हर साल जनवरी की 3 तारीख को इंटरनेशनल माइंड बॉडी वेलनेस डे (International mind body wellness day) पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है ताकि लोगों तक ये बात और प्रभावी तौर पर पहुंचाई जा सके कि किसी भी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य आपस में पूरी तरह से जुड़े हुए हैं। बदलते दौर के साथ लोगों की दिनचर्या भी व्यस्त होती जा रही है और इससे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की समस्याएं हो रही हैं। ऐसे में ये समझना जरूरी है कि मेंटल और फिजिकल हेल्थ का ख्याल एक साथ रखकर ही हम स्वस्थ रह सकते हैं। आज माइंड बॉडी वेलनेस डे (mind body wellness day) के मौके पर हम आपको ऐसी ही कुछ आदतों के बारे में बताने वाले हैं जिससे हमारा स्वास्थ्य अच्छा बना रहेगा।
मेंटल और फिजिकल हेल्थ आपस में पूरी तरह से जुड़े हुए हैं। मेंटल हेल्थ फाउंडेशन, यूके की एक रिपोर्ट कहती है कि मेंटल हेल्थ के कंडीशन से जूझ रहे व्यक्तियों में हाई कोलेस्ट्रॉल, हार्ट प्रॉब्लम्स और मोटापे का खतरा ज्यादा होता है। इसके उलट शारीरिक परेशानियों से पीड़ित व्यक्ति को मानसिक तौर पर भी समस्याएं हो सकती हैं।
साल 2018 में इसी को बेहतर तरीके से समझने और समझाने के लिए तमाम अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने यह तय किया था कि 3 जनवरी को हर बरस इंटरनेशनल माइंड बॉडी वेलनेस डे (International Mind Body Wellness Day) मनाया जाएगा। तबसे यह दिन हर साल इसी तौर पर मनाया जाता है ताकि लोगों को इस बारे में जागरूक किया जा सके कि बेहतर मेंटल हेल्थ हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है और ठीक इसके उलट हमारा अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य,हमारे अच्छे मेंटल हेल्थ के लिए भी जरूरी है।
व्यायाम शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद है। नियमित रूप से व्यायाम करने से शरीर की ताकत बढ़ती है, वजन नियंत्रण में रहता है और दिल और मांसपेशियों का स्वास्थ्य बेहतर होता है। इसके साथ ही मानसिक स्वास्थ्य का भी व्यायाम से बड़ा कनेक्शन है।
चीन में हुई एक स्टडी जिसमें 1200 से ज्यादा लोग शामिल थे, में पाया गया कि जो लोग नियमित व्यायाम करते थे, उनका मानसिक स्वास्थ्य काफी बेहतर था। दरअसल व्यायाम से शरीर में एंडोर्फिन (खुश रहने वाले हार्मोन) की बढ़ोतरी होती है और आप चिंता,एन्जाइटी और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से दूर रहते हैं। हर स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 30 मिनट का व्यायाम जरूर करना चाहिए।
आपकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ कैसी होगी, ये बहुत हद तक आपके खाने पर तय करता है। अनहेल्दी खाना ना सिर्फ आपकी शारीरिक हेल्थ बिगाड़ता है बल्कि मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं को भी जन्म देता है। दोनों मामलों में स्वस्थ रहने के लिए आप ताजे फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, प्रोटीन, और हेल्दी फैट्स से भरपूर चीजें अपने खाने में शामिल करें।
इसके साथ थोड़ी देर धूप में जरूर बैठें ताकि आपके शरीर में पर्याप्त विटामिन D जाता रहे। इसके अलावा बहुत ज्यादा चीनी और तला-भुना खाने से बचें, क्योंकि ये सब आपकी मेंटल हेल्थ पर तो असर डालेंगे ही और इसके अलावा शरीर के मोटापे का भी कारण बनेंगे।
