मानसून के दिनों में हल्की बूंदा बांदी का आनंद लेने के लिए लोग अक्सर घरों से बाहर नज़र आते हैं। बारिश के मौसम में हल्की फुहारें जहां तन को ठंडक पहुंचाती है, तो वहीं मन की उदासी (monsoon blues) का कारण भी बनने लगती है। आलस्य को बढ़ाने वाले इस मौसम के चलते लोगों को मानसिक तौर पर कइ प्रकार के बदलावों का सामना करना पड़ता है। इसका अस्र उनकी वर्क प्रोडक्टीविटी और ओवरऑल हेल्थ पर भी नज़र आने लगता है। जानते हैं मानसून मूड स्विंग (monsoon mood swings) के कारण और उससे डील करने के उपाय भी।
सर गंगा राम हॉस्पिटल की सीनियर कंसलटेंट क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर आरती आनंद बताती हैं कि मानसून मूड स्विंग (monsoon mood swing) को सीज़नल अफेक्टिव डिसऑर्डर कहा जाता है। बारिश के दिनों में सन एक्सपोज़र की कमी के चलते शरीर में विटामिन डी की मात्रा घट जाती है। इसके चलते शरीर में मूड बूस्टर न्यूरोट्रांसमीटर प्रभावित होने लगताहै, जिसका प्रभाव इटिंग हेबिट्स, नींद और डाइजेशन पर भी नज़र आने लगता है। इसके चलते न केवल फोकस की कमी को सामना करना पड़ता है बल्कि गुस्सा और चिड़चिड़ापन भी बढ़ जाता है।
रिसर्चगेट की रिपोर्ट के अनुसार बारिश के दिनों में अधिकतर लोगों को डिप्रेशन (Depression in monsoon) का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा सेडनेस, गिल्ट और स्लीप डिसऑर्डर (sleep disorder) भी डे टू डे नाइफ को डिसटर्ब करते हैं। इस समस्या को मानसून ब्लूज भी कहा जाता है।
बायोमेड सेंट्रल की रिपोर्ट के अनुसार क्लाइमेट चेंजिज़ का मूड पर गहर प्रभाव देखने का मिलता है। इससे अधिकतर लेगों को एंग्ज़ाइटी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा ओवरथिंकिंग की समस्या भी बनी रहती है।
बारिश के दिनों में आउटडोर वर्कआउट (outdoor workout) की कमी से शरीर को स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है। तनाव के चलते शरीर में कार्टिसोल का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे नींद न आने की समस्या और मोटापा बढ़ जाता है। इसके चलते मानसून में मूड स्विंग का सामना करना पड़ता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार सन लाइट मिलने से शरीर में हार्मोन रेगुलेट होने लगते हैं। सन एक्सपोजर की मदद से सेराटोनिन हार्मोन मेलाटोनिन में कनवर्ट होने लगता है, जिससे नींद न आने की समस्या हल हो जाती है। मगर बारिश के दिनो में शरीर को धूप न मिलने से विटामिन डी की कमी हार्मोन असंतुलन का सामना बनने लगती है।
बारिश के दिनों में अक्सर लोग फ्राइड फूड खाने लगते है, जिससे शरीर में पोषण की कमी बढ़ जाती है और एंप्टी कैलोरीज़ इनटेक बढ़ने लगता है। इसके चलते इनडाइजेशन और मूड स्विंग की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में मूड बूस्टिंग फूड्स स्वास्थ्य को फायदा पहुंचाते हैं।
दिनों दिन बढ़ने वाले तनाव को दूर करने के लिए घर में ही कुछ देर व्यायाम करें। इससे शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज़ होने लगते हैं और वेटगेन का खतरा भी कम हो जाता है। सुबह उठकर स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ और ब्रीछिंग एक्सरसाइज़ से मेंटल हेल्थ को मज़बूत बनाया जा सकता है।
क्लाइमेट चेंज के चलते दिनभर रोशनी कम रहती है, जिसका असर मूड पर दिखने लगता है। इससे बचने के लिए इनडोर लाइट्स की मदद लें और खाली वक्त में किताबें पढ़ने और पसंदीदा एक्टीविटीज़ को करने में बिताएं।
मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए नींद का पूरा होना आवश्यक है। रोज़ाना भरपूर नींद लेने से मन को शांति और सुकून की प्राप्ति होती है। इससे शरीर एक्टिव रहता है और आलस्य से मुक्ति मिल जाती है। दिनभर में 8 घंटे की नींद मस्तिष्क के लिए फायदेमंद साबित होती है।
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कस्टमाइज़ करेंकुछ वक्त परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ बिताने में बेवजह की उदासी से बचा जा सकता है। खुद को आइसोलेट करने से बचें और समय पर आहार लें और खुद को खुश रखने का भी प्रयास करें। इससे मानसिक तनाव दूर होने लगता है।