्लड सर्कुलेशन को नियंत्रित करने के अलावा एंग्जाइटी को खत्म करने, डिप्रेशन और इनसोमनिया का इलाज करने में मदद करता है।
इस आसन को पीठ के बल सीधे लेट कर किया जा सकता है। पैरों को एक साथ रखें। सांस भरते हुए पैरों, नितंबों और धड़ को ऊपर उठाएं और हथेलियों पर कूल्हों को सहारा दें। धड़ को जमीन से 45 डिग्री के कोण पर रखा जाता है। इस स्थिति में सामान्य रूप से सांस लें। वापस जाने के लिए पैरों को सिर के ऊपर रखें और सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे रखें। रीढ़ और पैरों को नीचे लाएं।
यह योग मुद्रा उच्च रक्तचाप, अस्थमा, साइनसाइटिस, बांझपन और ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित लोगों के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती है। यह हल्के अवसाद को दूर करने और अनिद्रा को दूर करने में भी मदद करता है।
यह एक रिलैक्सेशन टूल के रूप में अत्यधिक फायदेमंद है। इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। धीरे-धीरे सांस लेते हुए हाथों को सामने से सिर के ऊपर उठाएं। पीठ के ऊपरी हिस्से से पीछे की ओर झुकें और सामान्य श्वास के साथ स्थिति बनाए रखें।
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कस्टमाइज़ करेंयह मुद्रा आमतौर पर योग दिनचर्या के अंत में की जाती है। यह मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और शरीर को आराम देने में मदद करती है। अपनी पीठ के बल लेट जाएं। शरीर को सीधा रखें और हाथों को बगल की तरफ रखते हुए हथेलियां ऊपर की ओर रखें। अपनी आंखें बंद करें और कम से कम पांच मिनट के लिए इस स्थिति में रहें।
गर्भवती महिलाएं भी इस आसन का अभ्यास कर सकती हैं, क्योंकि इससे उन्हें प्रसव पूर्व डिप्रेशन, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में प्रचलित मेंटल डिसऑर्डर को रोकने में मदद मिल सकती है।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऊपर बताए गए सभी योगाभ्यासों को एक योग विशेषज्ञ की देखरेख में क्रमिक तरीके से सीखना और करना चाहिए। यदि आप योग-आसन को सही तरीके से नहीं कर पाएंगी, तो परिणाम कुछ भी हाथ नहीं आएगा।
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