साइकोलॉजिकल हेल्थ नाम की एक संस्था की रिपोर्ट कहती है कि नींद से ना सिर्फ मानसिक शांति मिलती है बल्कि आपके हार्ट का हेल्थ भी बेहतर होता है। रोजाना 7 से 9 घंटे की नींद आपको मोटापे से, पाचन की समस्या से भी बचाएगी।
वे लोग जिनकी नियमित तौर पर नींद नहीं पूरी हो पाती, वे मानसिक स्तर पर तनाव जैसी समस्याएं झेलते हैं। तनाव की समस्या आगे बढ़ कर घबराहट, बेचैनी और कई बार अवसाद में भी बदल सकती है। माइंड बॉडी वेलनेस डे (mind body wellness day) के मौके पर अपने आप से वादा करें कि आप पर्याप्त नींद लेंगे और एक तय वक्त पर सोने और जगने की कोशिश करेंगे।
मेडिटेशन को हम मानसिक समस्याओं से निजात के एक तरीके के तौर पर जानते हैं, जो सही भी है। लेकिन अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की एक रिपोर्ट कहती है कि मेडिटेशन के सहारे मेंटल स्ट्रेस, एन्जाइटी और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से राहत तो मिलती ही है। किसी भी तरह के नशे की लत छुड़वाने में भी मेडिटेशन फायदेमंद साबित होती है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि अगर किसी को क्रोनिक पेन की समस्या है, तो भी मेडिटेशन कारगर है। इससे इम्यून सिस्टम भी बूस्ट होता है।
आप किस तरह से सोचते हैं, यह आपके जीवन को पूरी तरह से कंट्रोल करता है। अपने आपको पॉजिटिव रख कर आप अपने फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों को कंट्रोल कर सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, सकारात्मक सोच व्यक्ति के हार्ट रेट को कंट्रोल में रखती है जिससे हम बहुत सारी बीमारियों से बच जाते हैं।
इसी के साथ हमें मानसिक समस्याओं से नहीं गुजरना पड़ता। अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहतर है कि आप अपने आप को तवज्जो दें। अपनी कमियों को बेशक सुधारें लेकिन अपने अच्छे काम और उलपब्धियाँ खुद को याद दिलाते रहें ताकि आपके आत्मविश्वास में वृद्धि हो और आप स्वस्थ रहें।
यह सही है कि हम सभी की जिंदगी बदलते दौर के साथ तेजी से बदल रही है लेकिन यहीं आपको कुछ सावधानियां भी रखनी है ताकि उससे आपका स्वास्थ्य ना प्रभावित हो। वक्त पर खाना, वक्त पर सोना और वक्त पर अपने सारे काम निपटाने जैसी आदतों से आपके दिमाग़ में स्ट्रेस की संभावना तो घटती ही हैं। शरीर भी अपना काम ठीक से करता है। अनियमित दिनचर्या शरीर में बीमारियों को जन्म देती है। इसलिए बेहतर है कि अपना रूटीन अनुशासित रखें।
साल 1979 में अमरीका में लीजा बर्कमैन और लियोनार्ड साइम नाम के दो स्कॉलर्स ने एक शानदार और अभूतपूर्व स्टडी के नतीजे रखे। नतीजों के अनुसार, ऐसे लोग जो सामाजिक तौर पर ज्यादा एक्टिव थे, उनके हार्ट संबंधी रोगों से मरने के चांस ऐसे लोगों से तीन गुना कम थे। ऐसे लोगों से जो सामाजिक तौर पर सक्रिय नहीं थे।
आश्चर्यजनक ये था कि स्मोकिंग करने वाले और शराब पीने वाले लोग भी सोशली ज्यादा एक्टिव रह कर अपने जल्दी मरने के खतरे को टाल लेते हैं। जबकि जो लोग नशा नहीं करते लेकिन सोशली सक्रिय नहीं हैं, उनके लिए ऐसे खतरे ज्यादा हैं। इसका मतलब साफ है कि सामाजिक तौर पर सक्रिय रहना ना सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि हमारे शरीर के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसलिए सोशली एक्टिव रहना दूसरों की समस्या सुनना और अपनी समस्याएं बताना स्वस्थ रहने का एक मजबूत हथियार है।
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