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यदि दोनों पेरेंट्स को है मायोपिया, तो इन 5 चीजों को ध्यान में रख बच्चों को बचा सकते हैं दृष्टि दोष से

इलैक्ट्रॉनिक गैजेट्स के अत्यधिक उपयोग के कारण लोगों में मायोपिया का जोखिम बढ़ता जा रहा है। अगर आप बेबी प्लान कर रहे हैं या हाल ही में पेरेंट्स बने हैं, तो अपने बच्चे को इस समस्या से बचाने के लिए आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना होगा।
Updated On: 5 Apr 2023, 07:57 pm IST
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शुरुआती मायोपिया बहुत कम उम्र में प्रकट हो सकता है। चित्र- अडोबी स्टॉक

इन दिनों दृष्टि दोष खासकर मायोपिया के मामले बड़ी तेज़ी से बढे हैं। कुछ महीने पहले एम्स के एक अध्ययन से पता चलता है कि भारत में स्कूल जाने वाले 13% से अधिक बच्चे मायोपिक हैं। इलैक्ट्रॉनिक गैजेट्स के अत्यधिक उपयोग के कारण पिछले दशक में यह संख्या दोगुनी हो गई है। इसके लिए खानपान से लेकर स्क्रीन टाइम के बहुत अधिक बढ़ने जैसे कई कारण हो सकते हैं। इनमें से एक कारण जेनेटिक भी बताया जा रहा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि बच्चे के मां-पिता को मायोपिया (Myopic Parents) है, तो उन्हें बच्चों की आंखों का विशेष ख्याल रखना होगा। इसके लिए हमने बात की न्यूआई एडवांस्ड आई केयर, मुंबई की न्यूरो-नेत्र रोग विशेषज्ञ और मुख्य बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुशा सुगथन से।

ब्लाइंडनेस प्रिवेंशन वीक (Prevention of Blindness Week 1-7 April)

आंखों की सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए ही इन दिनों ब्लाइंडनेस प्रिवेंशन वीक (Prevention of Blindness Week) मनाया जा रहा है। 1- 7 अप्रैल तक लोगों को ब्लाइंडनेस और उसके उपचार के बारे में शिक्षित करने के लिए सरकार एक सप्ताह तक अभियान चला रही है। यह सप्ताह ब्लाइंडनेस प्रिवेंशन वीक के रूप में जाना जाता है।

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यदि माता-पिता को मायोपिया है, तो स्कूल शुरू करने से पहले प्रत्येक बच्चे का अपवर्तक मूल्यांकन होना चाहिए।

20 वर्ष तक घट-बढ़ सकता है पॉवर

डॉ. सुशा सुगथन बताती हैं, शुरुआती मायोपिया बहुत कम उम्र में प्रकट हो सकता है।आमतौर पर यह किशोरावस्था के दौरान तेजी से बढ़ता है। उम्र के 20 वें दशक की शुरुआत में आई पॉवर स्थिर हो जाता है। इस दौरान आई बॉल का बढ़ना बंद हो जाता है। हालांकि मायोपिया किसी भी बच्चे को हो सकता है। लेकिन जिन माता-पिता की आंखों पर आलरेडी चश्मा चढ़ा हुआ है, उनके बच्चों के आंखों की विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है।

मायोपिक पेरेंट्स के बच्चों को हो सकता है मायोपिया

जिन बच्चों के पेरेंट्स को मायोपिया है, उनसे यह बच्चों में जा सकता है। ऐसे 40 जीन हैं, जो आंख के विकास और आकार को प्रभावित करते हैं। इसके कारण शॉर्ट साइटेडनेस या निकट दृष्टिदोष (Short Sightedness) हो सकते हैं। माता-पिता में से किसी एक को मायोपिया है, तो बच्चों में यह स्थिति विकसित होने की संभावना 1.5 गुना अधिक होती है। यदि माता-पिता दोनों को मायोपिया है, तो यह जोखिम तीन गुना बढ़ जाता है।

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बच्चों को मायोपिया से बचाने के लिए पेरेंट्स को रखना चाहिए इन बातों का ध्यान (Myopic Parents)

1. रिफ्रेकटिव मूल्यांकन ((refractive evaluation)

यदि माता-पिता को मायोपिया है, तो स्कूल शुरू करने से पहले प्रत्येक बच्चे का अपवर्तक मूल्यांकन (refractive evaluation) होना चाहिए। इसमें आंखों के डॉक्टर एक मास्क जैसे उपकरण (फोरोप्टर) के माध्यम से देखने के लिए कहते हैं, जिसमें पहिए जैसा लगा होता है। इसमें अलग-अलग पॉवर के लेंस लगे होते हैं, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि कौन सा कॉम्बिनेशन शार्प साइट देता है।

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2. रखें आंखों का ध्यान (Eye Care) 

यदि पेरेंट्स को मायोपिया है, तो बच्चे की आंखों का चेकअप जरूर कराएं। यदि बच्चे की दृष्टि धुंधली है और उसे चश्मा लग गया है, तो माता-पिता को जोर देना चाहिए कि बच्चे चश्मे को पूरे दिन पहने रहें। नहीं पहनने पर आंखों के और अधिक खराब होने की संभावना बनी रहती है।

3. घटाएं स्क्रीन टाइम (Screen Time) 

जीन की मौजूदगी की वजह से बच्चे के लेंस का पॉवर बढने के चांसेज बढ़ जाते हैं। इस पर सबसे बुरा प्रभाव स्क्रीन का पड़ता है। इसलिए स्क्रीन देखने या गैजेट्स का इस्तेमाल करने में लगने वाले समय को कम करना बहुत जरूरी है। साथ ही अध्ययन सहित अन्य सभी प्रकार के कार्य बढ़िया रोशनी में सही सिटिंग पोस्चर के साथ करे। किसी भी सामान को बच्चा लगभग 35-40 सेमी की दूरी के साथ देखे।

बच्चे को यदि चश्मा चढ़ा हुआ है, तो उसे बाहरी गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

4 फिजिकल एक्टिविटी और योगासन करवाएं (Physical Activity) 

बच्चे को यदि चश्मा चढ़ा हुआ है, तो उसे बाहरी गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। विशेष रूप से 6-11 बजे के बीच या 4-6 बजे के बीच धूप में रहना चाहिए। इससे विटामिन D और विटामिन A मिलता है। तेज धूप में बैठने को कहे। (आमतौर पर मध्य गर्मियों को छोड़कर) पर्याप्त मात्रा में फल और पत्तेदार सब्जियों सहित स्वस्थ आहार।

5 साल में एक बार आंखों की जांच है बहुत जरूरी (Eye Sight Checking)

यदि बच्चे को मायोपिया है, तो इसके कारण लेंस पॉवर न बढ़ जाएं, तो समय-समय पर बाल रोग विशेषज्ञ की क्लिनिक में नियमित अपवर्तक (Refractive) और अक्षीय लंबाई (Axial Length Evaluations) का मूल्यांकन कराते रहें। माता-पिता को बच्चों को साल में कम से कम एक बार आंखों की जांच के लिए डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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