मौसम बदल रहा है। एक तरफ वातावरण में नमी बढ़ रही है, वहीं इसकी वजह से प्रदूषक तत्व भी ज्यादा महसूस हो रहे हैं। जिसकी वजह से फ्लू, संक्रमण, बुखार और सर्दी-जुकाम के मामले बढ़ रहे हैं। वे लोग जिन्हें पहले से ही श्वसन संबंधी समस्याएं हैं, या जो अस्थमा के शिकार हैं, उनके लिए भी यह मौसम खासा चुनौती भरा है। इसलिए विशेषज्ञ फिर से मास्क पहनने की सलाह दे रहे हैं। इस समय स्थिति बिल्कुल कोविड-19 जैसी हो गई है। मास्क उस स्थिति से बचाव में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय साबित हुए थे। यही वजह है कि एक्सपर्ट सभी के लिए मास्क पहनना अनिवार्य किए जाने की सिफारिश कर रहे हैं।
महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल, दिल्ली में चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ हेमंत कालरा कहते हैं, “दीवाली का त्योहार खुशियां तो लाता है, लेकिन इसके साथ प्रदूषण और हानिकारक कणों का स्तर भी बढ़ जाता है, जैसे पटाखों से उठने वाला धुआं और कोहरा। मौसम में बदलाव के कारण ठंडी और सूखी हवा के साथ बढ़ते प्रदूषण से सांस की नलियों में जलन हो सकती है, जिससे सांस फूलना, खांसी, घरघराहट और अस्थमा के दौरे जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
लगातार प्रदूषित हवा में रहने से न केवल पहले से मौजूद श्वसन समस्याएं जैसे अस्थमा और सीओपीडी और ज्यादा बढ़ जाती हैं, बल्कि नई समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। आवाज का बदलना, घरघराहट, खांसी और अस्थमा जैसे लक्षणाें का तेज होने का जोखिम भी अधिक है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन के एचआईवी और अन्य संक्रामक बीमारियों के संभाग में कार्यरत डॉ माेनिका गांधी ने वैश्विक रूप से फैल रही संक्रामक बीमारियों के जोखिम और उनसे बचने में मास्क की उपयोगिता पर एक शोध किया। यह शोध जॉन हॉपकिंस में प्रकाशित हुआ। शोध में कहा गया था कि एक सही तरह का मास्क न केवल किसी व्यक्ति को संक्रमणों से बचाता है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है।
शोध में मास्क पहनने के साथ-साथ मास्क के फेब्रिक और फिटिंग पर भी विस्तार से बात की गई। जिन्हें मफलर, स्कार्फ या गमछा को मुंह पर लपेटना मास्क की तुलना में कम सुरक्षित माना गया। मोनिका ने अपने शोध में सिंथेटिक फेब्रिक की बजाए कॉटन फेब्रिक चुनने और सही फिटिंग जो पूरे मुंह और नाक को कवर कर सके, अपनाने की सलाह दी। खासतौर से बच्चों के लिए जो ज्यादातर एक्टिव होते हैं।
डॉ हेमंत कालरा कहते हैं, “इस समय हवा बहुत ज्यादा प्रदूषित है। वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स लाल निशान पर पहुंच गया है। जो हवा के बहुत खराब होने की ओर संकेत करता है। वास्तव में प्रदूषकों की उपस्थिति वायु की गुणवत्ता और आपकी सेहत को प्रभावित करती है।” लाल निशान यह बताता है कि हवा बहुत खराब है और आपकी सेहत के लिए जोखिम अधिक है। मास्क पहनना हवा में मौजूद प्रदूषकों से आपको बचा सकता है।
यह फ्लू और अन्य कई संक्रमणों का मौसम है। जो सांस के माध्यम से आपकी श्वसन नली में प्रवेश करते हैं। ये वायरस आपके फेफड़ों को भी बीमार कर सकते हैं। मगर जब आप बाहर निकलने से पहले मास्क पहनते हैं तो आप फ्लू और अन्य संक्रमणों से बचे रहते हैं।
अस्थमा रोगियों के लिए यह मौसम और भी चुनौतियों भरा है। जो न केवल उन्हें बीमार कर सकता है, बल्कि अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों के साथ अस्थमा के लक्षणों को भी ट्रिगर कर सकता है। जबकि एक अच्छी क्वालिटी का मास्क आपको हवा में मौजूद प्रदूषकों और हानिकारक गैसों से बचाता है। जिससे अस्थमा के लक्षण कंट्रोल रहते हैं।
बड़े-बुजुर्ग और छोटे बच्चे सबसे ज्यादा असुरक्षित माने जाते हैं। उनकी कमजोर इम्युनिटी और बीमारियों के प्रति अतिसंवेदनशीलता के कारण यह मौसम उनके लिए थोड़ा जटिल हो सकता है। डॉ हेमंत दोनों को ही बाहर निकलने से पहले मास्क पहनने की सलाह देते हैं। ताकि वे किसी भी तरह के संक्रमण से बचे रहें।
कोविड के दौरान N 95 मास्क सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है। कई डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने इसे संक्रमणों से बचाने में ज्यादा सुरक्षित पाया। दावा किया गया कि ये प्रदूषकों और हानिकारक गैसों से बचाने में ज्यादा बेहतर है।
महामारी के बाद से हाथ के बने कॉटन मास्क बहुत अधिक बेचे और खरीदे गए। इन्हें लोग घरों में बनाकर बेच रहे थे। अगर आप भी इस तरह के हेंडमेड मास्क खरीद रहे हैं, तो इनके फेब्रिक का ध्यान जरूर रखें। सिल्क, जरी या पॉलीएस्टर जैसे सिंथेटिक फेब्रिक की बजाए कॉटन के मास्क चुनें। यह पॉल्यूटेंट्स से बचाते हैं, मगर सांस लेने में असुविधा नहीं होती।
मास्क की फिटिंग पर ध्यान देना और भी जरूरी है। कोविड-19 महामारी के दौरान भी बहुत सारे लोग ढीली फिटिंग के मास्क पहना करते थे, जो लटककर उनके चेहरे नीचे आ जाते थे। इस तरह के मास्क पहनना मास्क न पहनने के बराबर है। इसलिए मास्क खरीदने से पहले उसकी फिटिंग चेक करें। अगर यह आपके पूरे मुंह और नाक को ठीक तरह से कवर कर पा रहा है, तभी उसे चुनें।
भारतीय परिवारों में बहुत कुछ शेयर करने की आदत रही है। फिर चाहें वह तौलिया, कंघा और साबुन हो या मास्क। मगर यह एक सर्वाधिक अनहेल्दी प्रैक्टिस है। अपना मास्क हमेशा दूसरों से अलग रखें। एक-दूसरे का मास्क इस्तेमाल करना उतना ही जोखिमकारक है, जितना किसी संक्रमित व्यक्ति का जूठा खाना खाना।
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