सर्दी के दिनों में अक्सर खांसी और जुकाम की समस्या बनी रहती है, मगर एक एहसास ऐसा भी होता है, जिसमें मन कुछ भी खाने से भागने लगता है। दरअसल, ठंडी हवा के कारण अधिकतर लोग मतली का शिकार हो जाते है। जी मचलाने के चलते उल्टी आने की सेंसेशन बढ़ने लगती है। बार बार उन्टी आने से शरीर में निर्जलीकरण की भी समस्या बढ़ने लगती है। ऐसे में सर्दी के मौसम में अगर आप भी मतली से पेरशान है, तो कुछ घरेलू उपाय इसमें मददगार साबित हो सकते है (Home remedies for nausea) ।
वॉमिटिंग के अलावा अक्सर पेट में भी दर्द की समस्या बनी रहती है, जो दिनचर्या को अस्त् व्यस्त कर देता है। ऐसे में घरेलू उपायों की मदद ली जा सकती है। अक्सर बचपन में उल्टी आने पर नींबू पर काली मिर्च लगाकर उसे चाटने की सलाह दी जाती थी, तो कभी सेब का रस और अदरक का अर्क खाने के लिए दिया जाता था। कुछ लोगों में सुबह उठते ही ये समस्या गंभीर रूप से बढ़ने लगती है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार गैस्ट्रोएसोफागीयल रिफ्लक्स डिसऑर्डर और एसिड रिफ्लक्स नॉज़िया यानि मतली का कारण साबित होते हैं। इसके चलते पेट में बनने वाला एसिड फूड पाइप में रिफ्लेक्स का कारण साबित होता है। ज्यादा तला भूना और मसालेदार खाना इस समस्या का कारण साबित होता है।
इस बारे में क्लीनिकल डाइटीशियन एव सर्टिफाइड डायबिटीज़ एजुकेटर कनिका मल्होत्रा बताती हैं कि उबकाई होना या मिचली महसूस होना एक आम समस्या है, जो खराब पाचन, एसिडिटी, गर्भावस्था या सफर के दौरान बढ़ने लगती है। इसे दूर करने के लिए कुछ आहारिक उपाय बेहद प्रभावी हो सकते हैं। इसके लिए आहार में पुदीना, अदरक, नींबू, सौंफ और नारियल पानी का सेवन करें। इससे मतली को दूर करने में मदद मिलती है।
अदरक में जिंजरोल तत्व पाया जाता हैं जो मिचली और उल्टी होने की अनुभूति को कम करने में मदद करता हैं। इसमें मौजूद बायोएक्टिव कंपाउड शोगोल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है। इससे पाचन में सुधार बढ़ने लगता है। इसके लिए आहार में अदरक की चाय, अदरक का रस या अदरक का टुकड़ा चबाना लाभकारी साबित होता है।
नींबू की खटास पेट को शांत करने मग्र मददगार साबित होती है और उबकाई की भावना को कम करती है। इसमें मौजूद न्यूटरालाइजिंग एसिड बाइकार्बोनेट में परिवर्तित हो जाते हैं, जिससे डाइजेशन बूस्ट होता है। ऐसे में गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर पीने से राहत मिलती है।
केले का सेवन करने से शरीर में पोटेश्रियम की मात्रा रीस्टोर होने लगती है। इससे वॉमिटिंग और डायरिया की समस्या हल हो जाती है। केला हल्का और सुपाच्य होता है, जो पेट की एसिडिटी को कम कर मिचली को शांत करने में मददगार साबित होता है। साथ ही इससे शरीर में एनर्जी का उच्च स्तर बना रहता है।
पुदीने की पत्तियों की खुशबू और स्वाद पाचन तंत्र को आराम देता है। इसकी मदद से अपच, ब्लोटिंग, मॉर्निंग सिकनेस और मोशन सिकनेस से राहत मिलती है। पुदीने में एक्टिव कंपाउड मेन्थॉल और मेन्थोन की उच्च मात्रा पाई जाती है। इससे पेट की मांसपेशियों को आराम मिलता है। मतली की भावना कम करने के लिए चाय में उबालकर या पत्तियां चबाने से इसका फायदा मिलता है।
इसमें मौजूद एनिथोल तत्व में एंटी बैक्टीरियल या एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है। इससे गैस और ब्लोटिंग से राहत मिल जाती है। सौंफ का सेवन जहां पाचन को सुधारता है, तो वहीं उल्टी होने की अनुभूति को कम करता है। इसके लिए सौंफ को पानी में उबालकर या चाय में डालकर भी पी सकते हैं।
दही प्रोबायोटिक्स से भरपूर होता है, जो पाचन में सुधार लाकर मिचली से राहत दिलाता है।इससे आंतों में गुड बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे शरीर को डिटॉक्स रखने में मदद मिलती है। गट हेल्थ की मज़बूती और एसिडिटी से राहत पाने के लिए इसका नियमित सेवन करें।
सेब में विटामिन ए, बी,सी और ई की मात्रा पाई जाती हैं। इससे पाचन को मज़ूबती मिलती है और शरीर में निर्जलीकरण की समस्या हल हो जाती है। मतली से बचने के लिए ठंडे सेब का रस पीएं। इसकी ताजगी पेट को ठंडक देती है और मिचली को कम करने में मदद करती है।
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