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आप भी यदि दूसरों की बातों को तुरंत दिल से लगा लेती हैं, तो यहां हैं इससे छुटकारा पाने के 5 टिप्स

सेल्फ रेस्पेक्ट जरूरी है। पर कभी-कभी हम दूसरों की कही बातों को तुरंत दिल से लगा लेते हैं। यह सही नहीं है। यहां हैं 5 टिप्स, जिनकी मदद से हम दिल से बातों को लगाना छोड़ सकते हैं।
यदि दूसरा व्यक्ति भी हमें खराब कह देता है, दोष बता देता है। तो तुरंत हम दूसरे की बात को दिल से लगा लेते हैं। चित्र : एडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 14 Jan 2023, 17:00 pm IST
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सेल्फ रेस्पेक्ट बहुत जरूरी है। जब आप अपना सम्मान करेंगी, तभी दूसरे लोग भी आपका सम्मान करेंगे। पर कभी कभी हमें यह लगने लगता है कि सामने वाला जान-बूझकर आपके सम्मान को ठेस पहुंचा रहा है। संभव हो कि ऐसा नहीं हो। हाल-फिलहाल में दूसरों की कही बातों को पर्सनली लेने की आदत आपमें विकसित हो गई हो। प्रोफेशनल या आपके फायदे के लिए कही गई बात भी आपके दिल को ठेस पहुंचाने लगी है।यहां व्यक्तित्व में आये बदलाव को समझना जरूरी है। हमें यह जानना जरूरी है कि दूसरों की कही बातों को कैसे पर्सनली या व्यक्तिगत तौर पर नहीं (how to stop being hurt) लिया जाए।

हम क्यों दूसरों की बातों को दिल से (how to stop being hurt) लगा लेते हैं

दूसरे हमारे बारे में क्या सोचते हैं। हमारे बारे में क्या बोलते हैं, यह जानना सामान्य बात है। लेकिन हर हमेशा इसी बात पर खुद को केंद्रित किये हुए रहना गलत बात है। इससे हमारा व्यक्तित्व प्रभावित होने लगता है। यहां हैं वे कारण जिनकी वजह से हम दूसरों की बातों को व्यक्तिगत रूप से लेने लगते हैं।

1 खुद को कमतर (Inferiority Complex) समझना

हम लगातार अपने आप से कहते रहते हैं, मैं बेकार हूं। मैंने बहुत अधिक सफलता
अर्जित नहीं की है। यह हमारी गलती है। जब हम लगातार खुद को कोसते रहते हैं। इसी दौरान यदि दूसरा व्यक्ति भी हमें खराब कह देता है, दोष बता देता है। तो तुरंत हम दूसरे की बात को दिल से लगा लेते हैं।

2 आत्मसम्मान (Self Esteem) के लिए हमेशा चिंतित रहना

दूसरे क्या सोचते हैं, यह सोचने में ही ऐसे लोगों का पूरा दिन निकल जाता है। यदि किसी ने कोई मजाक कर लिया या हलके-फुल्के अंदाज़ में कोई बात कह दी तो तुरंत उसे आत्मसम्मान से जोड़ लेते हैं।

3 बचपन की परेशानी

यदि बचपन में माता-पिता ने हर बात के लिए बच्चे को दोषी ठहराया। दूसरे बच्चों की सफलता से तुलना कर दांटा-मारा। ऐसे बच्चे हर बात को दिल से लगा लेते हैं।

4 सामाजिक प्रतिष्ठा (Social Status) की चिंता

ऐसे लोगों को लगता है कि छोटी बात पर भी समाज में उनकी प्रतिष्ठा घट जाएगी। अपनी प्रतिष्ठा को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं।

5 सर्वश्रेष्ठ बनने की चाहत

परफेक्शनिस्ट बनने की चाहत में व्यक्ति चाहता है कि सभी लोग उसकी सिर्फ तारीफ़ करें। कोई उनकी निंदा नहीं करें। अपने दोष जानते ही वे तुरंत भावुक हो जाते हैं।
इन सभी के अलावा, तनाव, थकान के कारण या बहुत अधिक संवेदनशील व्यक्ति भी हर बात को व्यक्तिगत रूप से लेने लगता है।

व्यक्तिगत रूप से बातों को लेना कैसे बंद करें (how to stop being hurt)

यदि किसी की बात आपके दिल को ठेस पहुंचा गई है, तो सामने वाले से स्पष्ट बातचीत करें। चित्र:शटरस्टॉक

1 भावना (Emotion) पर कंट्रोल करें

भावुकता अच्छी है, लेकिन भावनाओं पर नियन्त्रण रखना भी जरूरी है। हर बात पर गुस्सा करने, रोने और चीजों को व्यक्तिगत रूप से लेने पर आप खुद में अकेली पडती जाएंगी। आपकी अनियंत्रित भावनाओं के डर से लोग आपसे कटने लगेंगे।

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2 सामने वाले से स्पष्ट बातचीत (Clear Conversation) 

यदि किसी की बात आपके दिल को ठेस पहुंचा गई है, तो सामने वाले से स्पष्ट बातचीत करें। उसने क्या कहा और आपने उनकी बातों को किस तरह से लिया, इन पर छोटी-सी चर्चा कर लें। यदि आपने सामने वाले की बात को गलत रूप में लिया है, तो उसे भी स्पष्ट करें।

3 दूसरों की बातों की चिंता नहीं करें

आप सोचें कि आप अपने-आप में पूर्ण हैं। दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं, इसकी चिंता करना छोड़ दें। यह चिंता छोड़ते ही आपको इस बात कि कोई परवाह नहीं रहेगी कि आपके बारे में किसने क्या गलत कहा।

4 अपना सम्मान (Self Respect) करना सीखें

अपनी सफलता और अपनी ताकत के लिए खुद को श्रेय देना शुरू करें। खुद को सम्मान दें। इसके अंतर्गत प्रोफेशनल ग्रोथ के लिए कही बात का आप बुरा नहीं मानेंगी। खुद में सुधार लाने की कोशिश करेंगी।

सफलता के लिए खुद को श्रेय देना शुरू करें। अपनी देखभाल के लिए कुछ समय निकालें। चित्र : शटरस्टॉक

5 माइंडफुलनेस (Mindfulness) का अभ्यास करें

माइंडफुलनेस से आपका दिमाग स्थिर हो सकेगा। आपका मन कंसन्ट्रेट होगा। तनाव मुक्त हो सकेंगी। दूसरों की बातों पर चिंता करने की बजाय वर्तमान में रहना सीख सकेंगी।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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