दिवाली हमारे देश का एक प्रमुख और उल्लासपूर्ण पर्व है, जो हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान जगमगाती रोशनी, सजावट, और खुशी का माहौल हमें प्रसन्नता से भर देता है। लेकिन, इस खुशी के माहौल का एक चिंताजनक पहलू भी है – बढ़ता वायु प्रदूषण। पटाखों के कारण दिवाली के दौरान देश के कई हिस्सों में प्रदूषण स्तर काफी बढ़ जाता है, जिससे हवा में हानिकारक कण और विषैली गैसें घुलने लगती हैं।
विशेषकर शाम 7 बजे से रात 1 बजे के बीच भारी मात्रा में पटाखों का इस्तेमाल प्रदूषण को गंभीर स्तर तक ले जाता है। जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कतें, खांसी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। जहां कुछ लोगों पर इसका तात्कालिक प्रभाव पड़ता है, वहीं दिवाली प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभावों (Diwali Pollution health hazards) को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकते हैं।
दिवाली के समय वायु प्रदूषण का जोखिम (Diwali Pollution health hazards) उन लोगों पर ज्यादा देखा जाता है जो अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) जैसी श्वसन समस्याओं से पीड़ित हैं। बढ़ता प्रदूषण बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए अधिक खतरनाक साबित हो सकता है।
यहां तक कि स्वस्थ लोग भी लगातार प्रदूषित वायु में सांस लेकर गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। सूक्ष्म कण फेफड़ों से होकर ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश करते हैं, जिससे सूजन होती है और टिशू डैमेज होने का भी खतरा होता है। इससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है, जैसे:
लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से अस्थमा और COPD जैसी बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं। दिवाली के समय प्रदूषण के बढ़े हुए स्तर से इन बीमारियों का खतरा और अधिक बढ़ जाता है।
हवा में मौजूद हानिकारक तत्व फेफड़ों और हृदय को नुकसान पहुंचाते हैं। स्ट्डीज़ बताती हैं कि प्रदूषण से आर्टिरीज की कठोरता बढ़ती है, जिससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और अन्य हार्ट संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ता है।
प्रदूषित हवा में कार्सिनोजेनिक तत्व होते हैं जो फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं। यदि धूम्रपान की आदत भी हो तो यह जोखिम और अधिक गंभीर हो सकता है।
दिवाली के समय प्रदूषण के प्रभाव से पूरी तरह बचना कठिन हो सकता है, लेकिन कुछ उपाय अपनाकर स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सकता है:
पटाखों के चरम समय में बाहर जाने से बचें। यदि आवश्यक हो, तो N95 मास्क का प्रयोग करें, जो प्रदूषकों को छानने में सहायक है।
दिवाली प्रदूषण के स्वास्थ्य जोखिमों से बचने के लिए घर में एक अच्छे एयर प्यूरीफायर का प्रयोग असरदार उपाय हो सकता है। विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह फायदेमंद होता है। खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें ताकि बाहरी प्रदूषण से घर सुरक्षित रहे।
शरीर को हाइड्रेटेड रखने से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में सहायता मिलती है। साथ ही, एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर आहार, जैसे फल, सब्जियां और ओमेगा-3 युक्त खाद्य पदार्थ, इम्युनीटी को मजबूत करते हैं।
अनुलोम-विलोम जैसे श्वास व्यायाम फेफड़ों को मजबूत बनाते हैं और श्वसन क्रियाओं में सुधार करते हैं। यह व्यायाम विशेष रूप से अस्थमा या अन्य श्वसन समस्याओं वाले लोगों के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं।
दिवाली के समय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की जानकारी रखना आवश्यक है। यदि AQI उच्च हो, तो घर के अंदर रहना ही बेहतर होता है।
हालांकि व्यक्तिगत प्रयास प्रदूषण के प्रभाव को कुछ हद तक कम कर सकते हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म हेल्थ रिस्क से बचने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। पटाखों का सीमित उपयोग और पर्यावरण के प्रति जागरूक दिवाली मनाना इसमें सहायक हो सकता है। साथ ही, सरकार और संबंधित संस्थाओं के प्रयास, जैसे त्योहारों के दौरान प्रदूषण नियंत्रण की पहल, जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए अनिवार्य हैं।
दिवाली खुशियों का त्योहार है, लेकिन यह हमारे स्वास्थ्य पर भारी न पड़े, इसके लिए सजग रहना आवश्यक है। यदि हम इन जोखिमों को समझें और सक्रिय कदम उठाएं, तो हम सभी के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।
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